अब MP में होगी शराबबंदी, धार्मिक शहरों से बाहर होंगी सभी शराब दुकानें

मोहन सरकार नीति में संशोधन करके धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू करने पर विचार कर रही है। धार्मिक शहरों का माहौल प्रभावित होने की शिकायतें मिली हैं।

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Ravi Singh
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MP CM Mohan Yadav liquor ban religious city

MP CM Mohan Yadav liquor ban religious city Photograph: (the sootr)

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Bhopal : मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव सरकार ने शराबबंदी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। सिंहस्थ 2028 को देखते हुए उज्जैन को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। यहां सभी शराब दुकानें बंद की जाएंगी। वहीं, 12 अन्य धार्मिक शहरों की दुकानों को नगरीय सीमा से बाहर शिफ्ट किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का कहना है कि राज्य सरकार नीति में सुधार कर धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने पर विचार कर रही है। साधु-संतों के सुझावों पर हम गंभीर हैं। धार्मिक नगरों का वातावरण प्रभावित होने को लेकर शिकायतें मिलती रही हैं। अब हमारा प्रयास है कि इन नगरों की पवित्रता अक्षुण्ण रहे, सरकार जल्द ही निर्णय लेकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी।

1 अप्रैल से लागू होगा नया नियम

योजना के मुताबिक, बजट सत्र के बाद 1 अप्रैल 2025 से उज्जैन में नया नियम लागू हो जाएगा। यहां अभी 17 लाइसेंसी शराब दुकानें हैं। इन्हें पूरी तरह खत्म किया जाएगा। इस ​तरह नए वित्तीय वर्ष से बाबा महाकाल की पावन नगरी उज्जैन में शराब की कोई दुकान नहीं होगी और यहां शराबबंदी लागू हो जाएगी। वहीं, ओरछा, मैहर, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, दतिया, पन्ना, मंडला, मुलताई और मंदसौर जैसे धार्मिक स्थलों की शराब दुकानें नगरीय क्षेत्र से बाहर किया जाएगा। यानी, शहरी क्षेत्र में शराब नहीं बिकेगी।

300 करोड़ के राजस्व का नुकसान

इन शहरों में शराबबंदी से सरकार को करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इस कवायद के पीछे बड़ा मकसद उज्जैन में होने वाला सिंहस्थ है। इस महाआयोजन से पहले सरकार सभी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त करना चाहती है। लिहाजा, तीन साल पहले ही बाबा महाकाल की नगरी को सजाया-संवारा जा रहा है। अब मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने उज्जैन को लेकर शराबबंदी का बड़ा फैसला लिया है। दूसरा, उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद पूरे देश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। शराब दुकानों के आसपास कई बार कानून व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ा जाती है। इससे गलत संदेश जाता है, इसलिए दुकानें बंद करने का फैसला लिया गया है।

आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुमति जरूरी

प्रदेश सरकार इस बार शराब नीति में बदलाव भी करेगी। अभी दुकानों के समूह बनाकर नीलामी की व्यवस्था है, लेकिन वर्ष 2025-26 के लिए एकल दुकान की नीलामी होगी। इसके पीछे मंशा प्रतिस्पर्धा कम करते हुए राजस्व बढ़ाने की है। गौरतलब है कि अभी प्रदेश में 3 हजार 605 कंपोजिट शराब दुकानें हैं, जिन्हें 1,100 समूह बनाकर नीलाम किया गया था। अब तय किया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति से ही शराब दुकानें खोली जाएंगी। धार्मिक स्थलों के पास स्थित कुछ दुकानों को बंद किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित शराब नीति को जल्द कैबिनेट में पेश किया जा सकता है।

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