सुमित पांडे के इशारों पर बैंक देते हैं मुद्रा लोन, बैंकों और पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

हितग्राहियों के नाम लाखों रुपए के मुद्रा लोन निकाल कर हड़पने वाले सुमित पांडे पर कई आरोप लगने के बाद भी आखिर पुलिस कार्रवाई से क्यों बच रही है यह समझ से परे है। 'द सूत्र' ने जब आरोपी सुमित पांडे से बात की तो उसने खुद ही अपने कई राज खोल दिए।

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Neel Tiwari
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MP Jabalpur Mudra Loan Fraud Master Mind Sumit Pandey reveals the secret

जबलपुर में ऐसा मामला सामने आया है जिसमें बैंक के मैनेजरों और एक फर्जी कंपनी के मालिक की सांठगांठ से लाखों रुपए मुद्रा लोन के नाम पर निकाल लिए गए और अब हितग्राही दर-दर भटक रहे हैं। 'द सूत्र' के पास पहुंची तीन शिकायतों के बाद यह खुलासा हुआ है की फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड सुमित पांडे लगातार मुद्रा लोन के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहा है। इसके खिलाफ अधारताल थाने में 10 लाख रुपए की मुद्रा लोन फर्जीवाड़े की FIR होने के बाद यह हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर हैं। लेकिन इसके बाद भी कई मामले सामने आने के बाद पुलिस को शिकायत भी की गई है, लेकिन पुलिस ने ना ही इसकी जमानत को रद्द करने की कोशिश की ना ही कार्यवाही को आगे बढ़ाया। पीड़ित थानों से लेकर पुलिस अधीक्षक तक को शिकायत कर रहे हैं पर इस सुमित पांडे का सेटअप इतना तगड़ा नजर आ रहा है कि पुलिस भी कार्रवाई करने से कतराती हुई दिख रही है।

जांच में सामने आ सकता है करोड़ों का फर्जीवाड़ा

इस मामले में सामने आए तीन शिकायतकर्ता से ही सुमित ने लगभग 32 लाख रुपए लूट लिए हैं। इसके अलावा सुमित पर एक 10 लाख रुपए के फर्जीवाड़े का मामला भी चल रहा है जिस पर वह जमानत पर है। इस मामले में बैंक मैनेजरों की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि जिस डीएसए के जरिए सुमित पांडे लोन दिलवाता था। उसका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है साथ ही साथ लोन का चेक भी सुमित पांडे की ही फर्म को मिलता था जिससे यह साफ हो रहा है कि इस सारे फर्जीवाड़े में बैंक की भी मिली भगत है। अगर इस मामले की विस्तृत जांच की जाए तो मुद्रा लोन के नाम पर करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।

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                                                  (1 मामले में अग्रिम FIR के बाद अग्रिम जमानत)

फर्जी डीएसए और कंपनी के आधार पर निकलवाता है लोन

लगातार मिल रही शिकायतों के बाद भी जबलपुर पुलिस भले ही इस मामले में कार्रवाई करने से बच रही हो पर 'the sootr' ने फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड सुमित पांडे से बात की। बातचीत के दौरान आरोपी ने खुद को तो निर्दोष बताया लेकिन खुद ही अपने राज़ खोल दिए। सुमित पांडे ने बताया कि जिस डीएसए के जरिए वह लोन अप्रूव करवाता था वह डीएसए रजिस्टर नहीं था। साथ ही साथ उसने यह भी कबूल किया कि उसके द्वारा कराए गए लोन उसकी ही फर्म में जाते थे और यह फर्म भी रजिस्टर्ड नहीं थी।

बैंक मैनेजर की मिलीभगत के बारे में पूछने पर सुमित ने खुद को और बैंक मैनेजर को निर्दोष बताते हुए पीड़ितों पर ही आरोप लगाया है कि यह सब उसे परेशान और बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस फर्जीवाड़े में एक फर्जी डीएसए के जरिए लगाये गए लोन के आवेदन को स्वीकृत करते हुए बैंक ने फर्जी फर्म के अकाउंट में पैसा जमा किया है जिससे बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत भी साफ नजर आ रही है।

आरोपी सुमित पांडे ने यह भी बताया कि अभी वह जबलपुर में नहीं बल्कि कहीं और रह रहा है और पुलिस की सुस्ती के चलते हैं वह जरूर उस जगह पर भी फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा होगा। इस मामले में जिन बैंक मैनेजर पर आरोप लगे हैं उनसे भी संपर्क करने के लगातार दो दिन तक कोशिश की गई पर वह ना तो फोन उठा रहे हैं ना ही मैसेज का जवाब दे रहे हैं।

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                                                   (सुमित पांडेय का बैंक स्टेटमेंट)

Jabalpur Mudra Loan Fraud news

'द सूत्र' के पास पहुंचीं तीन शिकायतें

पहला मामला : ग्वारीघाट निवासी कमल गढ़वाल एक नया व्यवसाय चालू करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के जरिए लोन लेने की सोची। खजरी खिरिया बाईपास निवासी सुमित पांडे ने कमल की बात पाटन के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंक मैनेजर रवि मोहन गंगराड़े से करवाई और उसे यह आश्वासन दिया कि उसे जल्द से जल्द मुद्रा लोन मिल जाएगा। इसके बाद कमल के सारे दस्तावेज लेकर बैंक में लगाए गए और इस मुद्रा लोन का 13 लाख 40 हजार रुपए सुमित पांडे की ही फर्म क्रिस्टल ऑल सॉल्यूशंस में डलवाया गया। सुमित पांडे ने कमल को आश्वस्त किया था कि उसके पास यह पैसा आने के बाद उसे अपने व्यवसाय के लिए टेंट का सामान मिल जाएगा। लेकिन सुमित पांडे ने कमल के नाम पर लिए गए पूरे लोन का गबन कर लिया। इसके बाद लगभग 1 साल से कमल लगातार थानों में शिकायत कर रहा है पर आज तक FIR दर्ज नहीं हुई।

दूसरा मामला: जबलपुर के देवताल निवासी विजय तिवारी को सुमित पांडे ने टेंट व्यवसाय के लिए मुद्रा लोन दिलाया। सुमित पांडे ने इस मामले में भी पाटन के यूनियन बैंक के मैनेजर रवि मोहन गंगराड़े और बैंक के कर्मचारी मोहित के जरिए विजय के सारे दस्तावेज जमा करवाये और 10 लाख 60 हजार रुपए का लोन यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से सुमित पांडे की फर्जी फर्म क्रिस्टल डील ऑल सॉल्यूशन में भुगतान कर दी गई।

हितग्राही विजय तिवारी को इस बात की भनक भी नहीं लगी कि उसके नाम पर इतना बड़ा लोन निकाल लिया गया है क्योंकि लोन की जानकारी मांगने पर उसे बार-बार यही बताया जाता था कि उसके लोन में अभी समय लगेगा। जब विजय के पास बैंक से लोन की किस्त जमा करने के लिए कर्मचारी पहुंचे तब उसे पता चला कि उसके नाम पर 10 लाख 60 हज़ार रुपए की राशि निकालकर सुमित पांडे ने हड़प ली है। इस मामले में भी पीड़ित के द्वारा भेड़ाघाट थाने में रिपोर्ट लिखी गई पर उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके बाद पीड़ितों ने जबलपुर पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत सौंपी है।

तीसरा मामला: इसी तरह सुमित पांडे ने भेड़ाघाट निवासी शैलेंद्र केवट को भी मुद्रा लोन के नाम पर 8 लाख रुपए का चूना लगाया। इस बार बैंक मैनेजर भी बदल चुका था और कंपनी भी। शैलेंद्र केवट के नाम पर निकाले गए 8 लाख रुपए की राशि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की तेवर ब्रांच के द्वारा एसएस इंटरप्राइजेज में खाते में जमा की गई और शैलेंद्र के साथ भी उसी तरह से फर्जीवाड़ा किया गया।

पैसे देकर बच निकलता है आरोपी

इस फर्जीवाड़े से जुड़े एक मामले में जब सुमित के खिलाफ अधारताल थाने में शिकायत की गई थी तो उसे गिरफ्तार करने के पहले ही गबन किए 10 लाख रुपए में से 4 लाख रुपए उसने पीड़ित तक पहुंचा दिए थे। उसके बाद अग्रिम जमानत के आवेदन में भी उसने बाकी के 6 लाख रुपए एक माह में देने का अदालत को विश्वास दिलाया था जिसके बाद उसे 50 हजार के मुचलके पर अग्रिम जमानत मिली थी। इसके बाद भी फर्जीवाड़े के अन्य मामले सामने आने के बाद यह पुलिस और प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाये और इस आरोपी को गिरफ्तार करें। लेकिन इस मामले में ऐसा नजर आ रहा है कि सुमित पांडे का पैसे का जोर प्रशासन पर भी चल रहा है तभी पीड़ितों के द्वारा शिकायत करने के बाद भी सुमित पांडे पर कोई भी अन्य एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

सामने आए मामलों के आधार पर ही या अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब आरोपी खुद बता रहा है कि वह फर्जी डीएसए के जरिए फर्जी कंपनी में इस लोन की रकम को ट्रांसफर करवाता था तो अब तक ऐसे कितने मामले होंगे जो सामने नहीं आ पाए होंगे और बेरोजगारों को दी जाने वाली सरकार की सुविधा का फायदा किस तरह से फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपी उठा रहे हैं लेकिन जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

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