MP News: मध्य प्रदेश में सहकारिता आंदोलन (Cooperative Movement), जिसे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, अब भ्रष्टाचार की जंजीरों में जकड़ा हुआ है। धार, खरगोन और झाबुआ जैसे जिलों में सहकारी बैंकों में अरबों की हेराफेरी हो चुकी है, लेकिन जांच अधूरी है और सहकारिता विभाग की कार्रवाई ठंडी फाइलों में दबी है।
धार में 165 करोड़ का घोटाला
धार जिला सहकारी बैंक में 165 करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि होने के बावजूद पीएस धनवाल, जो फिलहाल खरगोन बैंक के महाप्रबंधक हैं, पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। उनके कार्यकाल में नालछा, उमरबन और दत्तीगांव शाखाओं में कुल मिलाकर 165 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी सामने आई।
नालछा सोसाइटी: ₹90 लाख की गड़बड़ी
उमरबन: ₹45 लाख का फर्जी ऋण वितरण
दत्तीगांव: ₹30 लाख से अधिक की वसूली बैंक में जमा नहीं
छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही कर मामले को दबा दिया गया, लेकिन उच्च अधिकारी अब भी एक से अधिक जिलों का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं।
किसानों के नाम पर लूट
सहकारिता तंत्र में सबसे बड़ा धोखा उन किसानों के साथ हो रहा है जिनके नाम पर ऋण और सब्सिडी जारी होती है। उदाहरण के तौर पर, धरमपुरी शाखा के प्रभारी भुवन सिंह नर्गेश ने 44.25 करोड़ रुपये किसानों के नाम पर निकालकर समिति प्रबंधक को दे दिए, जो सीधे तौर पर Cooperative Banking Norms का उल्लंघन है।
ये भी पढ़ें:
प्रशासन चुप
झाबुआ बैंक के एमडी केके रायकवार और प्रशासक वर्षा श्रीवास जैसे अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पीएस धनवाल फौजदारी मामलों में जमानत पर होने के बावजूद, जिम्मेदार पदों पर बने हुए हैं।
क्या कहता है कानून?
सहकारी बैंकिंग गड़बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी, और आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती है। इसके तहत दोषियों पर IPC की धाराओं 409, 420 और 120-B के तहत केस बनते हैं, लेकिन अधिकांश में या तो मामले दर्ज नहीं होते या सिर्फ कागज़ी कार्रवाई होती है।