खबर का असर : एक जैसी गड़बड़ी पर अस्पताल सील, गर्भजांच केंद्र को अभयदान

ग्वालियर में सीएमएचओ ने लिंग परीक्षण के अवैध कारोबार के आरोपों से घिरे अस्पताल को सील कर दिया है। लेकिन सोनोग्राफी सेंटर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, अब इस कार्रवाई को लेकर सवाल उठे हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 'द सूत्र' की खबर को खबर का असर हुआ है। लिंग परीक्षण के अवैध कारोबार के आरोपों से घिरे ग्वालियर के अस्पताल को प्रशासन ने सील कर दिया है। अस्पताल और सोनोग्राफी सेंटर को लेकर बार-बार शिकायत सामने आ रही थीं। एक साल में 4 बार निरीक्षण में सीएमएचओ को भी यहां भारी खामियां मिली थीं। अस्पताल और गर्भजांच केंद्र पर कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को भी पत्र लिखना पड़ा था। अफसरों को आयोग के निर्देश के बाद कार्रवाई में पूरा एक साल लग गया। लेकिन सोनोग्राफी सेंटर खुला छोड़ दिया गया है जिससे सीएमएचओ की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

'द सूत्र' ने प्रमुखता से उठाया था मामला

अक्टूबर में 'द सूत्र' ने भी यह मामला प्रमुखता से उठाया था। हम जिस अस्पताल पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं वह अस्पताल एफपीए द्वारा संचालित है। ग्वालियर सीएमएचओ डॉ.सचिन श्रीवास्तव द्वारा हाल ही में गोले का मंदिर क्षेत्र स्थित इस अस्पताल को सील कर दिया गया है। इसकी वजह प्रशासन को औचक निरीक्षण में मिली कमियां, गड़बड़ी, अस्पताल और गर्भ जांच केंद्र के संचालन में धांधली और लिंग परीक्षण के आरोप बताए जा रहे हैं।

CMHO डॉ.सचिन श्रीवास्तव की ओर से बताया गया कि अस्पताल रीप्रोडक्शन सेक्सुअल हैल्थ एंड चाइल्ड हैल्थ केयर में कई अनियमितताएं जांच के दौरान पाई गई थीं। इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन को नोटिस दिया गया, लेकिन संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। अस्पताल और गर्भ जांच केंद्र में सुधार भी नहीं किए गए। इस वजह से नियमों का उल्लंघन देखते हुए रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस निरस्त कर अस्पताल को सील किया गया है।

एक जैसी गड़बड़ी पर दोहरी कार्रवाई पर सवाल

यहां पेंच इस बात को लेकर है कि जब चार बार निरीक्षण के दौरान दो सीएमएचओ को अस्पताल और सोनोग्राफी सेंटर में गड़बड़ी मिली फिर भी साल भर तक अस्पताल प्रबंधन का मौका सुधार के लिए क्यों दिया गया। यह दरियादिली भी तब दिखाई गई जब अस्पताल प्रबंधन प्रशासन की अनदेखी कर नियमों को तोड़ता रहा। गर्भजांच केंद्र का डेटा उपलब्ध नहीं कराया, अस्पताल में कौन-कौन डॉक्टर पदस्थ है यह नहीं बताया। खराब हो चुकी दवाओं को रखा पाया गया था।

यहां सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब गड़बड़ी अस्पताल और उसी के एक हिस्से में चल रहे गर्भ जांच केंद्र में मिली थी तो सील केवल अस्पताल को क्यों किया गया। सोनोग्राफी सेंटर को दूसरे दरवाजे से खोलने की अनुमति भी हास्यास्पद है। यानी सीएमएचओ द्वारा अस्पताल और सेंटर की कमियां तो गिनाई गईं लेकिन सेंटर को बिना किसी कार्रवाई के ही छोड़ दिया गया।

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अनाधिकृत गर्भजांच के आरोपों से घिरा सेंटर

ग्वालियर के गोले का मंदिर क्षेत्र में रीप्रोडक्शन सेक्सुअल हैल्थ एंड चाइल्ड हैल्थ केयर अस्पताल एवं सोनोग्राफी सेंटर का संचालन किया जाता है। अस्पताल और सोनोग्राफी सेंटर परिवार नियोजन के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एफपीए द्वारा अधिकृत करते हुए रजिस्ट्रेशन कराया गया था। संस्था के तकनीशियन ही सेंटर का संचालन कर रहे हैं। इस सेंटर में लिंग परीक्षण, गर्भपात के आरोपों की शिकायतों को देखते हुए साल 2023 से लेकर सितंबर 2024 के बीच चार बार औचक निरीक्षण किया गया। तत्कालीन सीएमएचओ आरके राजौरिया ने साल 2023 और फिर 2024 के शुरूआती महीनों में दो बार गोले का मंदिर और फूलबाग स्थित एफपीए की दो अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। दोनों ही बार सीएमएचओ को भारी अनियमितताएं यहां मिली थीं। सीएमएचओ को सोनोग्राफी सेंटर पर एक गर्भवती महिला जांच कराती मिली थी। उनके पहुंचते ही यहां काम कर रही डॉक्टर सेंटर छोड़कर भाग गई थी। जिसका जिक्र सीएमएचओ ने उस नोटिस में किया है जो इन दोनों अस्पतालों को दिया गया था।

सालभर तक दो अफसरों की नजरे इनायत

सितंबर 2023 फिर अप्रेल 2024, जुलाई 2024 में भी सीएमएचओ और प्रशासन की टीम ने दोनों अस्पतालों में गड़बड़ियों की पड़ताल की। अधिकारियों ने अपनी निरीक्षण निरीक्षण में खामियां का उल्लेख किया। इन्हीं नोटिसों में अस्पताल का प्रबंधन करने वाली संस्था को चेतावनी देकर कार्रवाई का भी हवाला दिया गया। लेकिन अस्पताल की ओर से अपनी खामियों, शिकायत और आरोपों को लेकर कोई जवाब पेश नहीं किया। अस्पतालों की मनमानी और बार-बार सामने आ रही शिकायतें तत्कालीन कलेक्टर के सामने भी पहुंची थीं। इसके बावजूद निरीक्षण और नोटिसों के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इस बीच सीएमएचओ डॉ. राजौरिया की विदाई हो गई और डॉ.सचिन श्रीवास्तव ने सीएमएचओ का कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने भी शिकायतों के आधार पर तीन महीने पहले दोनों अस्पतालों का निरीक्षण किया था। उन्हें भी पुरानी गड़बड़ियां मिलीं, सोनोग्राफी सेंटर पर हो रही जांचें संदेहास्पद पाई गईं थीं। सेंटर का रजिस्ट्रेशन सीएमएचओ को नहीं दिखाया गया और पूर्व में हुई जांचों का ब्यौरा भी पेश नहीं किया गया। लेकिन इस बार भी सीएमएचओ की ओर से लंबा-चौड़ा नोटिस भेजा गया था।

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