मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत से ठगी करने की कोशिश करने वाले मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मंत्री से ठगी करने वाला डायल 100 का ड्राइवर निकला। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि आरोपी को शनिवार को ही थाने से जमानत पर छोड़ दिया गया।
जानकारी के मुताबिक आरोपी राजेंद्र वर्मा यूपी की डायल 100 (FRV) वाहन का चालक रहा है। हालांकि तबियत ठीक नहीं रहने की वजह से बाद में उसे अपनी जॉब छोड़नी पड़ी थी। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि पैसे की तंगी की वजह से ठगी की प्लानिंग की थी। आरोपी ने ठगी के लिए ग्वालियर के एक एड्रेस पर रजिस्टर्ड सिम को इस्तेमाल में लिया था।
डी. संतोष का पीएस बताकर की थी डिमांड
बता दें रावत से एक शख्स 5 लाख रुपए की डिमांड की थी। उसने खुद को भाजपा का राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डी. संतोष का पीएस बताया था। उसने कहा था विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में आपके लिए काम करने वाले लोगों की व्यवस्था करना है। ठगी का शक होने पर रावत ने इसकी शिकायत की थी। मामले की जांच करते हुए पुलिस ने आरोपी राजेंद्र वर्मा को उत्तरप्रदेश के जालौन से गिरफ्तार किया। वह उत्तर प्रदेश पुलिस के डायल 100 वाहन (FRV) का चालक रहा है। आरोपी को शनिवार को ही थाने से जमानत पर छोड़ दिया गया।
उप चुनाव के नाम पर भी की पैसों की मांग
बता दें, कुछ दिन पहले उनके पास अज्ञात मोबाइल नंबर से कॉल आया था। इसके बाद कॉल करने वाले शख्स ने खुद को भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डी. संतोष का निजी सचिव बताया था। इसके बाद उसने पांच लाख रुपए की मांग की। आरोपी ने मंत्री रामनिवास से पांच लाख रुपए मांगे। शक होने पर मंत्री रावत ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई था। क्राइम ब्रांच पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी थी।
मंत्री रावत ने शिकायत में ये कहा था
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एफआईआर में मंत्री रावत ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके पास अज्ञात मोबाइल नंबर से कॉल आया था। इसके बाद कॉल करने वाले शख्स ने खुद को भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डी. संतोष का निजी सचिव बताया था। इसके बाद उसने पांच लाख रुपए की मांग की।
अन्य शख्स से भी कराई बात
इसके साथ कॉल करने वाले व्यक्ति ने रावत की किसी अन्य शख्स से भी बात कराई थी। हालांकि रावत को उनकी बात पर शक तो हुआ,क्योंकि राष्ट्रीय संगठन मंत्री का नाम डी. संतोष नहीं, बल्कि बीएल संतोष है।
लेकिन उस वक्त उन्होंने उसे टाल दिया। इसके बाद जब उन्होंने अपने स्तर पर जानकारी जुटाई तो पता चला कि राष्ट्रीय संगठन मंत्री की ओर से ऐसा कोई कॉल नहीं किया गया है। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की। अब पुलिस ने इस मामले में आरोपी को हिरासत में ले लिया है।
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