मध्य प्रदेश में परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। अब पेपर लीक करने वालों को आजीवन कारावास (life imprisonment) और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना (fine of ₹1 crore) देना होगा। इसके साथ ही नकल करते पकड़े गए परीक्षार्थी एक साल तक परीक्षा नहीं दे पाएंगे।
नया कानून क्यों जरूरी?
1937 का परीक्षा कानून अब अप्रासंगिक हो चुका है। बढ़ती परीक्षाओं और पेपर लीक की घटनाओं ने इसे और मजबूत बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है। नीट (NEET) पेपर लीक मामले ने सरकार को मजबूर किया कि वह कानून में संशोधन करे।
मध्य प्रदेश सरकार ने यह कानून केंद्र सरकार के "सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024" के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखकर तैयार किया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसका ड्राफ्ट विधि विभाग को भेजा है।
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कैसा होगा कानून और सजा का प्रावधान?
कड़ी सजा और जुर्माना: परीक्षा में पेपर लीक करने वालों को आजीवन कारावास (life imprisonment) और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना होगा। दोषियों की संपत्ति कुर्क की जाएगी।
परीक्षार्थियों के लिए नियम: नकल करने पर जेल नहीं होगी, लेकिन एक साल तक परीक्षा देने पर रोक।
सर्विस प्रोवाइडर्स पर कार्रवाई: सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां (service provider companies) ब्लैकलिस्ट की जाएंगी।
गड़बड़ी की जानकारी छिपाने पर कानूनी कार्रवाई (legal action) होगी।
परीक्षा केंद्रों पर पाबंदियां: परीक्षा केंद्रों के प्रभारी और स्टाफ के लिए मोबाइल का इस्तेमाल प्रतिबंधित। परीक्षा के दौरान सीसीटीवी निगरानी और रिकॉर्डिंग 1 साल तक सुरक्षित रखी जाएगी।
प्रिंटिंग प्रेस के लिए निर्देश: पेपर छपाई के दौरान स्मार्टफोन और कैमरा प्रतिबंधित। प्रिंटिंग प्रेस पर सुरक्षा निरीक्षण (security और पहचान पत्र अनिवार्य।
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कैसे हैं दूसरे राज्यों के कानून
गुजरात (Gujarat)
फरवरी 2023 में लागू कानून।
10 साल की सजा (10 years imprisonment) और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना।
झारखंड (Jharkhand)
अगस्त 2023 में लागू।
आजीवन कारावास (life imprisonment) और 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
उत्तर प्रदेश (UP)
जुलाई 2024 में लागू।
आजीवन कारावास और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना।
बिहार (Bihar)
जुलाई 2024 में लागू।
10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये जुर्माना।
एमपी सरकार के कानून का क्या है उद्देश्य?
माफिया और संगठित गिरोहों (mafia and organized groups) पर शिकंजा कसना। छात्रों को नकल की बजाय मेहनत के लिए प्रेरित करना और परीक्षा प्रक्रिया को निष्पक्ष और सुरक्षित बनाना है।
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