INDORE. श्री गुरुसिंघ सभा इंदौर के चुनाव में भले ही खालसा-फतेह पैनल ने एकतरफा जीत हासिल की हो लेकिन पैनल में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने श्री गुरूनानक जी के 555वें प्रकाश पर्व पर बड़ा धार्मिक आयोजन रखा। मुख्यमंत्री निवास में श्री गुरूग्रंथ साहब जी का भव्य दरबार सजाया गया और लंगर की व्यवस्था की गई। लेकिन चार के गुट ने सीएम के इस अच्छे दिल से किए गए काम के बाद भी सिख समाज के एक धड़े को नाराज कर दिया। अब इस आयोजन में श्री गुरुसिंघ सभा की समिति के नहीं आने को लेकर और इस पूरे व्यवहार को लेकर सीएम को शिकायत होने की भी खबर आई है।
कौन है चौकड़ी, क्या हुआ इसमें
सीएम के सामने उज्जैन के सुरेंद्र सिंह अरोरा के साथ बीजेपी के प्रवक्ता नरेंद्र सिंह सलूजा ने श्री गुरु नानकजी के प्रकाश पर्व पर आयोजन का प्रस्ताव रखा। इसमें मुख्यमंत्री ने सहर्ष मंजूरी दी और साथ ही कहा कि इसमें प्रदेश से सभी संगत को बुलाया जाए। खुद नरेंद्र सलूजा ने ही कार्यक्रम के दौरान इस बात को औपचारिक तौर पर कहा। लेकिन इस मामले में इंदौर से श्री गुरुसिंघ सभा के प्रधान मोनू भाटिया ने किसी को कोई जानकारी दिए बिना ही अपने दो-तीन साथियों के साथ सीएम हाउस में उपस्थित दर्ज कराई। उनके साथ सुरेंद्र सिंह टूटेजा भी थे।
आयोजन में अरोरा, मोनू, सलूजा और टूटेजा की ही चली
आयोजन के दौरान मंच से बार-बार सुरेंद्र अरोरा, नरेंद्र सलूजा, सुरेंद्र सिंह टूटेजा और मोनू भाटिया का नाम लिया गया। मंच पर तो संचालन ही अरोरा ने किया और उन्होंने सलूजा और टूटेजा को उद्बोधन के लिए भी बुलाया। टूटेजा ने भी सीएम के सामने मोनू की हाइट बढ़ाने के लिए जमकर तारीफ की और कहा कि वह शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए बेहतर काम कर रहे हैं। कुल मिलाकर चारों ने जमकर एक-दूसरे को सपोर्ट किया और इंदौर की पूरी कमेटी एकतरफा हो गई। जबकि आयोजन में मोनू भाटिया के लिए बोलते समय यहां तक कहा गया कि वह पूरी कमेटी के साथ यहां आए हैं, जबकि वह केवल अपने दो-तीन लोगों के साथ ही गए थे। यह बात भी वहां गलत बताई गई।
क्या बोल रहे मोनू भाटिया
वहीं मोनू भाटिया इस विवाद के बाद यहां तक बोल गए कि श्री गुरुसिंघ सभा का तो यह आयोजन ही नहीं था, यह सभा का औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह पूरे समाज के लिए खुला था। इसमें कोई भी जा सकता था। हमने ग्रुप पर सभी को इसकी जानकारी दी थी। तनातनी की सारी खबरें गलत है।
अब खालसा पैनल भी झटका देने के मूड में
प्रधान बने मोनू भाटिया द्वारा सीएम हाउस में जाकर ऐकला चलो की जो नीति शुरू की गई, उससे बॉबी छाबड़ा का खालसा पैनल अभी भी नाराज है। अब इस पैनल के सचिव बंटी भाटिया व अन्य साथियों ने भी अपने हिसाब से काम करने की शुरूआत कर दी है।
यह किया बॉबी की पैनल ने
सीएम हाउस में अकेले जाने के बाद और सचिव बंटी भाटिया व अन्य की पूछपरख नहीं करने के बाद अब बॉबी छाबड़ा की खालसा पैनल ने भी अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया है। संत नगर खंडवा रोज गुरूद्वारे के हॉल की छत डल रही है। यहां चल रहे विकास काम को देखने के लिए दो दिन पहले बंटी भाटिया अपनी खालसा पैनल के कांचा छाबड़ा, सतबीर सिंह छाबड़ा, रविंदर कलसी व अन्य के साथ पहुंच गए। इस दौरान मोनू भाटिया उनके साथ नहीं थे। इसमे खालसा पैनल से जुड़े सदस्य ही मौजूद थे।
विवाद के बाद कोर कमेटी को दी अहम जिम्मेदारी
वहीं मोनू भाटिया के अलग राह पकड़ने को लेकर दो दिन पहले एक बड़ी बैठक बैराठी कॉलोनी में नारंग के यहां हुई। इसमें चुनाव के पहले बनी पांच सदस्यीय कोर कमेटी के सदस्यों के साथ ही सभी जीते हुए सदस्य और मोनू भाटिया, बंटी भाटिया भी उपस्थित थे। कोर कमेटी के सदस्यों में सुरेंद्र सिंह सलूजा, अमरजीत सिंह भाटिया, मनजीत सिंह टूटेजा, आरएस नारंग, जसवंत सिंह छाबड़ा है।
इन सभी ने इस बैठक में इस पूरी घटना पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि ऐकला चलो की नीति नहीं चलेगी और जब मिलकर चुनाव में जीत मिली है तो सभी को साथ में ही चलना है। यह भी तय किया गया कि बड़े मामलों में कोर कमेटी का विचार अहम रहेगा और जो भी आगे करें उसे कोर कमेटी के भी संज्ञान में जरूर डाला जाए।
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