MP News: पिछले कुछ समय में मध्य प्रदेश में मंत्रियों के सरकारी आवास के रिनोवेशन पर जितना खर्च आया है उतना इन बंगलों के निर्माण में भी नहीं आया होगा। आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 16 महीनों में सिर्फ रख-रखाव और साज-सज्जा पर 13.36 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। ये रिनोवेशन आम कर्मचारियों के आवासों का नहीं, बल्कि मंत्री, नेता और IAS अफसरों को आवंटित बंगलों पर किए गए हैं।
कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना के श्यामला हिल्स स्थित बी-3 आवास के लिए 1.56 करोड़ रुपए पीडब्ल्यूडी द्वारा आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 99.94 लाख रुपए सिविल कार्यों और 56.29 लाख रुपए इलेक्ट्रॉनिक्स कार्यों पर खर्च हो रहे हैं। वहीं राज्यमंत्री बागरी का आवास सजाने में लगभग 80 लाख रुपए लगा दिए।
कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह के बंगलों पर भी बड़ी रकम
BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय के शिवाजी नगर सी-21 बंगले पर 91.19 लाख रुपए, और पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के चार इमली स्थित बी-10 बंगले के रिनोवेशन के लिए 30 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं। यह रकम उस लागत से अधिक है, जितने में भोपाल में एक नई डुप्लेक्स कोठी खरीदी जा सकती है।
आम लोगों और कर्मचारियों में आक्रोश
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि उनके सरकारी मकानों की हालत जर्जर है, बारिश में पानी रिसता है और मरम्मत के लिए दिए गए आवेदन पेंडिंग में पड़े हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश में मंत्रियों के बंगले सजाना उचित नहीं है। आम नागरिकों का कहना है कि आज के समय में 1 से डेढ़ करोड़ में भोपाल या नोएडा जैसी जगहों पर नई कोठी या फ्लैट बन सकता है। वहीं, सरकार कर्ज के बोझ तले दबती जा रही है, फिर भी ऐसे खर्च पर कोई रोक नहीं लग रही।
पुनर्निर्माण बेहतर विकल्प
शहरी विकास के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ये पुराने बंगले रहने लायक नहीं हैं, तो बेहतर होता कि उनका नया निर्माण कराया जाता। बार-बार रिनोवेशन से सरकारी खजाने पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
वहीं, माध्यम वर्गीय कर्मचारी अपने सीमित संसाधनों में रहने को मजबूर हैं और उन्हें सरकार से उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
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