INDORE. आज अक्षय तृतीया के पुण्य अवसर पर भगवान परशुराम ( Lord Parshuram ) का भी प्रकटोत्सव है। देशभर में यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, पर क्या आपको पता है कि परशुराम जी की जन्मस्थली मध्यप्रदेश में है...( Birthplace of Lord Parashuram ) । जी हां, परशुराम की जन्मस्थली इंदौर के करीब है। इस जगह को जानापाव के नाम से जाना जाता है।
चलिए, अब आपको सब विस्तार से बताते हैं...
महर्षि जमदग्रि की तपोभूमि और भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव इंदौर की महू तहसील के हासलपुर गांव में है। धार्मिक मान्यता है कि जानापाव में जन्म के बाद भगवान परशुराम शिक्षा के लिए कैलाश पर्वत पर चले गए थे। कैलाश पर ही शंकर जी ने उन्हें शस्त्र-शास्त्र का ज्ञान दिया।
यमुना और नर्मदा में मिलती हैं नदियां
माना जाता है कि जानापाव पहाड़ी से साढ़े सात नदियां निकलती हैं। इनमें कुछ यमुना तो कुछ आगे चलकर नर्मदा नदी में मिलती हैं। इन नदियों में चंबल, गंभीर, अंगरेड़ और सुमरिया नदी शामिल है। वहीं, साढ़े तीन नदियों में बिरम, चोरल, कारम और नेकेड़ेश्वरी का नाम शुमार है। आपको बता दें कि ये सभी नदियां करीब साढ़े सौ किलोमीटर बहकर आगे यमुना और नर्मदा में मिल जाती हैं।
पांच भाई थे परशुराम जी
जानापाव और आसपास के इलाके में कई कथाएं प्रचलित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम के पिता भृगुवंशी ऋषि जमदग्रि और मां रेणुका थीं। परशुराम जी पांच भाई थे, इनमें रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्ववानस का नाम आता है।
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परशुराम ने काट दिया था मां का शीश
एक कथा यह प्रचलित है कि एक बार परशुराम जी की मां रेणुका नदी किनारे गईं, तभी राजा चित्ररथ स्नान करने नदी पर पहुंचा था। राजा को देखकर रेणुका उस पर मोहित हो गईं। ऋषि ने योगबल से पत्नी के इस आचरण को जान लिया। उन्होंने अपने पुत्रों को मां का सिर काटने का आदेश दिया, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। इस पर परशुराम ने मां का सिर काट दिया था।
तब पिता ने परशुराम को तीन वरदान दिए थे...
1. माता को फिर से जीवन देने और माता को मृत्यु की पूरी घटना याद न रहने का वर।
2. अपने चारों चेतना शून्य भाइयों की चेतना फिर से लौटाने का वरदान।
3. परशुराम जी ने चौथा वरदान अपने लिए मांगा, इसमें कहा कि उनकी किसी भी शत्रु से या युद्ध में पराजय न हो और उन्हें लंबी आयु मिले।
पिता ने परशुराम जी को तीनों वरदान दिए थे।
गणेश जी का तोड़ दिया दांत
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। भगवान गणेश ने उन्हें शिवजी से मिलने नहीं दिया। इस बात से नाराज होकर उन्होंने अपने परशु से विघ्नहर्ता का एक दांत तोड़ा डाला। इस कारण से भगवान गणेश एकदंत कहे जाने लगे।
ऋषि जमदग्नि ने की शिवलिंग की स्थापना
जानापाव में ही प्राचीन शिव मंदिर है। माना जाता है कि जनकेश्वर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि ने त्रेतायुग में की थी। यहां के प्राचीन ब्रह्मकुंड के प्रति भी लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर का 1960 में गुरु महाराज माधवानंद ने जीर्णोद्धार कराया था। उसके बाद 2008 में महंत बद्रीनंद की मांग पर शिवराज सिंह चौहान ने ब्रह्मकुंड का जीर्णोद्धार कराया था।