BHOPAL : डिजिटल इंडिया की राह पर आगे बढ़ रहे मध्यप्रदेश मंत्रालय में भी अब कामकाज डिजिटल होंगे। लंबे अरसे से मंत्रालय यानी वल्लभ भवन के डिजिटाइजेशन के प्रयास हो रहे थे लेकिन हर बार मामला खटाई में पड़ जाता था। लेकिन नए साल के पहले ही दिन से मंत्रालय में डिजिटल फाइलें दौड़ेंगी। बीते महीने जीएडी इसी कवायद में जुटा रहा। अफसर और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें इसके लिए तैयार कर लिया गया है। अब फाइल ऑनलाइन दौड़ेंगी और विभाग और अफसरों के चेंबरों से दस्तावेज खोने का झंझट भी डिजिटाइजेशन से खत्म होगा। वहीं आम लोगों के बार-बार मंत्रालय आने की मुश्किल भी दूर हो जाएगी क्योंकि वे अपने मामले का स्टेटस ऑनलाइन जान पाएंगे।
छह साल बाद बाहर आए उपकरण
वल्लभ भवन से पूरे प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था का संचालन होता है। इंटरनेट युग को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने 6 साल पहले मंत्रालय के डिजिटाइजेशन की तैयारी की थी। इसके लिए कम्प्युटर से लेकर अन्य सभी जरूरी उपकरण भी खरीदे गए थे। इन्हें मंत्रालय में विभागों के मुख्यालयों को भी सौंप दिया गया था। नई सरकार की रुचि और मुख्य सचिव अनुराग जैन की कोशिश के बाद अब ई-ऑफिस प्रणाली ( सॉफ्टवेयर) मंत्रालय के कामकाज को आसान कर देगी। 2025 में ई-ऑफिस का नए वर्जन में काम करेगा। इसमें कर्मचारियों की सहूलियत को देखते हुए फाइलों को PDF फॉर्मेट में उपयोग किया जाएगा। जीएडी उपसचिव दिलीप कापसे की ओर से सभी विभाग प्रमुखों, पीएस, कमिश्नर और सचिव स्तर के अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देशित किया है।
नए साल में नई व्यवस्था की तैयारी
मध्यप्रदेश मंत्रालय को डिजिटल बनाने सरकार ही हरी झंडी के बाद जीएडी ने तेजी दिखाई है। विभाग डिजिटल हों इसके लिए ठप पड़े ई-ऑफिस सेटअप को फिर दुरुस्त करा लिया गया है। कर्मचारी-अधिकारियों को भी ऑनलाइन कामकाज के लिए तैयार करने जीएडी ने प्रशिक्षण दिलाया है। ई-ऑफिस के सेटअप के माध्यम से कामकाज करने, फाइलों को ऑनलाइन आगे बढ़ाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। विभागों को कंप्यूटर, स्कैनर सहित जरूरी उपकरण के अलावा हाई स्पीड नेट कनेक्टिविटी से भी जोड़ा गया है। नए साल के पहले दिन ई-ऑफिस के माध्यम से कामकाज बिना रुकावट हो इसके लिए भी तैयारी की गई है। मंत्रालय के बाद संभाग, जिला और तहसील स्तर पर विभाग कार्यालयों को भी इस प्रणाली से ऑनलाइन जोड़ा जाएगा।
डिजिटाइजेशन सीएम-सीएस की प्राथमिकता
छह साल पहले सरकार ने मंत्रालय के कामकाज ऑनलाइन मोड पर संचालित कराने के प्रयास किए थे। ऑनलाइन मोड के कारण अंडर टेबल वाली व्यवस्था का लाभ छिनने से अधिकारियों ने ही ई-ऑफिस को नजरअंदाज किया। नतीजा पूरे मंत्रालय में लागू होने से पहले ही यह ऑनलाइन व्यवस्था लूप लाइन में चली गई। साल 2017 से 2024 के बीच पांच सीएस मध्यप्रदेश को मिले। बीपी सिंह, एसआर मोहंती, गोपाल रेड्डी, इकबाल सिंह बैंस और वीरा राणा अपने पूरे कार्यकाल में भी इस व्यवस्था को बहाल नहीं कर पाए। जानकारों के अनुसार ऑनलाइन फाइल चलने से ये व्यवस्था पारदर्शी होगी। फाइल कहां और किस वजह से अटकी इसका पता भी तुरंत चल जाएगा। लोग कार्रवाई के स्टेटस को लेकर अपडेट रहेंगे जिससे पुराना ढर्रा खत्म होगा। अभी मंत्रालय में आई फाइल के बारे में जानकारी जुटाने में लोगों को महीनों लग जाते हैं। कई बार तो फाइलें ही गायब होती रही है। लेकिन बीते महीनों में सीएम डॉ.मोहन यादव और सीएस अनुराग जैन की दिलचस्पी ने ई-ऑफिस को मंत्रालय में फिर काबिज करा दिया है।