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MP Government School Smart Class Touch Screen Display Photograph: (the sootr)
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BHOPAL : सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को भी डिजिटल संसाधनों से पढ़ाने की तैयारी जारी है। ऐसे स्कूलों में भी संभवतया नए शैक्षणिक सत्र में डिजिटल क्लास रूम शुरू हो जाएंगे। आधुनिक शिक्षा माध्यमों के विस्तार के सरकारी प्रयासों में विभागीय अधिकारी पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे। लगातार विवादित कार्यप्रणाली की वजह से सरकार भी अब राज्य शिक्षा केंद्र यानी एसएसए की कारगुजारियों से सतर्क हो चुकी है। सरकार के इशारे पर स्कूल शिक्षा विभाग ने डिजिटल क्लास के लिए 100 करोड़ रुपए की टच स्क्रीन डिस्प्ले खरीदने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा केंद्र से वापस ले ली है। इसकी वजह खरीदारी प्रक्रिया का खराब ट्रैक रिकॉर्ड बताया जा रहा है।
100 करोड़ के टच स्क्रीन डिस्प्ले खरीदी
स्मार्ट क्लास के लिए 100 करोड़ रुपए के टच स्क्रीन डिस्प्ले खरीदी के पूरे मामले की जानकारी देते हैं। दरअसल सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था के आधुनिकीकरण पर केंद्र और राज्य सरकार का फोकस है। नई शिक्षा नीति में भी इसका उल्लेख है। कार्ययोजना के चलते केंद्र सरकार से स्कूलों में कक्षा को स्मार्ट बनाने बड़ी राशि बजट के रूप में दी गई है। करीब 100 करोड़ रुपए की इस राशि से सरकारी स्कूल की कक्षाओं में लगाने के लिए टच स्क्रीन डिस्प्ले खरीदे जाने हैं। पहले स्कूल शिक्षा विभाग के लिए टच स्क्रीन डिस्प्ले की खरीदी का दायित्व राज्य शिक्षा केंद्र को सौंपा गया था। लेकिन खरीदी प्रक्रिया को बीच में रोककर विभाग ने अब जिला स्तर पर खरीदारी के आदेश दिए हैं। जिले के चिन्हित स्कूलों के लिए अब टचस्क्रीन डिस्प्ले कलेक्टर की निगरानी में खरीदे जाएंगे।
तो इसलिए वापस ली गई जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग ने अचानक Rajya Shiksha Kendra से 100 करोड़ की खरीदी की जिम्मेदारी अचानक वापस क्यों ली, इसके बारे में बताते हैं। विभागीय दायित्वों में हीलाहवाली Rajya Shiksha Kendra की कार्यशैली बन चुकी है। कई बार विभागीय दायित्वों को पूरा करने में ही राज्य शिक्षा केंद्र साल छह महीने गुजार देता है। 100 करोड़ की खरीदी के आदेश पर अफसरों के इरादों की भनक सरकार तक पहुंच गई थी। चर्चा है अधिकारी इंटरेक्टिव डिसप्ले पैनल की खरीदारी में अपनी जेबें भरने की कोशिशों में जुट गए थे। इसके लिए अपनी जानी-पहचानी फर्मों और सप्लायरों से भी संपर्क शुरू हो गए थे। वहीं एक कंपनी को पहले ही तय भी कर लिया गया था।
कलेक्टर कराएंगे डिसप्ले खरीदी
शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास के लिए इंटरेक्टिव फ्लैट पैनलों की खरीदी का दायित्व र पर कलेक्टरों को अधिकार दे दिए है। कलेक्टरों को गुणवत्ता वाले टच स्क्रीन इंटरैक्टिव पैनलों की खरीदी तय करने नियमों की बाध्यता में भी छूट दी गई है। बताया जा रहा है कि इस संबंध में Rajya Shiksha Kendra संचालक हरजिंदर सिंह ने आदेश भी जारी कर दिए हैं। इंटरेक्टिव फ्लैट पैनल एक टच स्क्रीन डिसप्ले होता है जिसमें इंटरेक्टिव सॉफ्टवेयर होता है। इन पैनलों को दीवार पर लगाया जा सकता है या स्टैंड पर रखा जा सकता है। यह 55 इंच से लेकर 98 इंच तक के आकार के भी हो सकते हैं। इन पैनलों का उपयोग क्लासरूम में बोर्ड के रूप में पढ़ाई करने में किया जाएगा।
स्कूल-हॉस्टल में 4310 क्लासरूम होंगे स्मार्ट
100 करोड़ रुपए के बजट से नए शिक्षण सत्र में प्रदेश की 1960 मिडिल स्कूलों के दो-दो क्लास रूम, 390 नेताजी सुभाषचंद्र बोस हॉस्टलों के एक-एक क्लास रूम सहित कुल 4310 क्लासरूम में इंटरेक्टिव टन स्क्रीन पैनल लगाए जाने हैं। इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र की कार्यसमिति में हुई स्वीकृति के आधार पर कलेक्टरों की अध्यक्षता वाली समिति जिला स्तर पर खरीद प्रक्रिया में लग गई है। इन पैनलों को नए शिक्षण सत्र से पहले ही खरीदारी करते हुए क्लास रूम में इंस्टॉल कराने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। इसका फायदा नए सत्र में मिडिल स्कूल में आने वाले बच्चों को होगा।
खरीदी के लिए बनाई समिति का गठन
स्मार्ट क्लासेस के लिए इंटर एक्टिव पैनल की खरीदी की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा केंद्र के पास है। Rajya Shiksha Kendra द्वारा इन पैनलों की खरीदी के लिए एक समिति का गठन किया गया है। समिति का काम ऐसे मापदंडों का चयन करना था, जिससे गुणवत्तापूर्ण पैनलों की खरीदी की जा सके। जिला स्तर पर निविदाएं आमंत्रित करने की अनुशंसा भी की गई। विभाग के अफसरों पर आरोप है कि राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक द्वारा इस प्रक्रिया में छेड़छाड़ कर घटिया क्वालिटी का सामान खरीदने की तैयारी में है।
बीजेपी नेता ने की थी शिकायत
बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विजय शर्मा ने इंटरेक्टिव पैनल खरीदी की शिकायत की थी। आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग यानी ईओडब्लू में की गई शिकायत में उन्होंने खरीदी में गड़बड़ी का अंदेशा जताया था। उनका कहना था कि Rajya Shiksha Kendra द्वारा थोक में 100 करोड़ रुपए के इंटरेक्टिव पैनल खरीदने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए टेंडर की शर्तों को बदला गया है। इसमें कंपनी विशेष को ही लाभ पहुंचाने कुछ शर्तें जोड़ी गई हैं। विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाली इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां भी राज्य शिक्षा केंद्र की मनमानी शर्तें पूरी नहीं कर सकी हैं। बताया जाता है केंद्र की मनमानी का मामला स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह तक भी पहुंच गया है। इन शिकायत और टेंडर प्रक्रिया के दोषों के चलते ही खरीद प्रक्रिया को राज्य शिक्षा केंद्र से वापस ले लिया गया है। वहीं शिकायत को देखते हुए ईओडब्लू ने भी टेंडर प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। शिकवे शिकायतों के बीच राज्य शिक्षा केंद्र ने पूरक आदेश जारी कर दिए हैं। अब जिला स्तर पर खरीदारी का जिम्मा कलेक्टरों को सौंपा गया है।