13 फीसदी रिजल्ट को लेकर मप्र शासन के X संदेश ने फैला दिया असमंजस, एक परीक्षा विशेष के रिजल्ट पर ही लागू

मप्र सरकार द्वारा X  पर जो संदेश डाला गया, उससे भारी असमंजस फैल गया और 13 फीसदी कैटेगरी में अटके अनारक्षित और ओबीसी उम्मीदवार परेशान हो गए। लेकिन इस मामले में एक जुलाई अहम साबित होने वाला है। 13 फीसदी लेकर पूरी विस्तृत रिपोर्ट द सूत्र में। 

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Sanjay gupta
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हाईकोर्ट में एक याचिका 6036/2023 खारिज होने के बाद कर्मचारी चयन मंडल ( ESB ) की समूह 3, उपयंत्री, मान चित्रकार, समयपाल व समक्षकक्ष पदों की सीधी व बैकलॉग भर्ती के लिए संयुक्त परीक्षा में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पर भर्ती दी रही है। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने पत्र भी जारी कर दिया है, लेकिन इसके बाद मप्र सरकार द्वारा X  पर जो संदेश डाला गया, उससे भारी असमंजस फैल गया और 13 फीसदी कैटेगरी में अटके अनारक्षित और ओबीसी उम्मीदवार परेशान हो गए। लेकिन इस मामले में एक जुलाई अहम साबित होने वाला है। 13 फीसदी लेकर पूरी विस्तृत रिपोर्ट द सूत्र में। 

यह था सरकार का संदेश

1.अन्य पिछड़ा वर्ग के शेष 13 प्रतिशत अभ्यार्थियों की नियुक्ति का रास्ता हुआ साफ
2. कर्मचारी चयन मंडल आयोग द्वारा 2022 में आयोजित संयुक्त परीक्षा का है मामला
3. उच्च न्यायालय ने 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर दायर याचिका की DISMISS  
4. कर्मचारी चयन मंडल के द्वारा समूह-3, उपयंत्री, मान चित्रकार, समयपाल, एवं समकक्ष पदों की सीधी एवं बैकलॉग भर्ती के लिए संयुक्त परीक्षा 2022 आयोजित की गई थी। चयन परीक्षा का परीक्षा परिणाम कर्मचारी चयन मंडल द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यार्थियों को को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देते हुए घोषित किया गया था। घोषित परीक्षा परिणाम में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक 6036/ 2023 दायर की गई।

न्यायालीन प्रकरण को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी चयन मंडल आयोग द्वारा 87 प्रतिशत रिक्त पदों के लिए नियुक्ति आदेश जारी  किए गए। इसमें ओबीसी के 14 फीसदी आरक्षण के आधाऱ् पर अभ्यर्थियों के नियुक्ति आदेश जारी किए गए। इस रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा याचिका क्रमांक 6036/23 को डिसमिस कर दिया गया। इस अंतिम निर्णय के बाद ओबीसी के शे, 13 फीसदी अभ्यर्थियों की नियुक्ति का भी मार्ग खुल गया।

इन मामलों के देख रहे अधिवक्ता क्या बोल रहे

जबलपुर में लंबे समय से विविध याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रामेशवर ठाकुर ने इस नियुक्ति का कारण बताते हुए कहा कि – मप्र शासन के 37 विभागों में 3500 करीब पदों की भर्ती का मामला है। इसकी पूरी प्रक्रिया हो चुकी थी मेरिट बन चुकी थी फरवरी 2023 में ही लेकिन अपाईमेंट लेटर जारी नहीं हुए। इसे लेकर इंदौर हाईकोर्ट में याचिका 6036 लगी थी। इसमें आए अंतरिम आदेश पर महाधिवक्ता कार्यालय से 12 जून 2023 को अभिमत दिया गया इसके आधार पर जीएडी ने सर्कुलर जारी किया और ओबीसी के 13 फीसदी पद होल्ड हो गए।

इसके बाद जबलपुर में यह याचिका शिफ्ट हुई। यहां पर सुनवाई हुई और 21 फरवरी 2024 को यह याचिका 6036 इसलिए डिसमिस हो गई क्योंकि याचिकाकर्ता खुद फेल हो गया था और उसे कटआफ अंक नहीं मिले थे। इसके बाद बात आई कि जो नियुक्ति 13 फीसदी को होल्ड है वह होना चाहिए। आचार संहिता आदि के चलते यह रूकी थी, अब मप्र शासन ने होल्ड की नियुक्ति प्रक्रिया का पत्र जारी कर दिया है। अभी सुप्रीम कोर्ट में नौ ट्रांसफर याचिकाएं लंबित है और हाईकोर्ट में डिविजनल बैंच में चल रही याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से रूकी है।

यह आदेश केवल एक परीक्षा के लिए

दरअसल यह आदेश केवल एक सिंगल परीक्षा के समूह 3, मान चित्रकार, समयपाल व समकक्ष पदों के लिए हुई संयुक्त परीक्षा 2022 को लेकर है। इसका रिजल्ट व ज्वानिंग प्रक्रिया मप्र शासन द्वरा ईएसबी में जनवरी 2024 में लागू किए गए 87-13 फीसदी फार्मूले से पहले ही शुरू हो गई थी। लेकिन ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिका लग जाने के कारण बाकी 13 फीसदी ओबीसी की ज्वाइनिंग रूक गई। जिस याचिकाकर्ता की याचिका के कारण यह हुआ, वह खुद परीक्षा में असफल घोषित हो चुका है। इन सभी के चलते यह याचिका खारिज हो गई। इसके बाद रूके रिजल्ट के आधार पर ज्वाइनिंग का रास्ता साफ हो गया था। चुनाव के चलते प्रक्रिया रूकी थी। एडवोकेट जनरल इसकी ज्वाइनिंग को लेकर पहले ही विधिक सलाह दे चुके थे। इसके बाद शासन ने इसे लेकर आदेश जारी कर दिए।

पीएससी के लिए जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले पर नजर

उधर एक याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में 13 फीसदी कैटेगरी में रूके पीएससी के रिजल्ट, सूची जारी करने पर लगी है। इसमें चार अप्रैल को ही हाईकोर्ट पीएससी को आदेश दे चुका है कि वह इस कैटेगरी के उम्मीदवारों की सूची सार्वजनक करें, लेकिन मप्र शासन ने इसमें आपत्ति लगा दी है। इसमें अब 1 जुलाई को सुनवाई होगी। इससे आगे की स्थिति साफ होगी कि हाईकोर्ट अब आगे क्या आदेश देगा। 

शासन हाईकोर्ट में बोल चुका है हम सुलझा रहे है मामला- 1 जुलाई अहम

जबलपुर हाईकोर्ट की डिवीजल बैंच जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ की बैंच में इन्हीं मामलों की सुनवाई के दौरान 3 मई 2023 को राज्य शासन से आश्वासन दिया गया कि राज्य इस मुद्दे को हल करने पर विचार कर रहा है और इन मामलों को 1 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में उठाया जाना चाहिए। 

पटवारी व अन्य परीक्षाओं में भी 100 फीसदी पर ही हुई भर्ती

दरअसल ईएसबी की जिन परीक्षाओं के रिजल्ट अगस्त 2023 के पहले जारी हुए, उन सभी में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के आधार पर 100 फीसदी पदों पर भर्ती हुई है। खुद विवादित पटवारी परीक्षा में भी इसी तरह भर्ती हुई है। बाकी अन्य परीक्षाओं में भी। अगस्त 2023 में मप्र हाईकोर्ट ने ईएसबी मामले में याचिका पर सुनवाई में फिर आदेश दिए थे कि 14 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आरक्षण पर भर्ती नहीं हो सकती। कुछ औऱ् परीक्षाओं में जिसमें उम्मीदवार 27 फीसदी आरक्षण रोकने के लिए हाईकोर्ट गए, इसमें राहत दी गई थी। इन विवादों के बाद मप्र शासन ने जनवरी 2024 में 87-13 फीसदी फार्मूला यहां पर लागू किया।

यह फार्मूला तो PSC में सितंबर 2022 से लागू

मप्र शासन ने सबसे पहले 87-13 का फार्मूला सितंबर 2022 में मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की परीक्षाओं में लागू किया, क्योंकि यहां रिजल्ट लंबे समय से रूक रहे थे। यह फार्मूला सबसे पहले राज्य सेवा परीक्षआ 2019 पर लागू हुआ, इसके बाद सभी के रिजल्ट इसी से निकले। इसके चलते केवल राज्य सेवा परीक्षा 2019, 2020, 2021 के अंतिम रिजल्ट आने के बाद भी 13 फीसदी कैटेगरी में 171 पद और 600 उम्मीदवार रुके हैं और साथ ही 33 हजार से ज्यादा उम्मीदवारों को अपने अंक तक नहीं पता और ना ही कॉपियां देख पा रहे हैं।

ओबीसी आरक्षण पर हो क्या रहा है

1. साल 2019 में मप्र में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी, एसटी को 20 और एससी को 16 फीसदी और 50 फीसदी अनारक्षित का था।

2.साल 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी का आरक्षण जो 14 फीसदी था उसे 27 फीसदी कर दिया, इस तरह कुल आरक्षण 50 फीसदी की लिमिट को क्रास कर 63 फीसदी हो गया, अनारक्षित के लिए 37 फीसदी पद रहे।

3. इसे लेकर कोर्ट में याचिकाएं लग गई। कोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को आदेश देते हुए 27 फीसदी आरक्षण पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि ओबीसी को अधिकतम आरक्षण 14 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। 

4. इसके बाद मप्र सरकार 27 फीसदी आरक्षण देने की मंशा के साथ सुप्रीम कोर्ट गई, और सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो गई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से इन ट्रांसफर याचिकाओं पर स्थिति साफ नहीं होती, तब तक हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। इस मामले में 80 से ज्यादा याचिकाएं दायर है। 

इस तरह शासन ने इस विवाद में निकाला 87-13 फीसदी का फार्मूला

पीएससी हो या ईएसबी इसलिए अटक गई है क्योंकि पदों का बंटवारा मप्र शासन की आरक्षण नीति के तहत ही होता है। इसी आधार पर परीक्षा नोटिफिकेशन जारी होते हैं और इसमें साफ लिखा होता है कि मप्र की आरक्षण नीति के तहत पदों का बंटवारा है। अब मप्र शासन ने पद 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दिया हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट ने 14 फीसदी से ज्यादा पर रोक लगाई है। इस विवाद से बचने के लिए और भर्ती लंबे समय के लिए नहीं रूके इसके लिए मप्र शासन ने यह बीचका रास्ता सितंबर 2022 में निकाला और कहा कि 14 फीसदी ओबीसी, 20 फीसदी एसटी और 16 फीसदी एससी आरक्षण के लिए 50 फीसदी पद आरक्षित वर्ग को, 37 फीसदी पद अनारक्षित को देते हैं। बाकी 13 फीसदी में अभी ओबीसी और अनारक्षित दोनों को रख लेते हैं, जिसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फैसला आएगा, यह पद उस कैटेगरी में दे दिए जाएंगे। 

शासन की इस नीति की आलोचना इसलिए

दरअसल शासन ने मप्र में विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव को देखते हुए ओबीसी वर्ग को संभालने के लिए इस मुद्दे में हाईकोर्ट से आदेश होने के बाद भी मजबूत फैसला नहीं लिया। मप्र शासन को हाईकोर्ट से साफ आदेश था कि 14 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आरक्षण नहीं हो यानी कि वह पुरानी आरक्षण नीति के तहत 100 फीसदी पदों पर भर्ती दे सकती थीृ, लेकिन उसने अपने इस फार्मूलेबाजी में ओबीसी और अनारक्षित दोनों ही वर्ग को लंबे समय के लिए लटका दिया। पीएससी के उम्मीदवार सितंबर 2022 से अटके तो ईएसबी वाले जनवरी 2024 से ही अटका दिए गए हैं। 

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sanjay gupta

 

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