आज ग्वालियर में महाराज श्रीमंत जीवाजी राव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने ग्वालियर के लोगों को यह अनूठी सौगात दी। दरअसल, उपराष्ट्रपति ने देश के पहले जियो साइंस म्यूजियम का उद्घाटन किया। उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं भी दीं।
पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए एक नई पहचान
ग्वालियर में देश का पहला जियो साइंस म्यूजियम तैयार हो गया है, जो अब पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए एक नई पहचान बन गया है। 35 करोड़ रुपए की लागत से तैयार इस म्यूजियम में पृथ्वी के विकास से लेकर जीवन के विकास तक की जानकारी मिलेगी। यह म्यूजियम ग्वालियर के ऐतिहासिक महाराज बाड़ा स्थित विक्टोरिया बिल्डिंग में स्थित है। यह संग्रहालय भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और खान मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से तैयार किया गया है, और जल्द ही इसका उद्घाटन केंद्रीय खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे द्वारा किया जाएगा।
मिलेगा हर सवाल का जवाब
इस म्यूजियम के जरिए आपको उन सवालों के जवाब आसानी से मिल जाएंगे जो आज भी हर किसी के मन में उठते हैं। पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ? पृथ्वी का केंद्रीय कोर कैसा है? अगर हमें पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचना है तो हम वहां कैसे पहुंचेंगे और क्या होगा? पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई? ज्वालामुखी कैसे सक्रिय होते हैं? भूकंप आने पर क्या होता है? धरती पर डायनासोर कैसे विलुप्त हो गए? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आप ग्वालियर में बने जियो साइंस म्यूजियम से आसानी से जान सकते हैं।
जीवन के विकास पर आधारित गैलरी
म्यूजियम की दूसरी गैलरी जीवन के विकास पर केंद्रित है, जिसमें विशेष रूप से जीवों के उत्थान और विकास के ऐतिहासिक पहलुओं को दर्शाया गया है। यह गैलरी जीवन के उत्पत्ति से लेकर पृथ्वी पर विभिन्न प्रजातियों के अस्तित्व में आने तक की जानकारी प्रदान करती है, जो शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।
दुनिया भर से आई दुर्लभ चीजें
इस म्यूजियम की एक विशेषता यह है कि इसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लाई गई दुर्लभ वस्तुएं रखी गई हैं, जैसे अंटार्कटिका और जापान से लाए गए रत्न और कीमती हीरे। इन दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह म्यूजियम की शोभा बढ़ाता है और दर्शकों को पृथ्वी के खगोलीय और भौगोलिक रहस्यों से परिचित कराता है।
ग्वालियर को मिलेगी नई पहचान
इस संग्रहालय के बनने से ग्वालियर को नई पहचान मिलेगी, क्योंकि यह शहर न केवल पर्यटन बल्कि भूविज्ञान के क्षेत्र में भी एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित होगा। साथ ही ग्वालियर आने वाले पर्यटकों और छात्रों को भी नई जानकारी और शोध के अवसर मिलेंगे।
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