इंदौर की कंपनी घाना में बांटेगी पर्यावरण हितैषी चूल्हे, होगा ये फायदा

इंदौर की बेटर प्लेनेट फुटप्रिंट्स कंपनी और अफ्रीकी देश घाना के बीच पर्यावरण हितैषी एंग्रीमेंट हुआ है। कंपनी अब घाना में पर्यावरण दूषित करने वाली गैसों का उत्सर्जन कम करने का काम करेगी। इसके लिए 10 लाख चूल्हे का निर्माण कर वितरण करेगी।

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Sanjay gupta
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MP Indore BP Company and Ghana Environment friendly agreement
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इंदौर की कंपनी और घाना देश के बीच पर्यावरण हितैषी करार हुआ है। इसके तहत इंदौर की कंपनी घाना में पर्यावरण दूषित करने वाली गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए काम करेगी और इसके लिए दस लाख चूल्हों का निर्माण और वितरण करेगी। इससे 5  साल में डेढ़ करोड़ टन गैसों का उत्सर्जन कम होगा और 1.5 करोड़ कार्बन क्रेडिट जनरेट होंगे।

इस कंपनी के साथ हुआ करार

इंदौर प्रेस क्लब में हुई प्रेस वार्ता में इसकी जानकारी दी गई। इंदौर की कंपनी बेटर प्लेनेट फुटप्रिंट्स प्राइवेट लिमिटेड (बीपी) ने घाना (वेस्ट अफ्रीका) ऊर्जा-मंत्रालय के साथ एक प्रोजेक्ट में साझेदारी की है। इस साझा प्रोजेक्ट में पेरिस समझौते के आर्टिकल-6 के अंतर्गत 10 लाख बेहतर कुकिंग स्टोव का फ्री निर्माण और वितरण किया जाएगा।

इस तरह काम करेगी कंपनी

बेटर प्लेनेट फुटप्रिंट्स के प्रबंध निदेशक राजू सेठ ने बताया कि घाना के लोगों के जीवन और पर्यावरण में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए ऊर्जा मंत्रालय के साथ समझौता किया है। यह साझेदारी जीवन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

यह बोले घाना के प्रतिनिधि

यह करार घाना के एजर्नी मिनिस्टर जॉन कोबिना और कंपनी के प्रबंध निदेशक राजू सेठ के बीच हुआ है। घाना के प्रतिनिधि व उर्जा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सेथ ए. माहू ने कहा कि घाना का ऊर्जा मंत्रालय, ऊर्जा नीतियों को बनाने, क्रियान्वित के साथ निगरानी करने और मूल्यांकन करने में अग्रणी है। ऊर्जा मंत्रालय के वरिष्ठ प्रबंधकों की अनुभवी टीम का व्यापक उद्देश्य अपने देश के नागरिकों के जीवन-स्तर में सुधार करना है, जिसके अंतर्गत घाना की सरकार इस प्रोजेक्ट में 5 साल के लिए इंदौर के उद्योग समूह के सहयोग से उन्नत कुकिंग स्टोव का नि:शुल्क वितरण करेगी। इससे घरेलू वायु प्रदूषण, कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन एवं वनों की कटाई के नियंत्रण के लिए दस लाख (आईसीएस) का निर्माण एवं वितरण किया जाएगा। इससे कार्बन उत्सर्जन में लगभग 2.5 से 3.0 एमटी/आईसीएस प्रतिवर्ष की कमी आएगी।

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