मध्य प्रदेश में सोयाबीन की कीमतें बढ़ाने की मांग पर किसान संगठनों और सरकार के बीच संघर्ष जारी है। राज्य के कई किसान संगठन 1 अक्टूबर को प्रदेश के सभी हाईवे पर चक्का जाम करने का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया है कि SKM इस बंद में शामिल नहीं होगा।
किसान संगठनों में बढ़ते मतभेद
भोपाल के एमएलए रेस्ट हाउस में किसान संगठनों की बैठक में निर्णय लिया गया कि 1 अक्टूबर को पूरे मध्य प्रदेश के हाईवे पर चक्का जाम किया जाएगा। इस बैठक में 26 किसान संगठन शामिल हुए थे। दावा किया गया है कि यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हो रहा है। हालांकि, टिकैत ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि SKM इस बंद का हिस्सा नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि SKM के घटक दल इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे और वे इस निर्णय पर एकमत हैं।
पॉलिटिकल लोगों से दूरी
राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल इस आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन SKM के घटक दल उनके साथ आंदोलन नहीं करेंगे। उन्होंने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे अपने अलग आंदोलन चलाएं और किसान संगठनों के साथ भ्रम की स्थिति न पैदा करें। टिकैत ने यह भी आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों का मकसद सिर्फ फायदा उठाना होता है, जबकि किसान संगठनों का आंदोलन सरकार से वास्तविक मांगों को लेकर है।
सोयाबीन की MSP पर टिकैत का बयान
टिकैत ने सरकार से मांग की कि वह सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को तुरंत बढ़ाए। वर्तमान में सोयाबीन की MSP 4 हजार 800 रुपए प्रति क्विंटल है, जो 12 साल पहले तय की गई थी। टिकैत का कहना है कि पांच-छह साल पहले सोयाबीन की कीमत 8 से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी, लेकिन अब इसके दाम बेहद कम हो गए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 1 अक्टूबर को SKM का कोई आंदोलन नहीं होगा, और यदि मध्य प्रदेश के किसान उन्हें बुलाते हैं तो वह वहां जरूर जाएंगे।
SKM की बैठक में हुआ निर्णय
18 सितंबर को भोपाल में SKM के बैनर तले एक बैठक आयोजित की गई थी, जहां सोयाबीन के दाम को लेकर भविष्य की रणनीति बनाई गई थी। बैठक में मौजूद किसान नेताओं ने कहा कि गांव-गांव में ज्ञापन दिए गए, लेकिन सरकार ने 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल की मांग को अभी तक नहीं माना है। SKM ने 24 से 30 सितंबर तक मशाल जुलूस निकालने और 1 अक्टूबर को प्रदेशभर के हाईवे पर चक्का जाम करने की योजना बनाई थी। लेकिन, टिकैत के इस बयान के बाद किसान संगठनों में मतभेद साफ नजर आ रहे हैं।
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