/sootr/media/media_files/2025/07/17/mp-cleanest-city-2025-07-17-10-02-14.jpg)
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाले कार्यक्रम में आज स्वच्छता अवार्ड वितरित किए जाएंगे। देश के विभिन्न शहरों को रैंकिंग के हिसाब से राष्ट्रपति खुद पुरस्कार देंगी। इस लिस्ट में एमपी के भोपाल, देवास और शाहगंज को राष्ट्रपति अवॉर्ड मिलेगा।
सबसे स्वच्छ शहरों में इंदौर, उज्जैन और बुधनी को सुपर स्वच्छ लीग में शामिल किया गया है। जबलपुर को स्पेशल कैटेगरी और ग्वालियर को राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति मुर्मू करेंगी और मंच पर कई मंत्री उपस्थित रहेंगे।
क्या है सुपर स्वच्छ लीग कैटेगरी?
इस श्रेणी में वो शहर शामिल होते हैं जो बीते 3 वर्षों में उत्कृष्ट रहे हों। इंदौर, उज्जैन और बुधनी ने लगातार बेहतर प्रदर्शन कर इस श्रेणी में जगह बनाई है। इंदौर लगातार सातवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने की दौड़ में है। इसके साथ ही इंदौर का मुकाबला सूरत और पुणे जैसे टॉप शहरों से है।
भोपाल टॉप 3 में, दूसरी रैंक की पूरी उम्मीद
इस बार राजधानी भोपाल टॉप-3 स्वच्छ शहरों की सूची में जगह बना चुकी है। पिछले साल भोपाल 5वें स्थान पर था, इस बार उसके दूसरे स्थान पर आने की संभावना है। स्वच्छता में सुधार, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और जीआईएस के चलते मजबूत दावा। GIS के दौरान किए गए 100 करोड़ से अधिक के कार्यों का लाभ मिल सकता है।
ऐसे समझिए पूरी खबर
|
स्वच्छता अवार्ड में इस बार नया क्या
2023 में मध्यप्रदेश को कुल 18 अवॉर्ड मिले थे। इस बार राज्य को 20 पुरस्कार तक मिलने की संभावना जताई जा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत स्टार रेटिंग, ओडीएफ++ और वॉटर प्लस के नतीजे भी आज जारी होंगे।
भोपाल, इंदौर और उज्जैन के मेयर, मंत्री और अधिकारी दिल्ली में मौजूद रहेंगे।
MP कैसे बना स्वच्छता का गढ़?
लगातार प्रयासों से शहरों की सफाई व्यवस्था में बड़ा सुधार हुआ है। सभी शहरों ने कचरा प्रबंधन, वेस्ट प्रोसेसिंग और नागरिक सहभागिता पर काम किया। इंदौर जैसे शहरों ने डिजिटल ट्रैकिंग, स्वच्छता वॉलंटियर्स और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया। हर स्तर पर स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भूमिका रही है।
क्या होता है स्वच्छता सर्वे, कैसे मिलती है रैंकिंग?
स्वच्छता सर्वेक्षण भारत सरकार की एक राष्ट्रीय स्तर की पहल है, जिसे केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) हर साल आयोजित करता है। इसका उद्देश्य देश के सभी शहरों और नगरपालिकाओं को स्वच्छता के मानकों पर परखना और उन्हें रैंकिंग देना है, जिससे शहरों में स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़े और आम नागरिकों में जागरूकता आए।
इस सर्वे की शुरुआत 2016 में हुई थी और यह स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत आता है। सर्वेक्षण में मुख्य रूप से कचरा प्रबंधन, सफाई व्यवस्था, नागरिकों की भागीदारी, और शौचालयों की स्थिति जैसी बातों का मूल्यांकन किया जाता है। इसके तहत कई मापदंडों पर शहरों की जांच की जाती है जैसे:
- डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण
- गीले और सूखे कचरे का अलग-अलग संग्रहण और प्रोसेसिंग
- खुले में शौच से मुक्ति (ODF) स्थिति
- सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता
- नागरिकों की फीडबैक और संतुष्टि
- शहरों को तीन प्रमुख भागों में मिले स्कोर के आधार पर रैंक दी जाती है:
- सर्वेक्षण टीम द्वारा फील्ड में मूल्यांकन (Field Assessment)
- शहर द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ और डेटा (Service Level Progress)
- नागरिकों से ऑनलाइन या कॉल के माध्यम से लिया गया फीडबैक (Citizen Feedback)
हर साल लाखों लोग इस सर्वेक्षण में भाग लेते हैं और यह एक तरह से शहरों की "स्वच्छता रिपोर्ट कार्ड" बन गई है। इससे न केवल स्वच्छता में सुधार होता है, बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक भावना के कारण नगर निगमों और स्थानीय निकायों में जवाबदेही भी बढ़ती है।
स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग मिलने के बाद शहरों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार भी दिए जाते हैं, जैसे "भारत का सबसे स्वच्छ शहर" सबसे तेजी से सुधार करने वाला शहर आदि। इस बार सुपर स्वच्छ लीग भी अलग कैटेगरी बनाई गई है, जिसमें इंदौर सूरत पुणे का नाम शामिल है।
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें
📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
-
निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
MP News | इंदौर की स्वच्छता | मप्र स्वच्छता सर्वेक्षण | स्वच्छता अभियान | स्वच्छता का राष्ट्रीय सम्मान | cleanest city of India | cleanest city indore