हाईकोर्ट का आदेश : अवैध संबंध पर शक करना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं होता, खारिज की FIR

जबलपुर हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के दर्ज एफआईआर और कोर्ट में लंबित मामले को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि अवैध संबंध पर शक करना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं होता।

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Vikram Jain
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MP Jabalpur High Court decision petition regarding FIR lodged
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JABALPUR. जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने एक होमगार्ड की मौत के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अवैध संबंध पर शंका व्यक्त करना आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आता है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया (Justice GS Ahluwalia) की सिंगल बेंच ने यह टिप्पणी करते हुई मामले में आरोपी के खिलाफ एफआईआर और कोर्ट में लंबित मामले को निरस्त करने का आदेश दिया है।

जानें पूरा मामला

दरअसल, दमोह निवासी पुष्पेंद्र उर्फ कल्लू गौतम की तरफ से जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि हटा पुलिस थाना में पुष्पेंद्र उर्फ कल्लू गौतम के खिलाफ धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज किया गया है, यह कोर्ट में लंबित है।

होमगार्ड ने किया था सल्फास का सेवन

एफआईआर के अनुसार होमगार्ड मदन डिम्हा ने सल्फास खा ली थी, 4 अक्टूबर 2023 को होमगार्ड को शराब के नशे में इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर

याचिकाकर्ता पुष्पेंद्र उर्फ कल्लू गौतम के खिलाफ एफआईआर में अनुसार मृतक होमगार्ड का पुष्पेंद्र के दामाद के घर पर आना-जाना था। होमगार्ड दामाद को चाचा और उसके बच्चों को भाई-बहन कहता था। दामाद के साथ बेटी से अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए उसने होमगार्ड को फोन पर धमकी दी थी। अवैध संबंध को लेकर में समाज को बताने के अलावा नौकरी से हटाने देने की धमकी थी। इसको लेकर होमगार्ड ने अपनी पत्नी को जानकारी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

मामले में दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पारित एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर और कोर्ट में चल रहे केस को निरस्त करने का आदेश जारी दिया है।

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