मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले नवजातों को अब जन्म प्रमाण पत्र के लिए लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। राज्य के आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय ने सभी कलेक्टरों को एक अहम सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में निर्देश दिए गए हैं कि अस्पताल से ही प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि आम लोगों को परेशान न होना पड़े।
जिला कलेक्टरों को व्यवस्था लागू करने के निर्देश
मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) एवं आयुक्त, आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय द्वारा निर्देश में बताया गया है कि प्रदेश में 50% से अधिक प्रसव सरकारी अस्पतालों में होते हैं। इसलिए अस्पतालों को इस बात के लिए अधिकृत किया जा रहा है कि वे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करके अस्पताल से डिस्चार्ज के समय ही नवजात का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दें।
जन्म प्रमाण पत्र के लिए 21 दिन का इंतजार खत्म
वर्तमान में जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 21 दिनों की बाध्यता है। निजी अस्पतालों में जन्म होने की स्थिति में नगर निगम में अलग से आवेदन करना होता है, जिसमें डिस्चार्ज स्लिप, पहचान पत्र और अन्य कागजात देने पड़ते हैं। इसमें देरी होने पर 20 से 1000 रुपये तक जुर्माना भी देना होता है।
अस्पताल से ही मिलेगा बर्थ सर्टिफिकेट
नई व्यवस्था से जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) की प्रक्रिया पहले से ज्यादा सरल हो जाएगी। अस्पताल से छुट्टी होने से पहले ही प्रमाण पत्र बनाकर दिया जाएगा। इससे नागरिकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता आएगी।
डाटा रखने में आसानी, पेरेंट्स का झंझट खत्म
डिजिटल रिकॉर्डिंग से जुड़ेगा हेल्थ डाटायह व्यवस्था राज्य की डिजिटल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती देगी। जन्म प्रमाण पत्र की डिजिटल एंट्री से सरकार को हेल्थ स्टैटिस्टिक्स मजबूत करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह रिकॉर्ड आगे चलकर बच्चों के शिक्षा, पहचान पत्र और सरकारी योजनाओं में उपयोगी होगा।
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