नील तिवारी@JABALPUR. नए ठेकों के नियमितीकरण से पहले प्रदेशभर में मनमाने रेट पर शराब बेची जा रही है। हालांकि, जिम्मेदार ग्रामीण क्षेत्र की इक्का-दुक्का दुकानों पर कार्रवाई करते हुए खानापूर्ति कर रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर आबकारी विभाग के ही अधिकारियों का कहना है कि प्रदेशभर में नए ठेके दिए जाने हैं। इस कारण वह ठेकेदारों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश में आबकारी के नए ठेके जारी होने को एक माह से भी ज्यादा समय हो चुका है पर एमआरपी के ऊपर शराब बिक्री थमने का नाम नहीं ले रही है।
6 माह बाद भी लागू नहीं हो सका आदेश
मध्य प्रदेश शासन द्वारा यह आदेश जारी किया गया था कि आबकारी की दुकानों पर रेट लिस्ट लगाना अनिवार्य है। शराब खरीदी के बाद ग्राहक को बिल देना भी अनिवार्य किया गया है। यह आदेश 6 माह बाद भी धरातल पर नहीं उतर सका है। आलम यह है कि जबलपुर शहर की एक भी शराब दुकान में रेट लिस्ट नजर नहीं आ रही है। वहीं, शराब कारोबारी के द्वारा जो मनमानी वृद्धि की गई है, वह वैध है या अवैध यह पता करना ग्राहकों के लिए मुमकिन ही नहीं है। शराब कारोबारी एक सादी सी तख्ती पर मनमाना रेट लिखते हैं और वही उनकी रेट लिस्ट हो जाती है।
30 फीसदी तक महंगी बेची जा रही शराब
अधिकांश शराब दुकानों पर पुराने प्रिंट रेट का ही स्टॉक रखा हुआ है। इसे 15 प्रतिशत महंगी दरों पर बेचा जाना है, लेकिन जब ग्राहक शराब खरीदने जाता है तो उसे पुराने प्रिंट का माल 30 प्रतिशत से ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि विभाग हर वर्ष शराब की नई दरों की सूची जारी करता है। इस बार भी शराब के ठेके पिछले वर्ष के मुकाबले 15 प्रतिशत महंगे हो गए हैं। इस कारण शराब 15 प्रतिशत महंगी होना स्वाभाविक है, लेकिन 30% की अवैध दाम वृद्धि पर जिम्मेदारों के पास भी कोई जवाब नहीं है। आबकारी उपायुक्त रविंद्र मानिकपुरी ने बताया कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है और अब तक लगभग 50 दुकानों पर एमआरपी से ज्यादा रेट पर शराब बेचने पर कार्रवाई की गई है। हालांकि, इन 50 दुकानों की जानकारी भी उपायुक्त खुद नहीं दे सके।
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