मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल अब भर्ती परीक्षाओं में बायोमेट्रिक सिस्टम को हटाकर फेस रिकग्निशन तकनीक से कैंडिडेट्स की पहचान करेगा। 24 जून को आयोजित होने वाली प्री नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट इस तकनीक के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस्तेमाल होगी। सफल होने पर इसे सभी भर्ती परीक्षाओं में लागू किया जाएगा।
2023 की पुलिस भर्ती में हुआ था फर्जीवाड़ा
2023 में हुई पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में कई मामलों में फिंगरप्रिंट मिलान में गड़बड़ी सामने आई थी। जांच में पता चला कि कैंडिडेट्स ने अपने आधार कार्ड में फोटो और बायोमेट्रिक डेटा बदलकर किसी सॉल्वर को परीक्षा में बैठाया। अब तक इस फर्जीवाड़े को लेकर 22 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।
चेहरे से होगी अब कैंडिडेट्स की पहचान
फेस रिकग्निशन तकनीक अब नए वेरिफिकेशन सिस्टम की रीढ़ बनेगी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से चेहरे की पहचान होगी। कर्मचारी चयन मंडल यूआईडीएआई से आधार डेटा प्राप्त करेगा और उसे परीक्षा केंद्र पर कैमरा युक्त डिवाइस से कैप्चर किए गए चेहरे के डेटा से मिलाया जाएगा।
मुरैना केस बना नई तकनीक की वजह
मुरैना के अतेंद्र सिंह राणा ने आधार में बार-बार फोटो अपडेट कर सॉल्वर को परीक्षा दिलवाई थी। परीक्षा के बाद उसने फोटो फिर बदल लिया। नियुक्ति के समय फिंगरप्रिंट मिलान न होने पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ और उसे गिरफ्तार किया गया। यह मामला सिस्टम में बड़े बदलाव का कारण बना।
ऐसे लागू होगा फेस रिकग्निशन वेरिफिकेशन
परीक्षा केंद्र पर एंट्री से पहले कैंडिडेट्स को पहचान पत्र और प्रवेश पत्र दिखाना होगा।
कैमरा वाले टैबलेट या मोबाइल से चेहरा स्कैन किया जाएगा।
सॉफ्टवेयर चेहरे का मिलान आधार से करेगा।
अगर चेहरा मेल खाता है, तभी परीक्षा हॉल में जाने दिया जाएगा।
अब सभी परीक्षाओं में होगी यह तकनीक लागू
चयन मंडल के डायरेक्टर साकेत मालवीय ने बताया कि फेस रिकग्निशन वेरिफिकेशन को अब जुलाई से सभी परीक्षाओं में लागू किया जाएगा। यह तकनीक सॉल्वर गैंग के फर्जीवाड़े को पूरी तरह कंट्रोल कर लेगी।
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