MP Liquor Auction : मुनाफा कमाने शराब ठेकेदार कर रहे स्टॉक, उधर मैदानी अफसरों की लापरवाही लगाएगी 300 करोड़ का झटका

मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार ने इस बार शराब ठेके रिनुअल करने की नीति को मंजूरी दी थी। इसके तहत कम से कम 75 फ़ीसदी ठेके, उन्हीं शराब ठेकेदारों को 15% बेस प्राइस बढ़ाकर दिए जाने थे जो पहले से ही ठेके चला रहे हैं।

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MP Liquor Auction : वित्तीय सत्र 2023-24 खत्म होने में सिर्फ दो दिन बचे हैं और मध्य प्रदेश के शराब ठेकों में गड़बड़झाला चल रहा है। जहां एक ओर शराब ठेकेदार बड़े मुनाफे के फेर में शराब की स्टॉकिंग करने में जुट गए हैं, वहीं मैदानी अफसरों की लापरवाही से विभाग को करीब 315 करोड़ रुपए के रेवेन्यू का नुकसान होने की आशंका है। एक तीसरा पक्ष भी है- उपभोक्ता, यानी शराब खरीदने वाले… शराब स्टॉकिंग के चलते कई जगह शौकीनों को शराब नहीं मिल पा रही है। चलिए समझते हैं क्या है पूरा मामला…

विभाग कमा चुका 10500 करोड़

वैसे तो मध्य प्रदेश के सुरा प्रेमियों के लिए यह बुरी खबर है। दरअसल 1 अप्रेल से शराब खरीदने के लिए अब आपको ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। देशी शराब पर पांच से दस रुपए तो अंग्रेजी शराब पर 100 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार ने शराब के लिए इस बार ठेके रिनुअल करने की नीति को मंजूरी दी थी। इसके तहत कम से कम 75 फ़ीसदी ठेके, उन्हीं शराब ठेकेदारों को 15% बेस प्राइस बढ़ाकर दिए जाने थे जो पहले से ही ठेके चला रहे हैं। 12 फरवरी से ठेकों के रिनुअल का काम शुरू हुआ था। इसके तहत पूरे प्रदेश के 931 ठेकों में से 821 ठेके दिए जा चुके हैं। इन ठेकों के ऑक्शन और रिनुअल से सरकार को करीब 10500 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला है।

अफसरों की लापरवाही से होगा नुकसान

फिलहाल प्रदेश में 110 ठेके बच गए हैं, जिनका रिनुअल नहीं हो सका है। हालांकि 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण ऑक्शन का काम रुक गया था। आबकारी विभाग ने सरकार के माध्यम से इन ठेकों को पूरा करने के लिए 20 मार्च को चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी, जो 27 मार्च को मिल सकी है। इसके कारण भी शराब ठेके पूरे नहीं जा सके हैं। अब वित्तीय सत्र खत्म होने में सिर्फ दो दिन का समय बचा हुआ है, ऐसे में आबकारी विभाग अपनी पूरी ताकत लगा रहा है। क्योंकि अगर बचे हुए 110 ठेके 15% बेस प्राइस बढ़ाकर नहीं गए तो सरकार को करीब 315 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हो सकता है। दरअसल 
बचे हुए ठेकों को 15% बेस प्राइस बढ़ाने के बाद  931 करोड़ रुपए में जाना था, लेकिन मैदानी अफसरों ने इसमें कोई रुचि ही नहीं दिखाई। जानकारी के अनुसार रीवा, सतना और उमरिया जैसे जिलों में तो ठेके रिनुअल ही नहीं हो सके हैं। वहीं ग्वालियर और भोपाल के भी कुछ ठेके अभी बच गए हैं। ऐसे में अगर ठेके नहीं गए तो तो भी बेस प्राइस से कम में किसी भी हालत में नहीं दिए जाएंगे। ऐसे में बचे हुए ठेके चाहें तो ठेकेदार पिछले साल की दर पर उठाएं या विभाग खुद इन दुकानों को चलाए, 315 करोड़ रुपए के राजस्व के घाटे की संभावना तो है ही। यह आशंका भी जताई जा रही है कि अफसरों की मिलीभगत हो सकती है जिससे 15% बेस प्राइस बढ़ाकर ठेका लेना ही न पड़े और ठेकेदार को पिछले साल के दाम पर ही ठेका मिल जाए। 

इधर ठेकेदार कर रहे शराब की स्टॉकिंग

सामान्य नियम है कि शराब के ठेके पिछले साल के ठेके की कीमत यानी बेस प्राइस से 15% प्राइस ज्यादा बढ़ाकर दिए जाते हैं। अब तक हर साल नए ठेकेदार को शराब का ठेका मिलता था। इस कारण पुराना ठेकेदार 31 मार्च से पहले किसी भी तरह अपना स्टॉक खाली करने के लिए शराब को सस्ती कर देता था। लेकिन इस बार 75 फीसदी शराब ठेके उन्हीं ठेकेदारों को रिन्यूअल किए गए हैं जो पहले से ही उस शराब की दुकान चल रहे हैं। ऐसे में इन ठेकेदारों को बचे हुए स्टॉक को निकालने की कोई मजबूरी नहीं है। उलटे 1 अप्रैल से बड़े हुए दामों पर ही शराब बेच सकेंगे। इसलिए अधिकतर जगहों पर शराब ठेकेदार शराब का स्टॉक कर रहे हैं।

चांज करवा रहे हैं

बचे हुए ठेकों के ऑप्शन की अनुमति चुनाव आयोग से 27 मार्च को मिली है। हम जल्द से जल्द सभी ठेकों का ऑप्शन करने जा रहे हैं। शराब ठेकेदार मिनिमम गारंटी के तहत अपना कोटा उठा रहे हैं, लेकिन ऐसी कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है कि कोई ठेकेदार शराब की स्टॉकिंग कर रहा है। हम इस शिकायत की जांच भी करवा रहे हैं। 
अभिजीत अग्रवाल, आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश 

MP Liquor Auction मध्य प्रदेश के शराब ठेके