बॉयोटेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन को DPI ने किया रिजेक्ट, जानें पूरा मामला

शिक्षक भर्ती से जुड़ा एक ऐसा मामला जबलपुर हाईकोर्ट में आया है, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले मेरिट के अभ्यर्थी की डिग्री को डीपीआई ने रिजेक्ट कर दिया है।

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Neel Tiwari
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MP Jabalpur High Court Case of rejection of Biotechnology graduation degree
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JABALPUR. उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती सहित मध्य प्रदेश की अन्य भर्तियों के मामले भी लगातार हाईकोर्ट तक पहुंच रहे हैं। शिक्षक भर्ती से जुड़ा एक ऐसा मामला कोर्ट में आया है, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले मेरिट के अभ्यर्थी को डीपीआई ने रिजेक्ट कर दिया है।

2023 की हायर सेकेंडरी शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट में सिलेक्ट हुए दीपक चौधरी ने बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) और एमएससी (बायोटेक्नोलॉजी) की पढ़ाई की है। लेकिन लोक शिक्षण संचालनालय ने दीपक को अयोग्य घोषित कर दिया। जिसके पीछे उनका तर्क था कि बायोटेक्नोलॉजी मुख्य सब्जेक्ट नहीं है। अब दीपक ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका में इस निर्णय को गैरकानूनी और नियमों के खिलाफ बताया गया है। यह मामला न केवल दीपक चौधरी के लिए बल्कि शिक्षा क्षेत्र में भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए भी अहम हो सकता है।

बायोटेक्नोलॉजी है "एलाइड सब्जेक्ट्स" में शामिल

दीपक चौधरी के अधिवक्ता धीरज तिवारी ने हाईकोर्ट को भर्ती प्रक्रिया की नियम पुस्तिका का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि एलाइड सब्जेक्ट्स (Allied subjects) की श्रेणी में बायोटेक्नोलॉजी शामिल है और इसके अनुसार दीपक की शैक्षणिक योग्यता को अमान्य नहीं किया जा सकता। अधिवक्ता तिवारी ने आगे तर्क दिया कि भर्ती विज्ञप्ति के अनुसार, किसी भी अभ्यर्थी के लिए स्नातक स्तर पर निर्धारित विषय को मुख्य विषय (Major Subject) के रूप में पढ़ना अनिवार्य है। दीपक ने अपनी बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) डिग्री में बॉटनी जैसे विषयों की भी पढ़ाई की है और इसे उनकी डिग्री में प्रमुख रूप से दर्शाया भी गया है। 

गलत तरीके से रिजेक्ट की गई डिग्री

दीपक की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी ने कोर्ट में यह भी स्पष्ट किया कि उनकी डिग्री संबंधित विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त है और इसके लिए उन्होंने प्रमाण पत्र भी कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एमएससी (बायोटेक्नोलॉजी) को "एलाइड सब्जेक्ट्स" के अंतर्गत रखने से उनकी योग्यता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। उनका दावा है कि लोक शिक्षण संचालनालय ने उनकी डिग्री को गलत तरीके से रिजेक्ट किया है, जो न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों के साथ भी खिलवाड़ है।

क्या है एलाइड सब्जेक्ट?

किसी मुख्य विषय के साथ जुड़े विषय एलाइड सब्जेक्ट की श्रेणी में आते हैं जैसे, रसायन विज्ञान में एप्लाइड कैमिस्ट्री, इंवायर्नमेंटल कैमिस्ट्री, और फ़ार्मा कैमिस्ट्री एलाइड सब्जेक्ट हैं। वहीं, गणित में एप्लाइड मैथमेटिक्स, इंडस्ट्रियल मैथ्स, और इंजीनियरिंग मैथ्स एलाइड सब्जेक्ट हैं। इसी तरह बॉटनी में माइक्रोबॉयोलॉजी, बॉयोटेक्नालॉजी और बॉयो कैमिस्ट्री एलाइड सब्जेक्ट हैं।

बायोटेक्नोलॉजी नहीं है मुख्य विषय - DPI

लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने दीपक चौधरी की ग्रेजुएशन डिग्री (बीएससी बायोटेक्नोलॉजी) को निर्धारित मुख्य विषयों के मानदंडों से बाहर बताते हुए रिजेक्ट कर दिया। संचालनालय का कहना है कि बायोटेक्नोलॉजी को मुख्य विषयों की सूची में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है, और यह स्नातक स्तर पर "मुख्य विषय" या मेन सब्जेक्ट की परिभाषा को पूरा नहीं करता। इसी आधार पर दीपक के चयन को अमान्य घोषित कर दिया गया।

डीपीआई को मिली दो हफ्तों की मोहलत

मामले की सुनवाई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ में हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने लोक शिक्षण संचालनालय को स्पष्ट निर्देश दिया कि वह अपने तर्कों और निर्णय के आधार पर विस्तृत जवाब दो सप्ताह के भीतर दाखिल करे। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए अगली सुनवाई की तारीख 13 जनवरी 2024 निर्धारित की है।

मामला बन सकता है भर्ती नियमों के लिए मध्य प्रदेश में मिसाल

यह विवाद केवल एक अभ्यर्थी के चयन तक सीमित नहीं है। दीपक चौधरी की याचिका ने उन हजारों छात्रों के लिए एक उम्मीद जगाई है, जिनकी शैक्षणिक योग्यता को "एलाइड सब्जेक्ट्स" के कारण नजरअंदाज किया जा सकता है। हाईकोर्ट में इस मामले सुनवाई से यह स्पष्ट हो जाएगा कि लोक शिक्षण संचालनालय का निर्णय कितना सही है और इसे बदलने की जरूरत है या नहीं। क्योंकि यह पहला ऐसा मामला नहीं है कई अन्य भारतीयों में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें पदों के खाली होने के बाद भी एलाइड सब्जेक्ट के अभ्यर्थियों को रिजेक्ट किया जा चुका है। इस मामले की सुनवाई के बाद उम्मीद है कि ऐसे हजारों उम्मीदवारों को इस फैसले का फायदा मिलेगा जो इस तरह के एलाइड सब्जेक्ट में अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर चुके हैं।

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