मंत्री नागर, विश्नोई कांग्रेसियों से दुखी, इंदौर में बीजेपी में आए पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, दरबार, बम के यह हैं हाल

मध्‍य प्रदेश में मंत्री नागर सिंह चौहान की नाराजगी सबके सामने है। कांग्रेस नेताओं की बीजेपी में एंट्री से वरिष्ठ नेताओं का दर्द गाहे-बगाहे बाहर आता ही रहता है। आज हम जानेंगे की इंदौर में पूर्व कांग्रेसियों की बीजेपी में स्थिति अभी क्या है ? 

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Sanjay Gupta
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INDORE. अलीराजपुर विधायक और मंत्री नागर सिंह चौहान कांड ने एक बार फिर बीजेपी की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। इसी मामले में पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का भी दर्द उभर गया है और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव व पार्टी के कई वरिष्ठों का दर्द तो गाहे-बगाहे बाहर आता ही रहता है।

इंदौर में भी बीजेपी ने एक-दो नहीं आठ हजार कांग्रेसियों को पार्टी में लेने की बात कही थी और इसके लिए 24 अप्रैल को दलालबाग में आयोजन हुआ। इसमें कांग्रेस से ऐनवक्त पर भगोड़ा बनकर बीजेपी में गए लोकसभा प्रत्याशी अक्षय बम भी है। आखिर यह सभी पूर्व कांग्रेसियों की अभी क्या है बीजेपी में स्थिति?

यह बड़े नेता आए थे कांग्रेस से बीजेपी में

विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, रामकिशोर शुक्ला के साथ ही पूर्व कांग्रेस विधायक व निर्दलीय चुनाव लड़े अंतर सिंह दरबार और लोकसभा में कांग्रेस से चुनाव के लिए नामांकन भरने वाले अक्षय कांति बम प्रमुख नाम है।

भोजन-भंडारे की व्यवस्था कर रहे शुक्ला, पटेल

अब बात करते हैं इंदौर विधानसभा एक से चुनाव लड़े पूर्व विधायक संजय शुक्ला और देपालपुर के पूर्व विधायक विशाल पटेल की। क्योंकि दोनों जोड़ियों में ही चलते हैं बीजेपी में भी दोनों साथ ही गए थे। मार्च में सुरेश पचौरी के साथ यह बीजेपी में शामिल हुए थे। शुक्ला की संपत्ति जहां दो सौ करोड़ से ज्यादा है तो वहीं पटेल भी 140 करोड़ के आसामी है। यह दोनों आजकल बीजेपी में भोजन-भंडारे की व्यवस्था संभाल रहे हैं।

हाल ही में रेवती रेंज पर 14 जुलाई पर एक लाख के भोजन की व्यवस्था इन्होंने ही संभाली। इसके पहले लोकसभा चुनाव में मतदान केंद्रों पर भरी गर्मी में छाछ व पानी की व्यवस्था संभाली थी। दोनों को पार्टी में कोई तवज्जो नहीं है। कोई पद नहीं।
(लेकिन शुक्ला को यह फायदा जरूर मिला है कि उन्हें अवैध खनन में मिले 140 करोड़ के नोटिस पर कार्रवाई धीमी हो गई है, अपर कलेक्टर कोर्ट में केस कछुआ गति से चलने लगा है)

कैलाश विजयवर्गीय के साथ दिखते हैं बम

उधर, 29 अप्रैल को लोकसभा में कांग्रेस के नामाकंन फार्म को विड्रा करके बीजेपी में गए अक्षय कांति बम, पहले तो लगातार दस दिन तक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही घूमते नजर आए। इसके बाद उन्होंने खुद को अपने कॉलेज परिसर में ही बंद कर लिया। अग्रिम जमानत मंजूरी के बाद भी वह हाल के समय में विजयवर्गीय के पौधारोपण अभियान में ही नजर आते रहे हैं। बाकी पार्टी फोरम पर कोई स्वीकारोक्ति नहीं मिल रही है। पार्टी में कोई पद नहीं।

(बम को लेकिन यह फायदा धारा 307 में राहत मिल है कॉलेज फैकल्टी विवाद में पुलिस रिपोर्ट नहीं दे रही है और पेपर लीक में ही आइडलिक कॉलेज को राहत मिली है मान्यता रद्द नहीं हुई)

अब बात दरबार, शुक्ला, कोठारी की

कांग्रेस के पूर्व विधायक और बाद में निर्दलीय चुनाव लड़े अंतर सिंह दरबार और कांग्रेस के टिकट पर लड़े रामकिशोर शुक्ला दोनों ही बीजेपी में गए हैं लेकिन कोई तवज्जो नहीं है। दरबार को जहां मंत्री विजयवर्गीय का समर्थन है वहीं शुक्ला पूर्व मंत्री उषा ठाकुर के कारण बीजेपी में आ सके। दोनों की राह अलग है और पार्टी में फिलहाल कोई तवज्जो नहीं और ना ही कोई पद दिया गया है। इसी तरह एक समय कांग्रेस से विधानसभा पांच के संभावित उम्मीदवार कोठारी ने भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए पार्टी ज्वाइन कर ली लेकिन पार्टी में कोई पद नहीं है।

प्रोटोकॉल के कारण मंच, लेकिन मंडल बैठक में भी नहीं बुला रहे

प्रोटोकाल के कारण पूर्व विधायक होने के चलते शुक्ला, पटेल और दरबार को पार्टी के आयोजनों में मंच मिल जाता है और सीएम दौरा होने पर एयरपोर्ट से लेकर अन्य आयोजनों में इंट्री रहती है। लेकिन इसके अलग और इससे ज्यादा कुछ नहीं मिला है। हालत यह है कि मंडलों की बैठक शुरू हो गई है और इन लोगों को वहां भी नहीं बुलाया जा रहा है। यानी पार्टी के कार्यकर्ता इन्हें अभी तक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

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विजयवर्गीय बोल चुके कलदार सिक्का कलदार ही रहेगा

कांग्रेसियों के बीजेपी में आने की लगी भीड़ के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर गुस्सा है , इसे समझते हुए विजयवर्गीय ने एक आयोजन में कहा भी था कि कलदार सिक्का कलदार ही रहता है। वहीं संघ भी कह चुका है कि जो बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेसी है उन्हें बीजेपी के रंग में ढाला जाए कि पार्टी किस तरह काम करती है। लेकिन मंत्री तुलसी सिलावट को छोड़ दें तो फिलहाल इंदौर में कांग्रेस से आए बड़े नेताओं में ऐसा इंदौर में कोई नहीं दिखता जो बीजेपी के रंग मे रंगा हो और अहम पद भी मिला हो।

यही मिला है इन नेताओं को- सत्ता की छतरी

सभी अपनी बारी के इंतजार में हैं। मिली है तो ही चीज वह है पुलिस और प्रशासन की कार्रवाईयों से मुक्ति, सत्ता की छतरी का बस यही लाभ इन नेताओं को अभी तक इंदौर में मिला है। शुक्ला खनन नोटिस से बचे हैं, बम का कॉलेज बच गया है।

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