भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को देश की न्याय व्यवस्था में प्रतीकात्मक रूप से सम्मान देने की दिशा में ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने एक बार फिर पहल की है। एसोसिएशन ने 23 जून 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में आग्रह किया गया है कि राज्य के सभी न्यायालयों—चाहे वह हाईकोर्ट के कोर्टरूम हों या जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ के परिसर, या फिर प्रदेश के जिला कोर्ट। सभी जगह भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाई जाए।
समानता और न्याय के प्रतीक हैं बाबा साहब
ज्ञापन में यह तर्क दिया गया है कि डॉ. अंबेडकर न केवल भारतीय संविधान के निर्माता थे, बल्कि समानता और न्याय के प्रतीक भी हैं। न्यायालयों में उनका चित्र स्थापित करना किसी जातिगत आग्रह का विषय नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा को न्यायिक व्यवस्था में सम्मान देने का कदम होगा। एसोसिएशन का मानना है कि इससे आम नागरिकों में यह विश्वास और गहराएगा कि भारतीय न्यायपालिका कानून से ही नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों से भी जुड़ी हुई है।
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कर्नाटक की तर्ज पर मध्यप्रदेश में हो निर्णय
ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अपने ज्ञापन में कर्नाटक हाईकोर्ट के ताज़ा फैसले का भी हवाला दिया है। वहां 26 अप्रैल 2025 को फुल कोर्ट मीटिंग में यह निर्णय लिया गया था कि हाईकोर्ट और सभी जिला न्यायालयों में डॉ. अंबेडकर का चित्र कोर्ट के सभी कक्षों और परिसर में लगाया जाएगा। यह निर्णय 20 जून 2025 को जारी जनरल सर्कुलर के माध्यम से प्रभाव में लाया गया। एसोसिएशन ने उस सर्कुलर की प्रति भी ज्ञापन के साथ संलग्न कर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि वह भी कर्नाटक की तर्ज पर ठोस निर्णय ले।
साल 2022 से लंबित है यह मांग
यह मांग कोई नई नहीं है। एसोसिएशन ने इसी विषय पर 15 जून 2022 को भी हाईकोर्ट प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन तब से लेकर अब तक कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया। इसी पृष्ठभूमि में संगठन ने हाल ही में 22 जून को अपनी सामान्य सभा की बैठक की, जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि मांग को फिर से दोहराया जाए और ज्ञापन दोबारा सौंपा जाए।
फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने एसोसिएशन की अपील
एसोसिएशन ने हाईकोर्ट प्रशासन से यह भी अनुरोध किया है कि इस विषय पर फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई जाए, ताकि पूरे न्यायिक समुदाय की सहमति से एक सार्थक और ऐतिहासिक निर्णय लिया जा सके। संगठन का मानना है कि डॉ. अंबेडकर का चित्र लगाने का यह कदम प्रतीकात्मक होने के साथ-साथ समाज में समरसता, समानता और संवैधानिक मूल्यों को मजबूती देने वाला सिद्ध होगा।
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