जबलपुर जिले से यूरिया और डीएपी जैसे रासायनिक उर्वरकों की कालाबाजारी का गंभीर मामला सामने आया है। मामले में गोसलपुर थाना क्षेत्र में स्थित मेसर्स ग्रेट इंडिया कृषि केंद्र के संचालक आजाद पटेल के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। कृषि विभाग की जांच में पाया गया कि संचालक किसानों को सरकार से निर्धारित मूल्य से ज्यादा रेट पर खाद बेच रहा था। रासायनिक खादों की कालाबाजारी न केवल किसानों के लिए आर्थिक बोझ बनती है, बल्कि यह सरकार की नीतियों और किसानों के अधिकारों का उल्लंघन भी है। अब मामले में कृषि विभाग ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है।
सरकारी मूल्य से अधिक दर पर खाद की बिक्री
सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रासायनिक खादों की कीमतें तय की हैं। डीएपी की अधिकतम कीमत 1350 रुपए और यूरिया की 270 रुपए प्रति बोरी तय की गई है। बावजूद इसके, मेसर्स ग्रेट इंडिया कृषि केंद्र पर इन उर्वरकों को तय कीमत से अधिक दर पर बेचा जा रहा था। किसानों ने इस बारे में कृषि विभाग को जानकारी दी, जिसके बाद विभाग ने कार्रवाई के लिए जांच शुरू की। रासायनिक खाद की कालाबाजारी के चलते छोटे और मझोले किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ता है, जिससे उनकी खेती की लागत बढ़ जाती है। यह समस्या न केवल किसानों के लिए गंभीर है, बल्कि यह कृषि अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है।
कृषि विभाग की शिकायत पर मामला दर्ज
गोसलपुर थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पाया कि उक्त दुकान संचालक निर्धारित कीमतों का उल्लंघन कर रहा था। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सूर्यकांत शर्मा ने जानकारी दी कि वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी ने पुलिस को प्रतिवेदन सौंपा, जिसमें दुकान संचालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। शिकायत में स्पष्ट रूप से बताया गया कि संचालक आजाद पटेल द्वारा सरकार की नीति और उर्वरक नियंत्रण आदेश का उल्लंघन किया गया है। विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस से अनुरोध किया। जबलपुर पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
उर्वरक नियंत्रण आदेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई
मेसर्स ग्रेट इंडिया कृषि केंद्र के संचालक के खिलाफ उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जाएगी। इसके बाद संचालक को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जाएगा। इन कानूनों के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को कड़ी सजा हो सकती है, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ कारावास का भी प्रावधान है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि प्रशासन इस तरह की कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि किसानों के अधिकार सुरक्षित रहें।
कालाबाजारी पर प्रशासन का सख्त रुख
सरकार ने किसानों को रासायनिक खाद उपलब्ध कराने के लिए सस्ती और पारदर्शी प्रणाली लागू की है। इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खेती के लिए जरूरी सामग्री सही कीमत पर उपलब्ध हो। लेकिन कालाबाजारी से न केवल इस नीति का उल्लंघन होता है, बल्कि यह किसानों की फसल सहित आजीविका पर भी गहरा असर डालता है। जबलपुर प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि किसानों को मिल रही सुविधाओं पर डाका डालने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई यह भी सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
किसानों से अपील
सरकार और प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि यदि उन्हें खाद, बीज या अन्य कृषि सामग्री निर्धारित दर से अधिक कीमत पर बेची जाती है, तो इसकी सूचना तुरंत स्थानीय प्रशासन या कृषि विभाग को दें। यह कदम न केवल किसानों के हित में है, बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र को सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण है। किसानों के सहयोग से ही प्रशासन इस तरह की कालाबाजारी पर पूर्ण रूप से रोक लगा सकता है।
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