BHOPAL : मप्र सरकार चार साल बाद अधिकारी-कर्मचारियों की तबादला नीति लागू करने जा रही है। शुक्रवार को महेश्वर में होने वाली कैबिनेट बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग की तबादला नीति को मंजूरी दी जाएगी। 2021 के बाद राज्य स्तर पर अधिकारियों की संशोधन स्थानांतरण नीति 2025 लाई जा रही है। ये नीति सिर्फ राज्य के अधिकारी-कर्मचारियों पर ही लागू होगी। इसका फायदा जिले के अधिकारी-कर्मचारियों को नहीं मिलेगा। इस नीति में भी सीमित तबादले करने के ही प्रावधान दिए हैं। नीति के प्रावधानों के अतिरिक्त तबादले करने के लिए विभाग को मुख्यमंत्री समन्वय में प्रस्ताव भेजना होंगे। जिले के तबादले भी मुख्यमंत्री समन्वय से हो सकेंगे।
दरअसल, चार साल पहले 2021 में तबादला नीति आई थी, उसके बाद से तबादला नीति न आने से प्रदेश में कई अधिकारी-कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री समन्वय में जरूरी तबादले करने का प्रावधान हैं, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के दौरे और व्यस्तता के चलते कई फाइलें पेंडिंग पड़ी हुई है। मुख्य सचिव अनुराग जैन भी अधिकतर फाइलें वापस लौटा चुके है। बीते दिनों कैबिनेट बैठक में अनौपचारिक चर्चा में मंत्रियों ने CM के सामने अपनी बात रखते हुए कहा था कि राज्य में 2021 से तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है, प्रशासनिक और व्यवहारिक दृष्टि से जमावट करना आवश्यक है इसलिए नई तबादला नीति जल्द घोषित की जाना चाहिए, ताकी प्रदेश में तबादले हो सके। इसके बाद ये तय किया गया है कि प्रदेश में राज्य स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों के जरूरी तबादले करने के लिए संशोधित तबादला नीति लाई जाए। संभावना है कि शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस नीति को मंजूरी मिल जाएगी।
तबादला नीति के मुख्य प्रावधान
- गंभीर बीमारी अथवा स्वयं की शारीरिक, मानसिक दिव्यांगता के आधार पर तबादला हो सकेगा।
- न्यायालयीन ऐसे आदेश पर तबादला किया जा सकेगा, जिसके आदेश का पालन करने के अलावा सरकार के पास कोई कानूनी विकल्प न बचा हो।
- गंभीर शिकायतें होने पर, गंभीर अनियमितता का मामला सामने आने पर अथवा प्रथम दृष्टया गंभीर लापरवाही प्रमाणित होने पर।
- लोकायुक्त संगठन, ईओडब्ल्यू अथवा पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज करने पर। इसके अलावा अभियोजन की कार्यवाही शुरु होने पर तबादला किया जा सकेगा, जिससे उक्त जांच प्रभावित न हो।
- निलंबन, डीम्ड अवकाश, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति (सामान्य/अनिवार्य/स्वैच्छिक), पदोन्नति, क्रमोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी अथवा शासकीय सेवक की मृत्यु उपरांत रिक्त हुए पद की पूर्ति हेतु, जिनके संबंध में यह मत हो कि लोकहित में उक्त पद की पूर्ति आवश्यक है।
- इसके अलावा किसी प्रोजेक्ट में यदि कोई अधिकारी पदस्थ किया गया था, और वो प्रोजेक्ट खत्म हो गया तो उसका भी तबादला किया जा सकेगा।
नई तबादला नीति आने तक रहेगी लागू
प्रदेश में नई सामान्य तबादला नीति आने तक ये संशोधित तबादला नीति लागू रहेगी। कैबिनेट के प्रस्ताव में साफ लिखा गया है कि प्रदेश भर के कर्मचारियों के तबादलों से प्रतिबंध हटाने के लिए मई-जून में नई सामान्य तबादला नीति लाई जाएगी, जिससे हर बार की तरह राज्य और जिले स्तर के अधिकारी कर्मचारियों के तबादले किए जा सकें।