BHOPAL. मध्यप्रदेश में 7 मई को 9 सीटों पर वोटिंग होगी ( MP Lok Sabha Elections 2024 ) । भोपाल, विदिशा, गुना, ग्वालियर, राजगढ़, भिण्ड, मुरैना, बैतूल और सागर में संसदीय सीट पर 127 प्रत्याशी मैदान में हैं। तीसरे चरण के इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह ( Shivraj Singh Chauhan, Jyotiraditya Scindia and Digvijay Singh ) जैसे बड़े नेताओं की साख दांव पर है। राजगढ़ और मुरैना सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में टक्कर है, जबकि बाकी सीटों पर बीजेपी आगे नजर आ रही है।
इन सीटों पर कुल 1 करोड़ 77 लाख 52 हजार से ज्यादा वोटर्स प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। सभी 9 सीटों सीटों का पढ़िए पूरा एनालिसिस...
भोपाल: बीजेपी आगे, अरुण अपनी टीम के सहारे
भोपाल में बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का टिकट काटकर आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है। भोपाल सीट पर शहरी क्षेत्र में बीजेपी आगे नजर आ रही है। बीजेपी के पक्ष में यहां पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम डॉ.मोहन यादव जैसे नेता प्रचार कर चुके हैं। स्थानीय विधायक भी जोर लगा रहे हैं। उधर, कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ मैदान में हैं। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी उनके साथ जुटे हुए हैं। अभी भोपाल लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 6 सीटें बीजेपी के पास हैं, जबकि दो पर कांग्रेस काबिज है।
विदिशा: शिवराज को मार्जिन की चिंता, क्या कांग्रेस पेश करेगी चुनौती?
विदिशा लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैदान में हैं। वे 20 साल बाद अपने संसदीय क्षेत्र में लौटे हैं, इससे पहले वे विदिशा से पांच बार सांसद रहे हैं। उधर, कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा को उतारा है। उनके सामने जातिगत समीकरण को साधने की चुनौती है। वे ब्राह्मण हैं और इस सीट पर ब्राह्मणों की संख्या भी अच्छी खासी है। अब यदि एससी—एसटी वोटर्स का कांग्रेस की तरफ झुकाव होता है तो शर्मा चुनौती पेश कर सकते हैं, वरना अभी तो पलड़ा बीजेपी का भारी नजर आ रहा है। शिवराज को अपने मार्जिन की चिंता है।
राजगढ़: दिग्विजय ने गांव नापे, रोडमल का अंदरूनी विरोध
राजगढ़ सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस उम्मीदवार हैं। बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद रोडमल नागर पर भी भरोसा जताया है। 32 साल बाद चुनाव लड़ने पहुंचे दिग्विजय गांव-गांव प्रचार कर रहे हैं। भाजपा उन्हें हिंदू विरोधी करार दे रही है। बीजेपी के रोडमल नागर का पार्टी में अंदरूनी विरोध है। मैदान में तो बीजेपी एक जुट दिखती है पर अंदरखाने सब ठीक नहीं है। आठ विधानसभाओं में फैले राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटें बीजेपी तो 2 कांग्रेस के पास हैं।
मुरैना: जातिगत समीकरण हावी, कौन जीतेगा?
ग्वालियर- चंबल अंचल में हमेशा जातिगत समीकरण हावी रहते हैं। यहां बीजेपी ने शिवमंगल तोमर को टिकट दिया है। वे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नजदीकी माने जाते हैं। कांग्रेस ने सत्यपाल सिकरवार को उतारा है। दोनों प्रत्याशी क्षत्रिय हैं। बसपा से रमेश गर्ग का उतरना भाजपा के लिए चुनौती है। हाल ही में पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया और कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने भाजपा का दामन थामा है। मुरैना की मेयर शारदा सोलंकी भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गई हैं। दोनों दलों ने जातीय आधार पर ध्रुवीकरण किया है। मुरैना संसदीय क्षेत्र की आठ में से 5 सीटें कांग्रेस के पास हैं, 3 पर बीजेपी काबिज है।
गुना: सिंधिया की साख लगी दाव पर?
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के प्रत्याशी हैं। भाजपा ने केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को उतारा है। कांग्रेस ने इसी का फायदा उठाते हुए यादवेंद्र सिंह यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। लिहाजा, अब सिंधिया के सामने यादव वोटर्स को साधने की बड़ी चुनौती है। यादवों के साथ बाकी जातियों का गणित बैठा तो सिंधिया को चुनौती मिल सकती है। हालांकि सिंधिया ने अमित शाह, योगी, उमा, शिवराज समेत कई नेताओं की सभा करा दी है। इसी के साथ सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे और बेटे महाआर्यमन ने भी जमकर प्रचार किया है।
भिण्ड: बसपा ने उलझाए भिण्ड के समीकरण
भिंड में बीजेपी ने अपनी मौजूदा सांसद संध्या राय पर ही भरोसा जताया है। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया से चुनौती मिल रही है। राहुल गांधी ने भिंड में संविधान की प्रति हाथ में लेकर कहा था कि संविधान को कोई खत्म नहीं कर सकता। एससी के लिए सुरक्षित इस सीट पर दलित वोट निर्णायक साबित होंगे। फूलसिंह भिंड लोकसभा के अंतर्गत भांडेर से विधायक हैं। भिंड में 1989 से भाजपा जीतती आ रही है। 2019 में संध्या राय ने कांग्रेस के देवाशीष जरारिया को हराया था। इस बार जरारिया बसपा से लड़ रहे हैं। ऐसे में समीकरण उलझ गए हैं। यह वही सीट हैं, जहां इमरती देवी के बरैया के पक्ष में मतदान करने के कथित ऑडियो वायरल हुए हैं। भिण्ड लोकसभा क्षेत्र की आठ में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी तो 4 पर कांग्रेस काबिज है।
ग्वालियर: ओबीसी बनाम ब्राह्मण...दो धड़ों में बंटे वोटर
बीजेपी के भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक में नजदीकी टक्कर है। ओबीसी और ब्राह्मण वोटर्स दो धड़ों में बंट गए हैं। भारत सिंह को नरेंद्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता है। कांग्रेस के बागी कल्याण सिंह गुर्जर बसपा से उतरकर गुर्जर वोट में सेंध लगा रहे हैं। ग्वालियर सीट कांग्रेस ने 2004 में जीती थी, इसके बाद से भाजपा ने जीत दर्ज की। कांग्रेस सांसद अशोक सिंह ने इस बार व्यूह रचना की है। कांग्रेस एकजुट भी दिख रही है। भाजपा मोदी की गारंटी पर जोर लगा रही है। ग्वालियर की आठ में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी तो 4 पर कांग्रेस का कब्जा है।
बैतूल: 46 फीसदी आदिवासी वोटर्स ही निर्णायक
बैतूल सीट 33 बरस से बीजेपी के कब्जे में हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए इस सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद दुर्गादास उइके पर ही भरोसा जताया है। कांग्रेस से रामू टेकाम सियासी ताल ठोक रहे हैं। बैतूल सीट पर सबसे अहम रोल आदिवासी वोटर्स निभाते हैं। यहां आदिवासी वोटर्स की संख्या 46 फीसदी है। बैतूल सीट पर बीजेपी की बढ़त नजर आती है। राम मंदिर के मुद्दे के साथ यहां आरएसएस भी सक्रिय है। प्रधानमंत्री की सभा से चुनावी माहौल गरमा गया है। भाजपा यहां निर्णायक बढ़त की तरफ बढ़ रही है।
सागर: 33 साल से बीजेपी का गढ़ है सागर
सागर सीट पर बीजेपी का 33 साल से कब्जा है। बीजेपी ने इस बार राजबहादुर सिंह का टिकट काटकर लता वानखेड़े को उतारा है। कांग्रेस ने चंद्रभूषण सिंह बुंदेला 'गुड्डू राजा' पर भरोसा जताया है। गुड्डू राजा का नाम विधानसभा चुनाव के समय भी उठा था, लेकिन कांग्रेस ने तब उन्हें टिकट नहीं दिया था। पीएम मोदी यहां सभा कर चुके हैं। बीजेपी के इस गढ़ को भेद पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल नजर आता है। कांग्रेस के गुड्डु राजा बुंदेलखंड का खोया सम्मान वापस दिलाने को लेकर जनता से मिल रहे हैं। वहीं, बीजेपी अपने विकास कार्यों को लेकर लोगों तक पहुंच रही है। सागर क्षेत्र की आठ में से 7 सीटों पर अभी बीजेपी ही काबिज है, यह फैक्टर भी बीजेपी के पक्ष में जाता है।