BHOPAL. मध्य प्रदेश (MP) के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) को सूचना का अधिकार ( RTI ) के तहत जानकारी नहीं देने पर आड़े हाथ लिया है। राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ने कहा कि MPPSC आदेश के बाद भी जानकारी नहीं देता है और अक्सर दौड़कर कोर्ट से स्टे ले आता है। उन्होंने एक अपील प्रकरण में MPPSC के खिलाफ 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
राज्य सूचना आयुक्त ने सोशल मीडिया पर शेयर की जानकारी
कागज नहीं दिखाएंगे वाली नियत खतरनाक है। MPPSC ने पहले भी कई मामलों में राज्य सूचना आयोग के आदेश के बाद भी जानकारी नहीं दी। अक़्सर दौड़कर कोर्ट से stay ले आते हैं। इस अपील प्रकरण में मैंने MPPSC के अधिकारी पर अवैध रूप जानकारी रोकने पर ₹25 k का जुर्माना भी लगाया था। 👇 https://t.co/dF3KI5wdAo
— Rahul Singh 🇮🇳 (@rahulreports) February 27, 2024
इस मामले में लगाया था जुर्माना
राहुल सिंह ने बताया कि पीएससी नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहा है। पीएससी जानकारी देता ही नहीं है। कुछ आयुर्वेद डॉक्टरों ने आरटीआई लगाई, केस मेरे पास आया तो मैंने आदेश दिया की जानकारी दी जाए, लेकिन जानकारी देने की जगह वह हाईकोर्ट से स्टे ले आया। ऐसी को भी जानकारी जो आयोग संसद, विधानसभा में देने से इंकार नहीं कर सकता वह आरटीआई में भी नहीं रोकी जा सकती है।
आयोग के इस चक्कर में हजारों उम्मीदवार उलझे
आयोग ने साल 2019 व 2020 की राज्य सेवा परीक्षा के साथ ही वन सेवा व अन्य कई परीक्षाओं पर अंतिम नियुक्ति हाल ही में पूरी कर दी है, लेकिन इसमें केवल चयनित उम्मीदवारों के ही अंक बताए गए हैं। बाकी जिन्होंने भी मेंस दी है उनकी अभी तक उत्तरपुस्तिका नहीं दिखाई गई और ना ही अंक बताए गए। जबकि नियमों के मुताबिक यह बताना होता है। वहीं मजेदार बात तो यह है कि इस मामले में कोर्ट से ऐसा कोई आदेश भी नहीं है कि यह नहीं दिखाया जाना है। यह पीएससी का विशुद्ध रूप से अपने स्तर पर लिया गया फैसला है। ऐसे में उम्मीदवार को यह पता ही नहीं चल रहा है कि वह मेंस में क्यों फेल हो गया और कितने नंबर से पद पाने से वंचित हो गया।
क्यों देखना है उत्तरपुस्तिकाएं ?
उम्मीदवारों के लिए यह उत्तरपुस्तिकाएं देखना जरूरी है, क्योंकि इन्हें ही देखकर उसे पता चलता है कि उसे आगे परीक्षा में कितना सुधार करना है और वह कहां पर गलतियां कर रहा है। वह किस विषय में कितने अंक से पीछे रह गया है। इस पारदर्शी सिस्टम से ही उम्मीदवारों को आगे तैयारी में मदद मिलती है, लेकिन इसे आयोग दबाकर बैठ गया है।
हाईकोर्ट भी कर चुका है तल्ख टिप्पणी
जबलपुर हाईकोर्ट ने भी राज्य सेवा परीक्षा 2023 प्री के मामले में दो बेहद तल्ख टिप्पणियां आयोग की कार्यशैली को लेकर की है। एक टिप्पणी में कहा कि बाय हुक एंड कुक आयोग किसी भी तरह से खुद को सही साबित करने में लगा रहता है। एक अन्य टिप्पणी में कहा कि आयोग आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है। यह टिप्पणियां बताता है कि आयोग किस तरह से गैर पारदर्शी तरीके से काम कर रहा है।
MPPSC 2019 में फेल को पास और पास को फेल किया
वीणा वादिनी ने एक X रिपोस्ट में राज्य सूचना आयुक्त से आग्रह किया है कि MPPSC द्वारा 87-13 का एक असंवैधानिक फॉर्मूला लगाया जा रहा है और एक परीक्षा में दो-दो मेरिट लिस्ट बनाई जाती है, दुनिया में कहां ऐसा नियम है ?MPPSC 2019 में फेल को पास और पास को फेल किया गया। गलत नॉर्मलाइजेशन किया गया, जो ऑब्जेक्टिव परीक्षा में होता है।
MPPPSC तानाशाही चला रहा
जीतू मिनाती ने राज्य सूचना आयुक्त से MPPSC मुख्य परीक्षा की कॉपी खुलवाने का निवेदन किया है। उन्होंने लिखा, हमारे पास कोर्ट जाने के संसाधन नहीं हैं। उसका ये दुरुपयोग कर रहे हैं और अपनी तानाशाही चला रहे हैं। तीन अटेम्प्ट दे चुका... ना इंटरव्यू के मार्क्स पता हैं ना mains ( मुख्य परीक्षा ) के। आखिर हम किस आधार पर पढ़ाई में सुधार करें।
अफसरों ने मजाक बना दिया RTI
राज्य सूचना आयुक्त की पोस्ट पर कई पीड़ित अभ्यथियों ने रिप्लाय किया है। रामगणेश रावत ने लिखा है सूचना आयोग को मजाक बना रखा है। उन्होंने 6 फरवरी 2024 की एक सुनवाई का जिक्र करते हुए बताया कि लोक सूचना अधिकारी बोलता है कि क्या कर लेगा सूचना आयोग ? ज्यादा से ज्यादा 25 हजार रुपए का दण्ड लगा देगा। इस तरह की वार्तालाप कर रहे थे, भ्रष्ट अधिकारियों ने मजाक बना रखा है... सूचना का अधिकार अधिनियम का।