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JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2016-17 की आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग के पदों को लेकर हुई कथित अनियमितताओं पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और भोपाल स्थित एडीजी कार्यालय से 2 सप्ताह में विस्तृत रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत (Chief Justice Suresh Kumar Kait ) और न्यायमूर्ति विवेक जैन (Justice Vivek Jain) की खंडपीठ ने यह आदेश दिया।
2016 आरक्षक भर्ती का है मामला
गृह विभाग ने साल 2016 में आरक्षक संवर्ग की 14 हजार 283 पदों के लिए भर्ती परीक्षा का विज्ञापन जारी किया था। इसमें विभिन्न वर्गों के लिए पद आरक्षित किए गए थे जो इस प्रकार है...
अनारक्षित वर्ग: 8,432 पद
अनुसूचित जाति (एससी): 1,917 पद
अनुसूचित जनजाति (एसटी): 2,521 पद
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी): 1,411 पद
भर्ती में विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) और जिला पुलिस बल के लिए रिक्तियों का स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया था, और न ही जिला स्तर पर आरक्षण रोस्टर लागू करने का उल्लेख किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि ओबीसी और अन्य आरक्षित वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी उच्च मेरिट के बावजूद अनारक्षित वर्ग में स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें उनकी पसंद के अनुरूप जिला पुलिस बल में पदस्थापित नहीं किया गया। इसके बजाय, इन अभ्यर्थियों को एसएएफ की बटालियनों में पोस्टिंग दी गई, जबकि उनसे कम अंक वाले अभ्यर्थियों को जिला पुलिस बल और अन्य महत्वपूर्ण शाखाओं में नियुक्ति दी गई। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि उनकी मेरिट और चॉइस को ध्यान में रखते हुए जिला पुलिस बल में नियुक्ति दी जाए और भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
डीजीपी और एडीजी भोपाल को कोर्ट ने दिया निर्देश
याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इनमें छठवीं वाहिनी जबलपुर के हल्के भाई लोधी, संदीप साहू, विनोद वर्मा, साहिल पटेल, शुभम पटेल, और रामराज पटेल प्रमुख हैं। याचिका में मांग की गई है कि उनकी मेरिट और चॉइस के आधार पर उन्हें जिला पुलिस बल में पदस्थापना दी जाए।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिए यह निर्देश
1. भर्ती प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत करें।
2. याचिकाकर्ताओं से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की सूची पेश करें, जिन्हें जिला पुलिस बल में नियुक्त किया गया है।
3. यह स्पष्ट करें कि ओबीसी वर्ग के 1,090 पदों में से 884 पद रिक्त क्यों छोड़े गए।
भर्ती प्रक्रिया पर उठे सवाल
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि डीजीपी ने 2022 में व्यापम की ओर से जारी मूल मेरिट लिस्ट के विपरीत एक नई मेरिट लिस्ट बनाकर हाईकोर्ट में पेश की। इसमें ओबीसी वर्ग के 72.69% अंक वालों को आरक्षित श्रेणी में गिना गया, जबकि 62.80% अंक वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल किया गया। यह आरक्षण नियमों का खुला उल्लंघन है।
अब पुलिस मुख्यालय देगा मामले में सफाई
खंडपीठ ने पुलिस मुख्यालय से स्पष्टीकरण मांगा है कि ओबीसी और अन्य आरक्षित वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी पसंद के अनुरूप पदस्थापना क्यों नहीं दी गई। इसके अलावा, भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों के पालन में चूक की स्थिति पर विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
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