BHOPAL : जब ये भोपाल से चारों ओर राजकीय राजधानी क्षेत्र विकसित करने की चर्चा से अवैध कॉलोनियों की बाढ़ आ गई है। राजधानी से सटे गांवों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सहित सभी अनुमतियों को अनदेखा कर कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं, लेकिन अधिकारी नगरीय क्षेत्र के बाहर ऐसा करने वाले कॉलोनाइजरों को अनदेखा कर रहे हैं। लगातार पहुंच रही शिकायतों के बाद अब प्रशासन ने इसकी सुध ली है। भोपाल के आसपास सटे गांवों में विकसित हो रही कॉलोनियों की पड़ताल शुरू की गई है। इसमें अवैध पाई गई 24 कॉलोनियों पर न केवल प्लॉट बेंचने पर रोक लगाई गई है बल्कि रजिस्ट्री और नामांतरण भी रोक दिए गए हैं।
बिना सुविधाओं के ही बेच रहे प्लॉट
राजधानी क्षेत्र से सटे गांवों में बीते कुछ महीनों में ही कॉलोनाइजरों ने सस्ती जमीनें खरीदकर उन पर कॉलोनियां विकसित करना शुरू कर दिया है। विशेष राजधानी क्षेत्र के प्रस्ताव के कारण इन गांवों में कॉलोनी तैयार होने से जमीनों की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं। अवैध कॉलोनियों पर सख्ती के आदेश के बावजूद अपने मुनाफे के चक्कर में ज्यादातर कॉलोनाइजर बिना सुविधाओं के ही प्लॉट बेच रहे हैं। इन कॉलोनियों में बिजली-पानी, सीवर जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं है और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से भी जरूरी अनुमतियां नहीं ली गई हैं।
कॉलोनी में जमीन बेंचने से रोका
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने शासन के निर्देशों के चलते लगातार सामने आ रही शिकायतों पर अवैध कॉलोनियों की जांच शुरू कराई थी। इसमें पहले फेज में 24 कॉलोनियां नियम विरुद्ध पाई गई हैं। ये कॉलोनियां भोपाल से सटे सेवनिया ओंकारा, कुराना, छावनी पठार, सिकंदराबाद, कोलुआ खुर्द, अरेंडी और आसपास के गांवों में विकसित हो रही हैं। इसके अलावा अकेले कुराना पंचायत में ही दर्जन भर जगह कॉलोनी काटी जा रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए इन पंचायतों में कॉलोनी विकसित करने पर रोक लगाई गई है। कलेक्टर के आदेश पर इन पंचायत और आसपास नियम विरुद्ध कॉलोनी में जमीन बेंचने से रोका गया है। इसके लिए रजिस्ट्री और नामांतरण पर भी पाबंदी लगा दी गई है। वहीं लोगों को प्लॉट बेंचने वाले कॉलोनाइजरों पर भी अपराध दर्ज कराया गया है।
सरकार के सख्त रुख को देख दर्ज कराए अपराध
सरकार बनने के बाद से ही सीएम डॉ.मोहन यादव और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अवैध कॉलोनियों को लेकर सख्त रवैया दिखा रहे हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय तो अवैध कॉलोनियों को बड़ा नेक्सस तक बता चुके हैं। इसके बावजूद अवैध कॉलोनियों में प्लॉट बेंचने से होने वाली मोटी कमाई से कॉलोनाइजरों का मोह नहीं छूट रहा है। हाल ही में राजधानी के आसपास तेजी से अवैध कॉलोनियां काटने की शिकायत न केवल शासन बल्कि सरकार के स्तर पर भी पहुंची थी। जिसके बाद कराई गई जांच के बाद कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी किए गए थे। गांवों में कॉलोनी काटने पर पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम का उल्लंघन भी पाया गया है। वहीं कॉलोनाइजर डायवर्सन, कॉलोनाइजर लाइसेंस, टीएंडसीपी से नक्शा पास कराने जैसी कई जरूरी अनुमतियां पेश नहीं कर पाए हैं। इसके चलते कलेक्टर के आदेश पर अलग-अलग थानों में 56 से ज्यादा कॉलोनाइजर और उनके कारोबार में शामिल लोगों पर केस दर्ज करा दिए गए हैं।
बड़े कॉलोनाइजरों की जांच करने से बच रहा प्रशासन
हांलाकि प्रशासन ने राजधानी से करीब 20 किलोमीटर की सीमा में दो दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में प्लॉट बेंचने के साथ ही रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लगा दी है। लेकिन अब भी कई कॉलोनियों की जांच से प्रशासनिक अफसर भी बचते नजर आ रहे हैं। भोपाल से सटे रातीबढ़, कोलार, बैरसिया रोड, रायसेन रोड पर बिलखिरिया गांवों में 5 से लेकर 25 एकड़ और इससे ज्यादा बड़ी कॉलोनियां नियमों की अनदेखी करके काटी जा रही हैं। इनमें अभी भी जरूरी सुविधाएं विकसित नहीं हैं और प्लॉट बेंच दिए गए हैं। वहीं कई जगहों पर तो निर्माण भी शुरू हो गए हैं जबकि कॉलोनी में सड़कें तक नहीं बनी हैं। इसके पीछे बड़े बिल्डर और कॉलोनाइजरों का राजनीतिक रसूख और पहुंच वजह बताई जा रही है।
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