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JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पदोन्नति (प्रमोशन) की प्रक्रिया में आ रही कानूनी अड़चनों को दूर कर दिया है। इस फैसले के बाद प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को लंबे समय से प्रतीक्षित प्रमोशन का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने पावर इंजिनियर्स एवं एम्प्लाइज एसोसिएशन के पक्ष में यह सुनाया है। अब बीई, बीटेक, एएमआई और डिप्लोमा धारक कनिष्ठ अभियंता अब सहायक अभियंता और उच्च शिक्षा प्राप्त अन्य कर्मचारी, कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त किए जाएंगे।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति (promotion) से जुड़े नियमों को लेकर विवाद चल रहा था। राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए आरक्षण नियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बीच कानूनी अड़चनें खड़ी हो गई थीं। इस कारण पिछले कई सालों से प्रमोशन प्रक्रिया रुकी हुई थी। कर्मचारी संगठनों ने इसे लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया और इसे "सरकारी अनदेखी" करार दिया। मामला जबलपुर हाईकोर्ट में पहुंचा, जहां इस पर विस्तृत सुनवाई की गई।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी (Justice Maninder Singh Bhatti) की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि कर्मचारी प्रमोशन प्रक्रिया में अब कोई बाधा नहीं रहनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत आरक्षण नीति को संतुलित रखते हुए पदोन्नति प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करना चाहिए।
दरअसल, 8 जुलाई 2024 को हुई अंतिम सुनवाई में संगठन के अधिवक्ता हर्ष पाठक और राजस पोहनकर ने मजबूत तर्क और साक्ष्य प्रस्तुत किए थे, जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था। 3 दिसंबर को अदालत ने फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि विद्युत कंपनियां उच्च शिक्षा प्राप्त कनिष्ठ अभियंताओं (junior engineers) को सहायक अभियंता (assistant engineer) और उच्च शिक्षा प्राप्त अन्य कर्मियों को कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त करें।
प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट पहुंचा था एसोसिएशन
संगठन के महासचिव अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि 2017 में पावर इंजिनियर्स एवं एम्प्लाइज एसोसिएशन ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर्मियों के प्रमोशन के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। यह याचिका 1989 और 1990 के परिपत्रों के अनुपालन में दायर की गई थी। संगठन की ओर से अधिवक्ता हर्ष पाठक, मोहित चौबे, और राजस पोहनकर ने प्रभावशाली पैरवी की।
कर्मचारियों में खुशी की लहर
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्यभर के कर्मचारियों में खुशी की लहर है। कर्मचारी संघों ने इसे अपनी बड़ी जीत बताया। मध्यप्रदेश कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा, "यह फैसला हमारे संघर्ष और धैर्य की जीत है। हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द प्रमोशन प्रक्रिया शुरू करेगी।"
क्या होगा इसका असर?
1. कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा: लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे कर्मचारियों को अब उनकी मेहनत का फल मिलेगा।
2. प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार: प्रमोशन के जरिए कर्मचारियों को नई जिम्मेदारियां मिलेंगी, जिससे सरकारी विभागों की कार्यक्षमता में सुधार होगा।
3. युवाओं के लिए नए अवसर: प्रमोशन से खाली हुए पदों पर नई भर्तियों की संभावना बढ़ेगी, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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