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मोबाइल फोन उगल सकता है नेहा के शिकार बने अफसरों के नाम
राजधानी भोपाल में एक बार फिर हनीट्रैप चर्चा में है। हालांकि इस बार मंत्री के पूर्व ओएसडी हनीट्रैप में फंसने से बच निकले हैं। वहीं जाल फेंकने वाली रीवा की महिला नेहा त्रिपाठी अब जेल में है। नेहा, डॉ. रजक को फांसने में भले ही चूक गई, लेकिन वह कई लोगों से अपने जाल के जरिए वसूली कर चुकी है।
उसके द्वारा लोगों पर दर्ज कराए 32 केस कोर्ट खारिज कर चुका है। इससे समझा जा सकता है कि नेहा कितने बड़े स्तर पर हनीट्रैप के सहारे जालसाजी कर रही थी। पुलिस को कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। नेहा खुद को पत्रकार बताकर लोगों पर दबाव बनाती थी।
पुलिस को उसने सामाजिक कार्यकर्ता होने के बारे में बताया है। रीवा से लेकर राजधानी तक कैसे प्रशासनिक अधिकारी नेहा के चंगुल में फंस जाते थे, यह भी काफी दिलचस्प है। प्रदेश में दूसरी बार हनीट्रैप को सुर्खियों में लाने वाली महिला नेहा सिंह कौन है पढ़िए द सूत्र की ये खबर।
कौन है नेहा सिंह ?
कहानी क्लाइमेक्स से शुरू करते हैं। बीते शुक्रवार ( 7 जून ) को पीएचई विभाग के अवर सचिव डॉ. जीवन रजक ने पुलिस अधिकारियों से शिकायत की थी। वे पूर्व में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के ओएसडी रह चुके हैं।
रजक ने नेहा त्रिपाठी के हनीट्रैप के बारे में बताया। इसके बाद हबीबगंज थाने में नेहा पर केस दर्ज कर पुलिस ने उसे एक होटल से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने नेहा से पूछताछ करते हुए उसके बारे में जानकारी जुटाई तो तीन दर्जन से ज्यादा लोगों को जाल में फंसाने का पता चला। नेहा हर बार लोगों से अच्छे संपर्क बनाती थी और फिर अधिकारियों को फंसाकर उनसे वसूली करती थी।
वह मंत्रालय में अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों के बंगलों पर भी भटकती रहती थी। वह किसी को सामाजिक कार्यकर्ता, किसी को विदूषी तो किसी को पत्रकार के रूप में अपना परिचय देती थी। महिला होने की वजह से लोग उसके संपर्क में आ जाते और नेहा उनके मोबाइल नंबर लेकर लगातार बात करते हुए उनके नजदीक पहुंच जाती थी। यह भी उसके हनीट्रैप का ही हिस्सा होता था।
एक बार अधिकारी- कर्मचारी के अपने जाल में फंसने के बाद वह मनमाने तरीके से काम हासिल करती थी। पुलिस उसके मोबाइल फोन को खंगाल रही है। इस मोबाइल फोन से नेहा का शिकार बनकर उसके दबाव में काम करने वाले कई अधिकारियों के नाम सामने आने की अनुमान पुलिस को है।
रीवा के बाद भोपाल में शुरू कर दी अड़ीबाजी
रीवा की महिला नेहा ने राजधानी तक कैसे अपना हनीट्रैप फैलाया यह भी जान लीजिए। दरअसल नेहा त्रिपाठी के खिलाफ 2016 में अड़ीबाजी का पहला केस दर्ज हुआ था। उसके बाद नेहा पूरी तरह खुलकर लोगों को अपना शिकार बनाने लगी थी।
वह सामाजिक कार्यकर्ता बनकर अधिकारियों और प्रतिष्ठित लोगों से मिलती थी। उसकी बातों और सामाजिक कार्यों की झूठी बातों से लोग उसके प्रभाव में आकर उसके जाल में फंस जाते थे। बाद में नेहा उन्हें दुष्कर्म, छेड़छाड़ जैसे केस में फंसाने की धमकी देकर वसूली करती थी।
जब रीवा में वसूली और लोगों को फंसाकर केस दर्ज कराने से नेहा बदनाम हो गई तब से उसने भोपाल में प्रशासनिक अधिकारी, मंत्रियों के स्टाफ में शामिल लोगों से संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया था। उसके इस जाल में कई लोगों में फंसने की भी चर्चा है।
रजक को फंसाने सालभर से बुन रही थी जाल
हबीबगंज टीआइ सरिता बर्मन का कहना है कि नेहा ने पकड़े जाने के बाद खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताया है। वहीं पड़ताल में सामने आया है कि वह सरकारी अधिकारी- कर्मचारियों के ट्रांसफर- पोस्टिंग और काम दिलाने के लिए भोपाल आती- जाती थी।
लोगों को अपने जाल में फांसने में कामयाब हो जाती तो उनसे वसूली करती थी। जुलाई 2023 में वह पहली बार डॉ. जीवन रजक के संपर्क में आई थी। तब वह मंत्री के ओएसडी थे। फिर वह कई बार उनके ऑफिस आती- जाती रही।
उसने डॉ. रजक के अलावा मंत्री के स्टाफ के 11 कर्मचारियों पर बार- बार आरोप लगाए और फिर उन्हें वापस ले लिया। डॉ. रजक से वह 2 करोड़ रुपए मांग रही थी और न देने पर दुष्कर्म के केस में बदनाम करने की धमकी देती थी।
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