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मध्य प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।
अब शैक्षणिक सत्र 2025-26 से दूसरे राज्य के छात्र जो प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट (यूजी) और पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) कोर्सेस में दाखिला लेना चाहते हैं, उन्हें प्रवेश से पहले संबंधित विश्वविद्यालय से पात्रता प्रमाण पत्र (Eligibility Certificate) लेना जरूरी होगा।
यह नया नियम प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और गैर-योग्य छात्रों को प्रवेश से रोकने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
📝 पात्रता प्रमाण पत्र अब रजिस्ट्रेशन से पहले जरूरी
पहले छात्रों को कॉलेज में एडमिशन मिलने के बाद पात्रता प्रमाण पत्र बनवाना पड़ता था, लेकिन अब यह प्रमाण पत्र ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से पहले लेना होगा।
बिना इस प्रमाण पत्र के छात्र प्रवेश प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। इससे छात्र समय पर सही डाक्यूमेंट्स जमा कर सकेंगे और किसी भी तरह की गलती या झंझट से बच सकेंगे।
⚠️ बीयू में पात्रता प्रमाण पत्र देने में देरी, छात्रों को परेशानी
भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) में फिलहाल पात्रता प्रमाण पत्र जारी करने में देरी हो रही है, जिससे छात्र असमंजस में हैं।
विश्वविद्यालय के अधिकारी बताते हैं कि उच्च शिक्षा विभाग से समय पर निर्देश नहीं मिलने के कारण अभी तक पूरी प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी और छात्र अपने पात्रता प्रमाण पत्र ऑनलाइन डाउनलोड भी कर सकेंगे।
🚫 अपात्र छात्रों के एडमिशन पर रोक, परीक्षा विवाद खत्म होगा
नए नियम से यह सुनिश्चित होगा कि केवल योग्य छात्र ही कॉलेजों में प्रवेश लें। पहले कई बार ऐसा होता था कि छात्र प्रवेश तो ले लेते थे, लेकिन बाद में पात्रता साबित नहीं कर पाते थे।
इससे विश्वविद्यालय पर परीक्षा कराने का दबाव बनता था और कभी-कभी मामले कोर्ट तक भी पहुंच जाते थे। अब इस प्रक्रिया से समय पर सही डाक्यूमेंट्स जमा होने से इस तरह की समस्याएं कम होंगी।
🎓 एमपी के स्थानीय छात्रों को राहत
मध्य प्रदेश के स्थायी निवासी जिनके पास एमपी बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई या किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण है, उन्हें पात्रता प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं होगी।
लेकिन जो छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रम, आईटीआई या 11वीं पास कर स्नातक में दाखिला लेना चाहते हैं, उन्हें विश्वविद्यालय से यह प्रमाण पत्र जरूर लेना होगा।
⚖️ बीयू में बीपीएड कोर्स की पात्रता विवाद
बीते कुछ वर्षों में बीयू में बीपीएड कोर्स के छात्रों की पात्रता को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। कई छात्र पहले एडमिशन लेकर बाद में अपात्र पाए गए। विश्वविद्यालय ने परीक्षा रोक दी, तो छात्रों ने कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट के आदेश पर इन छात्रों की परीक्षा कराई गई, लेकिन बाद में रिजल्ट रोक दिया गया। विश्वविद्यालय ने यह भी कहा था कि जब उच्च शिक्षा विभाग एडमिशन देता है, तो पात्रता प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है, लेकिन अब इस फैसले पर फिर से विचार करना होगा।
इस बदलाव से कॉलेज एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और सही योग्य छात्र ही आगे बढ़ पाएंगे। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
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