43 साल पहले जो आदेश अर्जुन ने दिया उसे मोहन ने खत्म कर दिया, अब नहीं मिल सकेगी नौकरी

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 43 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह द्वारा लिया गया एक महत्वपूर्ण फैसला खारिज कर दिया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...

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Deeksha Nandini Mehra
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मध्य प्रदेश में 43 साल पहले सूबे के तात्कालिक मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह (Arjun Singh) का फैसला अब सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने खारिज कर दिया है। यह फैसला प्रदेश के महत्वपूर्ण लोगों से जुड़ा है। यह फैसला उस समय की जरूरत को देखते हुए ऐतिहासिक फैसला माना जाता था। आइए जानते हैं क्या था ये फैसला और अब मोहन सरकार द्वारा इसे बंद करने के पीछे की वजह ...

बीहड़ों में था डाकुओं का आतंक

अर्जुन सिंह ने 1980 के दशक में दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इस समय के दौरान चंबल इलाके की बीहड़ों में डाकुओं (Bandits) का खूब आतंक था।

आए दिन डाकू कभी डकैती, लूट और हत्या जैसे संगीन जुर्म को अंजाम देते रहते थे। पुलिस जब मामले की तफ्तीश करती तो डाकुओं के डर की वजह से कोई गवाही के लिए आगे नहीं आता था और न ही कोई डाकुओं के बारे में कुछ बताता।

सरकारी नौकरी का ऐलान 

यह समस्या उस समय की सबसे बड़ी समस्या थी। इससे निपटने के लिए सरकार ने मुखबिरी करने वालों को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया।

तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 28 अगस्त 1981 को सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए कलेक्टरो को परिपत्र जारी किया था कि डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिरों को शासकीय सेवा में नियुक्ति दी जाए। इसमें गांव के कई लोगों ने रुचि दिखाई और बीहड़ों से डाकुओं का खात्मा करने में सरकार को सफलता हासिल हुई थी, लेकिन अब मोहन सरकार ने इसे खत्म कर दिया है। 

क्यों किया 43 साल पुराना नियम निरस्त 

सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) ने डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी (Govt Job) मिलने प्रावधान निरस्त कर दिया है। विभाग का कहना है कि अब प्रदेश में डकैत नहीं बचे।

डकैत का पूरी तरह खात्मा हो चुका है, इसलिए अब 43 वर्ष पुराने परिपत्र को निरस्त कर दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग (GDA) ने इस नियम को खत्म करते हुए सभी सरकारी विभागों और कमिश्नरों को नए निर्देश जारी किए हैं। अब डाकू मुखबिरों को सरकारी सेवा नहीं मिलेगी।

कई कुख्यात डाकुओं ने आतंक फैलाया था 

1. दस्यु सुंदरी फूलन देवी (Phoolan Devi) :  फूलन देवी को बैंडिट क्वीन के नाम से जाना जाता था। उन्होंने चंबल के बीहड़ों में अपनी दस्यु गतिविधियों के लिए प्रसिद्धि पाई। बाद में उन्होंने आत्मसमर्पण किया और राजनीति में कदम रखा।

2. मलखान सिंह (Malkhan Singh) : चंबल के सबसे कुख्यात डाकूओं में से एक थे। उन्होंने 1980 के दशक में आत्मसमर्पण किया और उन्हें डाकू राजा के नाम से जाना जाता था।

3. ददुआ (Dadua) : एक खतरनाक और कुख्यात डाकू, जिनके खिलाफ कई गंभीर अपराधों के मामले थे। वह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय थे।

4. मंजली रानी (Manjli Rani) : एक अन्य महिला डाकू, जिन्होंने चंबल के बीहड़ों में अपना आतंक फैलाया। उन्होंने भी बाद में आत्मसमर्पण किया था।

5. लक्ष्मण सिंह (Laxman Singh) : एक और कुख्यात डाकू, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कई अपराधों को अंजाम दिया और बीहड़ों में आतंक का माहौल बनाया।

6. निर्भय गुर्जर (Nirbhay Gujjar) : चंबल के एक और प्रमुख डाकू थे, जिनकी गतिविधियाँ पूरे क्षेत्र में जानी जाती थीं। उन्हें चंबल का आखिरी डाकू भी कहा जाता था।

7. पूजा ठाकुर (Pooja Thakur) : एक और महिला डाकू, जिन्होंने अपने गिरोह के साथ चंबल के बीहड़ों में आतंक मचाया। उन्होंने बाद में आत्मसमर्पण किया।

43 साल पहले जो आदेश अर्जुन ने दिया उसे मोहन ने खत्म कर दिया.pdf

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