मध्य प्रदेश में मरीजों को आयुष्मान योजना (Ayushman Yojana) का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेशभर में 300 से ज्यादा केस सामने आए हैं, जिसे तरह-तरह के कारण बताकर निरस्त कर दिया गया। संबंधित अस्पताल इम्पैनल्ड (empaneled) नहीं है, इस तरह की टीप लगाकर केस निरस्त किए जा रहा रहे हैं, जिससे मरीजों को इलाज की मंजूरी के लिए परेशान होना पड़ा रहा है। आयुष्मान कार्यालय का कहना है कि डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा का क्लेम आयुक्त स्वास्थ्य के अप्रूवल के बाद ही मंजूर किया जाएगा।
केस रिजेक्ट, मरीज परेशान
1. प्रदेश भर से आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिलने के कई मामले सामने आए हैं। भोपाल के निजी अस्पताल में आयुषी शर्मा का इलाज चल रहा था। मरीज ने आयुष्मान योजना के तहत आवेदन किया था। आयुषी शर्मा का 21 हजार 600 रुपए का क्लेम यह कह कर रिजेक्ट कर दिया गया कि ICU से डायरेक्ट डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता।
2. निजी अस्पताल में इलाज कराने वाले इबरार अली के 23 हजार 800 रुपए खर्च हुए थे। इनका भी आयुष्मान योजना के तहत क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया। कहा गया कि एनएचए (National Health Authority) की रिक्वेक्ट पर क्लेम बैक एंड से केस रिजेक्ट कर दिया है।
3. इसी तरह आयुष्मान योजना के तहत अहमदाबाद के निजी अस्पताल में सीमा सिंह का किडनी ट्रांसप्लांट होना है। मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया है। इससे जुड़ी सारी प्रक्रिया हो चुकी है। योजना के तहत अस्पताल से सीमा सिंह के केस के अप्रूवल के लिए आवेदन किया गया था, इनका भी क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया। आयुष्मान सीईओ मध्य प्रदेश ऑफिस से कहा गया कि आयुष्मान योजना के तहत संबंधित अस्पताल इम्पैनल्ड नहीं है।
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पड़ताल में यह आया सामने
जब इसको लेकर पड़ताल की गई तो सामने आया कि आयुष्मान योजना के तहत किडनी ट्रांसप्लांट के लिए संबंधित अस्पताल रजिस्टर्ड है साथ ही यहां ट्रांसप्लांट भी किया जाता है। पड़ताल में सामने आया कि हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत नई पॉलिसी बनाई है, जिसमें पैकेज अपग्रेड किए गए हैं। इसके चलते कई बीमारियों के कोड चेंज किए गए हैं। इन पैकेज के तहत आवेदन नहीं होने पर क्लेम रिजेक्ट कर मरीज को इलाज से वंचित किया जा रहा है।
केस रिजेक्ट होने के प्रमुख कारण
- आयुष्मान योजना के तहत संबंधित कोड का अप्रूवल आपके अस्पताल का नहीं है।
- पैकेज अपग्रेड हो गया है इस कारण कोड बदल गए हैं। आपको दोबारा अप्लाई करना होगा।
- पैकेज के हिसाब से अमाउंट एप्रूव नहीं किया जा सकता।
- डेढ़ लाख रुपए से ऊपर की राशि आयुक्त स्वास्थ्य के एप्रूवल के बाद ही मंजूर होती है।
- यह भी कहा जाता है कि एनएचए से मामले को मंजूर नहीं किया गया है।
- आईसीयू से मरीज को सीधे डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता।
मामले में आयुष्मान मप्र के सीईओ डॉ. योगेश भरसट का कहना है कि हमारे पोर्टल पर जो अस्पताल इम्पैनल्ड दिखाते हैं, उनका केस तत्काल अप्रूव हो जाता है। तकनीकी कारणों के चलते केस रिजेक्ट हुए होंगे। इसकी जांच कराई जाएगी।
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