मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों का नियमितिकरण ( Regularization ) का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इसको लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ( School Education Minister Rao Uday Pratap Singh) ने इस मुद्दे पर एक विवादास्पद बयान दिया, जिससे शिक्षकों में नाराजगी बढ़ गई है। मंत्री ने कहा कि अतिथि शिक्षकों का नाम ही 'अतिथि' है, आप मेहमान बनकर आए हो तो क्या घर पर कब्जा कर लोगे?
अतिथि शिक्षकों की मांगों पर मंत्री का रुख
शिक्षकों की नियमितिकरण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच मंत्री ने कहा कि अतिथि शिक्षक केवल उन्हीं जगहों पर लगाए जाते हैं जहां शिक्षकों की कमी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अतिथि शिक्षकों के हितों (Guest Teachers Interests) की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है, लेकिन नियमितिकरण संभव नहीं है क्योंकि इससे वित्तीय भार बढ़ जाएगा। मंत्री ने साफ किया कि जहां आवश्यकता पूरी हो चुकी है, वहां अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
कांग्रेस ने मंत्री से माफी की मांग की
मंत्री के बयान पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jeetu Patwari) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि शिक्षा मंत्री को अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। पटवारी ने कहा कहा कि सरकार के मंत्री का ऐसा बयान अस्वीकार्य है। अतिथि शिक्षक सरकार के लिए सेवाएं दे रहे हैं और उनके साथ इस तरह का व्यवहार करना अनुचित है।
अतिथि शिक्षकों का आंदोलन
10 सितंबर 2024 को 8 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षकों ने भोपाल में अपने नियमितिकरण (Regularization) और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान बारिश में 6 घंटे तक प्रदर्शन जारी रहा। अतिथि शिक्षक संघ ने सरकार से अपने अनुबंध को बढ़ाने और नियमित नियुक्ति की मांग की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री का वादा अधूरा
अतिथि शिक्षकों का आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने 2023 में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने और उन्हें गुरुजी के समान वेतन देने का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार (Sunil Singh Parihar) ने कहा कि सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए और अतिथि शिक्षकों की मांगों को पूरा करना चाहिए।
हितों की रक्षा का आश्वासन
अतिथि शिक्षकों के हितों की सुरक्षा को लेकर मंत्री ने कहा कि विभाग युक्ति युक्तकरण (Rationalization) के तहत काम कर रहा है। इस प्रक्रिया के जरिए जहां जरूरत है, वहां शिक्षकों की पूर्ति की जा रही है ताकि पढ़ाई पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
काउंसलिंग प्रक्रिया जारी
अब तक 10 हजार अतिथि शिक्षकों की काउंसलिंग हो चुकी है, जिसमें से 3 हजार शिक्षकों की काउंसलिंग अभी बाकी है। यह काउंसलिंग प्रक्रिया राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति को सुचारु रूप से करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार और अतिथि शिक्षकों के बीच बनी सहमति
हाल ही में सरकार और अतिथि शिक्षकों के बीच कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी थी। इसमें प्रमुख बिंदु यह था कि अतिथि शिक्षकों का 10 माह का सेवाकाल/अनुबंध तय किया गया है। साथ ही जिन अतिथि शिक्षकों का परीक्षा परिणाम 30% से कम है, उन्हें भी आगामी सत्र में नियुक्ति का एक और मौका दिया जाएगा।
मुख्य बिंदु जिन पर बनी सहमति
- अतिथि शिक्षकों का 10 माह का सेवाकाल/अनुबंध होगा।
- सत्र के बीच में किसी अतिथि शिक्षक को बाहर नहीं किया जाएगा।
- स्कोर कार्ड (Score Card) में प्रति वर्ष के अनुभव के लिए 10 अंक और अधिकतम 15 वर्षों के लिए 150 अंक जोड़े जाएंगे।
- रिटायर्ड शिक्षकों की भांति अनुभव के आधार पर अंक दिए जाएंगे।
ऐसी भाषा बोलने वालों पर नकले कसना चाहिए : सिंघार
वाह शिक्षा मंत्री जी ... !!!
— Umang Singhar (@UmangSinghar) September 18, 2024
आपके बोल #BJP के संस्कार और सभ्यता वाली शिक्षा दर्शाते हैं! #अतिथि_शिक्षकों के बारे में आपने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया वो घोर आपत्तिजनक है!
जिस देश में बच्चों को #अतिथि_देवो_भव के संस्कार दिए जाते हों, वहां नेताओं के ऐसे बोल शोभा नहीं देते!… pic.twitter.com/4zrk2yzkfH
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने एक्स पर लिखा- वाह शिक्षा मंत्री जी… !!! आपके बोल BJP के संस्कार और सभ्यता वाली शिक्षा को दर्शाते हैं! अतिथि शिक्षकों को लेकर आपने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वो घोर आपत्तिजनक है! जिस देश में बच्चों को अतिथि देवो भव के संस्कार दिए जाते हों, वहां ऐसे बोल शोभा नहीं देते! अतिथि शिक्षकों के जो अधिकार हैं, वो उन्हें मिलना ही चाहिए और कांग्रेस वो उन्हें दिलाकर रहेगी! अब ये CM की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी भाषा बोलने वालों पर नकेल कसें।
कुणाल चौधरी ने कहा यह घर मध्यप्रदेश की जनता का है
इस मामले को लेकर पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि यह आपके और आपके पिताजी का घर नहीं है। यह घर हिंदुस्तान की जनता और मध्य प्रदेश की जनता का है। यह उनका अधिकार है कि नियमित रोजगार प्राप्त करें। सरकार ने राजनीति के लिए अतिथि शिक्षकों से कई बार बड़ी-बड़ी बातें की हैं। अपना अधिकार मांग रहे अथिति शिक्षकों को लेकर सरकार निर्लज्जता का व्यवहार कर रही है। इस मामले पर सीएम डॉ मोहन यादव को जवाब देना चाहिए।
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