कमलेश सारडा@neemuch
मध्य प्रदेश के नीमच जिले के बहुचर्चित सरकारी जमीन के घोटाले में अब प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मामले में पंचायत सचिव के खिलाफ तो निलंबन की कार्रवाई हुई है लेकिन घोटाले में लिप्त अन्य आरोपियों के मामले में प्रशासन के अधिकारी खुद अपने ही आदेशों में संदिग्ध भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। मामले में SDM राजेश शाह ने 7 नवंबर को पत्र जारी कर 12 लोगों को आरोपी माना गया था। लेकिन 8 नवंबर को एसडीएम ने फिर आदेश जारी किया जिसमें आरोपियों की संख्या 12 से घटाकर 9 हो गई। एफआईआर की लिस्ट में से 3 लोगों को बाहर किया गया है।
जानें पूरा मामला
पूरा मामला जावद के गांव बरखेड़ा कामलिया का है। इस गांव में 17 हजार वर्गफीट से ज्यादा भूमि को अवैध रूप से अलग-अलग भूखंड बनाकर पट्टे देने के साथ व्यावसायिक लाभ कमाया गया। मामले की शिकायत उमाशंकर पिता डमरलाल नागदा द्वारा पहले नीमच जिला प्रशासन से की गई, लेकिन प्रभावी कारवाई नहीं होने पर शिकायत मुख्यमंत्री से की गई। मामला मुख्यमंत्री के पास पहुंचने पर नीमच प्रशासन में हड़कंप मच गया।
2 दिन में 2 आदेश और 12 से 9 हुए आरोपी
इससे पहले जनपद और एसडीएम स्तर पर विभिन्न पक्षों की 13 पेशियों में सुनवाई चलती रही, लेकिन नतीजा शिफर रहा। अब जब मामला उच्च स्तर तक जा पहुंचा तो आनन फानन कारवाई शुरू की गई। खास बात यह है कि 7 नवंबर को एसडीएम राजेश शाह द्वारा जारी एक पत्र में इस पूरे मामले में 12 लोगों को आरोपी माना गया और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन मांगा गया। जबकि अगले ही दिन 8 नवंबर को जारी पत्र में आरोपियों की संख्या 12 से घटकर 9 बताई हो गई। मामले में रानू पति वैभव ओझा जावद, अनिल पिता नरेश पाटीदार बरखेड़ा कामलिया और घनश्याम पिता सत्यनारायण मंडावरिया जावद के नाम रातोंरात इस लिस्ट से हटा दिए गए। जबकि इस मामले में वेंडर सहित पंजीयन कार्यालय तक की भूमिका की भी जांच होना चाहिए थी।
मामले में केवल सचिव का निलंबन
अब ठोस कार्रवाई की बजाय रातोंरात आरोपियों को निर्दोष बताकर सूची से नाम हटाने का काम प्रशासन ने कर दिया है। यह किसके दबाव में किया गया यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। गौरतलब है प्रकरण में केवल सचिव श्यामसुंदर पाटीदार को निलंबित किया गया है। जबकि सबसे संदेही भूमिका निभाने वाले सरपंच नरेश पाटीदार समेत अन्य दोषियों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
क्या कहीं राजनीति दबाव तो नहीं?
सूत्रों के अनुसार पूरे मामले में आरोपियों के सत्ताधारी पक्ष के होने के चलते उनका नाम काटा गया हो क्योंकि जो खरीददार सामने दिख रहे हैं उसके साथ ही कई दूसरी और तीसरी पार्टी है, जिन्होंने जमीन खरीदी की है। संभव तैयार राजनीतिक दबाव के कारण इस मामले में कई लोगों के नाम हटाए गए हो। मामले में कलेक्टर हिमांशु चंद्रा का कहना है कि जावद एसडीएम ने विवेचना के आधार पर आदेश जारी किए होंगे। पूरी जानकारी उनके पास है, वह ज्यादा बेहतर ढंग से बता पाएंगे।
जावद एसडीएम राजेश शाह से सीधे सवाल
मीडिया के सवालों पर जावद एसडीएम राजेश शाह ने कई सवालों के जवाब दिए हैं..
सवाल. आपके 7 नवंबर के पत्र में 12 लोगों को आरोपी माना गया था और बाद में 8 नवंबर के पत्र में 9 को आरोपी माना गया। क्या 1 दिन में तीनों लोग बेकसूर हो गए।
जवाब. नहीं हमने गवर्नमेंट अधिवक्ता से राय मांगी थी उनकी राय के आधार पर हमने तीन लोगों के नाम हटाए हैं उसके बावजूद भी जनपद पंचायत सीईओ को अधिकृत किया है वह गवर्नमेंट अधिवक्ता से बात करके एफआईआर दर्ज करवाएंगे।
सवाल. क्या पहले शासकीय अधिवक्ता से राय नहीं ली थी?
जवाब. हां, हमने पहले शासकीय अधिवक्ता से राय नहीं ली थी, क्योंकि मामले की गंभीरता को देखने के बाद शासकीय अधिवक्ता से भी चर्चा की।
सवाल. आप अपने इस आदेश के बारे में क्या कहेंगे?
जवाब. मैं तो 50 आदेश निकलता रहता हूं उससे कोई अर्थ नहीं है बात यह है कि आदेश के संबंध में शासकीय अधिवक्ता से ही राय लेकर काम करना पड़ेगा क्योंकि अंत में हमें कोर्ट में खड़ा होना पड़ता है।
सवाल. यह दो अलग-अलग आदेश के पीछे क्या मकसद है।
जवाब. कोई मकसद नहीं है बस शासकीय अधिवक्ता से जानकारी जरूरी थी इसलिए।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक