JABALPUR. मध्य प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत खाद्यान्न की सप्लाई करने वाले वाहनों में ओवरलोडिंग की समस्या पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एक जनहित याचिका दायर की गई। सामाजिक कार्यकर्ता एवं नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा और प्रफुल्ल कुमार सक्सेना द्वारा दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पीडीएस के तहत खाद्यान्न की आपूर्ति करने वाले वाहनों में भारी ओवरलोडिंग हो रही है, जिससे न केवल सड़कों को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ रही है।
सड़कें हो रही खराब, लोगों की सुरक्षा को खतरा
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किया कि मोटर यान अधिनियम की धारा 114 के तहत ओवरलोडिंग के संबंध में आवश्यक प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादा भार के कारण वाहनों पर अनावश्यक दबाव बनता है, जिससे सड़कों की स्थिति खराब होती है, और सड़कों पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा पर भी खतरा बढ़ता है। अधिवक्ता ने ताजा सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 10% दुर्घटनाएं ओवरलोडिंग के कारण होती हैं, परंतु बार-बार ध्यान दिलाने के बावजूद इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
कोर्ट ने दिए सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन को निर्देश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत (Chief Justice Suresh Kumar Kait) और जस्टिस विनय जैन (Justice Vinay Jain) की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमति जताते हुए, राज्य सरकार और सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन को इस मामले में निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर चार सप्ताह के भीतर उचित कार्रवाई की जाए, और अगर याचिकाकर्ता इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होता है, तो वह फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश
खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि ओवरलोडिंग रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं, ताकि सड़कों की सुरक्षा और जनता की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
ओवरलोडिंग बन रही दुर्घटनाओं की वजह
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि ओवरलोडिंग के कारण वाहन नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। इसके अलावा, ओवरलोडिंग से सड़कों पर दबाव बढ़ता है, जिससे उन्हें बार-बार मरम्मत की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की ओवरलोडिंग न केवल वाहनों के ड्राइवरों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी खतरा है।
चार सप्ताह में निराकरण करने का दिया आदेश
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर अभ्यावेदन का चार सप्ताह में निराकरण कर इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वह कार्रवाई से संतुष्ट न होने की स्थिति में इस आदेश को पुनः चुनौती दे सकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने इस याचिका का पटाक्षेप कर दिया।
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