MP News: मध्य प्रदेश में शराब की कीमतों को लेकर उठे सवाल अब घोटाले का रूप लेते नजर आ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि प्रदेश में शराब की बिक्री एमआरपी (MRP) से अधिक दर पर की जा रही है। यह न केवल जनता के साथ धोखा है, बल्कि इससे माफियाओं और अधिकारियों की सांठगांठ भी उजागर हो रही है।
MRP लागू क्यों नहीं?
उमंग सिंघार का आरोप है कि प्रदेश की शराब दुकानों पर रेट लिस्ट चस्पा नहीं की गई है, जबकि आबकारी आयुक्त ने 1 अप्रैल 2025 से ऐसा करने का आदेश दिया था। यह सवाल उठाता है कि क्या सरकारी आदेश केवल कागज़ी थे या उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया?
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शराब की दुकान पर तय नियम
- रेट लिस्ट का स्पष्ट प्रदर्शन अनिवार्य
- एमआरपी पर ही बिक्री होनी चाहिए
- ग्राहक से रसीद देना जरूरी
- इंदौर-जबलपुर से आई गड़बड़ी की रिपोर्ट
इंदौर और जबलपुर जैसे प्रमुख शहरों में भी नियमों का पालन नहीं हो रहा। जबलपुर कलेक्टर ने कार्रवाई की, लेकिन यह अपवाद था, न कि नियम। इससे साफ है कि इस अनदेखी के पीछे कोई बड़ा संरक्षण है।
कौन है जिम्मेदार?
सिंघार का कहना है कि आबकारी विभाग और शराब माफिया की मिलीभगत इस गोरखधंधे का कारण है। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा इस विभाग को संभालते हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। या तो उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया या उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया। शराब की मूल कीमत और वसूली गई कीमत का फर्क ही इस पूरे खेल की जड़ है।
शराबबंदी की मांग बनी हुई है
प्रदेश में शराबबंदी की मांग लंबे समय से उठती रही है। लेकिन सरकार राजस्व का हवाला देकर इसे टालती रही है। उमंग सिंघार ने कहा कि यदि मजबूरी में शराब बेची जा रही है तो कम से कम इसे एमआरपी पर बेचा जाए। सिंघार ने कुछ समय पहले प्रदेश के धार्मिक शहरों में भी शराब बिक्री को लेकर सरकार से सवाल किए था।