वर्ल्ड हंगर डे: MP में स्थिति चिन्ताजनक, ग्वालियर  के एनआरसी सेंटर में बढ़ी गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या

कुपोषण से निपटने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलाने के बाद भी मध्य प्रदेश में स्थिति चिंताजनक है। ग्वालियर में एनआरसी सेंटर में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। इनमें से तीन बच्चों की हालतअत्यंत नाजुक है। 

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Malnutrition in MP
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 MP News: मध्य प्रदेश में कुपोषण की समस्या अब भी गंभीर बनी हुई है। भुखमरी और कुपोषण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में 28 मई को वर्ल्ड हंगर डे मनाया जाता है। सरकार कुपोषण से निपटने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन अभी भी  देश में स्थिति चिंताजनक है।

MP में कुपोषण की स्थिति भयावह

अगर प्रदेश की बात करें तो आंगनबाड़ियों में नामांकित 62.88 लाख बच्चों में से 5.41 लाख बच्चे कुपोषित हैं। इस आंकड़े ने राज्य सरकार की कुपोषण मुक्त मध्य प्रदेश की योजना की पोल खोल दी है। लोगों को संतुलित और पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराना सरकार का प्रमुख दायित्व होता है। इस दिशा में प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन इसके बावजूद कुपोषण की समस्या अब तक पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाई है। सरकार के निरंतर प्रयासों के बावजूद इस गंभीर सामाजिक चुनौती को जड़ से मिटाने में कई अड़चनें सामने आती रही हैं।

ग्वालियर एनआरसी सेंटर में बढ़ी कुपोषित बच्चों की संख्या

ग्वालियर ज़िले के थाटीपुर में स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र ( NRC) में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या इन दिनों बढ़कर 17 तक पहुंच चुकी है। इनमें तीन बच्चों की हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है जिनकी विशेष निगरानी की जा रही है। इन बच्चों में जारगा गांव की बनी, सुभाष नगर हजीरा का बंसी और तृप्ति नगर की प्रांशी शामिल हैं। ये सभी बच्चे वजन और पोषण की कमी के चलते उपचाराधीन हैं।
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जिले में 900 से अधिक चिन्हित कुपोषित बच्चे

ग्वालियर जिले में कुल चिन्हित कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग 900 है। यह आंकड़ा राज्य सरकार की योजनाओं और प्रयासों पर सवाल खड़े करता है। राज्य सरकार आंगनबाड़ी (Anganwadi) के माध्यम से पोषण सुधार कार्यक्रम चला रही है, परंतु जमीनी सच्चाई अलग है।

भवन विहीन हैं 34 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र

राज्य की 34,143 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास स्थायी भवन ही नहीं है। यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि इन केंद्रों से ही बच्चों को पोषण, टीकाकरण और प्राथमिक शिक्षा मिलती है। सबसे अधिक खराब स्थिति रीवा जिले की है जहां 2,393 भवन विहीन आंगनबाड़ी हैं

कुपोषण से बचाव के उपाय 

  • संतुलित आहार जिसमें फल, सब्जियां, अनाज, प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा हो।
  • नियमित रूप से भोजन करें और किसी भी महत्वपूर्ण भोजन को न छोड़ें।
  • दूध, दही और पनीर आदि डेयरी उत्पादों का सेवन करें।
  • भोजन में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और खनिज शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम करें
  • आठ घंटे की पर्याप्त नींद लें
  • तंबाकू और शराब के सेवन से बचें।
  • प्रेगनेंसी के दौरान अच्छा खानपान रखें। 
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