जबलपुर के संजीवन अस्पताल में नवजात बच्चा बदले जाने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां माता- पिता ने अस्पताल प्रबंधन पर उनके बच्चे को बदल दिए जाने के आरोप लगाए है। साथ ही कहा कि प्रबंधन ने अविकसित बच्चा (abnormal baby) भी उन्हें थमा दिया। इसको लेकर माता- पिता ने CHMO जबलपुर से शिकायत की गई है। साथ ही मामले में जांच कर बच्चा वापस दिलाने की मांग की है।
अस्पताल ने थमाया अविकसित बच्चा
दरअसल, अधारताल निवासी शरद चौबे ने पत्नी श्वेता को डिलीवरी के लिए जबलपुर के संजीवन अस्पताल (Sanjeevan Hospital Jabalpur) में भर्ती कराया था। जहां 7 नवंबर को श्वेता की डिलीवरी ऑपरेशन से हुई थी। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा एक घंटे हो जाने के बाद भी बच्चे के नॉर्मल होने की जानकारी परिजनों को नहीं दी गई। परिजनों द्वारा लगातार पूछने पर 1 घंटे के बाद बच्चे को पूरे कपड़े पहन कर परिजनों को सौंप दिया गया। जिसके बाद देखने पर बच्चा ऐब्नॉर्मल (अविकसित) मिला। जबकि पहले की गई सभी प्रकार की जांचों में बच्चे के पूर्ण विकसित और स्वस्थ होने की रिपोर्ट मौजूद है। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही करने और बच्चा बदल दिए जाने का आरोप लगाए है।
पहले कराई गई सभी जांच है नॉर्मल
बच्चे के पिता शरद चौबे ने बताया कि पत्नी श्वेता की प्राथमिक जांच डॉ.प्रियंका गौर ने की थी। जिसमें सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल आई थी। साथ ही उनके द्वारा पहले जितनी भी जांच कराई गई है इन सारी जांचों में बच्चे को पूर्ण रूप से विकसित बताया गया है यहां तक की ऑपरेशन के पहले तक की गई जांचों में बच्चे के अविकसित होने की कोई जानकारी परिजनों को नहीं दी गई। बच्चे के शारीरिक विकास को देखने के लिए सिटी टारगेट स्कैन जैसी जांच भी करवाई गई जिसमें बच्चे को पूर्ण विकसित पाया गया। अस्पताल प्रबंधन की गड़बड़ी के कारण परिजनों को मानसिक परेशानी से गुजरना पड़ रहा है।
CHMO से की गई शिकायत
इस मामले में परिजनों ने CHMO जबलपुर संजय मिश्रा से शिकायत की है। जिसमें उन्होंने अस्पताल प्रबंधन की गड़बड़ी और लापरवाही के चलते उनके बच्चे को बदल दिए जाने का आरोप संजीवन अस्पताल पर लगाया है, परिवार ने इस मामले में जांच कर उनके बच्चे को वापस दिलवाने के लिए आवेदन दिया है। साथ ही उनके बच्चे के वापस नहीं मिलने पर परिजनों ने इस बच्चे को स्वीकार नहीं किए जाने की भी चेतावनी दी गई ओर कहा गया कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा दिए गए इस अविकसित बच्चे की सारी जिम्मेदारी संजीवन अस्पताल प्रबंधन की होगी।
CHMO ने दिया जांच का आश्वासन
जबलपुर CHMO संजय मिश्रा ने बताया कि परिजनों ने संजीवन अस्पताल में उनके बच्चे को बदलने की शिकायत की गई है, जिसमें परिजनों को जांच किए जाने का आश्वासन दिया गया है। परिजनों को डीएनए जांच कराने की सलाह दी गई है जिसमें बच्चा उनका है कि नहीं इस बात की पुष्टि हो जाएगी। साथ ही डीएनए रिपोर्ट के नेगेटिव आने पर या मामला कानूनी जांच का बन जाता है, जिसमें पुलिस की सहायता से इस मामले की पूरी जांच कर विधिवत कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल प्रबंधन ने बताया आरोपों को बेबुनियाद
संजीवन अस्पताल की तरफ से डॉक्टर अमित गौर ने बताया की बच्चा बदलने का लगाया गया आरोप बेबुनियाद है, क्योंकि उस दिन अस्पताल में केवल एक ही डिलीवरी हुई थी। जिसमें बच्चा बदलने का कोई भी गुंजाइश ही नहीं है। उन्होंने बताया कि बच्चे की मां की उम्र 40 साल है। इतनी उम्र में गर्भधारण करने में कुछ समस्याएं होती है जिनमें कभी-कभी बच्चे का शारीरिक विकास नहीं हो पता है। जिसकी जानकारी बच्चे की डिलीवरी होने के बाद परिजनों को बता दी गई थी ।साथ ही उन्होंने बताया इस मामले में कोर्ट से निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं है कुछ मेडिकल जांचों के जरिए इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि बच्चा उनका है कि नहीं।
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