BHOPAL. प्रदेश में नए जिले बनाने के बीच सरकार ने कुछ जिलों, तहसील और अनुभागों का सीमांकन कराने की तैयारी कर ली है। यानी आने वाले कुछ महीनों में प्रदेश के कई जिलों, तहसील और अनुभागों का क्षेत्रफल और आकार बदल सकता है। जिलों की सीमाओं और नए जिलों के गठन के बाद सामने आ रही विसंगतियों से प्रशासिनक काम-काज में आ रही दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। सरकार जिलों के सीमांकन के लिए पुर्नगठन आयोग के गठन की तैयारी में भी लग गई है। इस संबंध में जल्द आदेश जारी किया जा सकता है।
प्रदेश में छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद 45 जिले रह गए थे। साल 2000 के बाद नए जिले बनते गए और अब यह संख्या 55 हो चुकी है। यानी बीते 24 साल में प्रदेश में 10 नए जिलों का गठन हो चुका है। वहीं हाल ही में सरकार ने प्रदेश के सबसे बड़े क्षेत्रफल वाले छिंदवाड़ा से जुन्नारदेव को अलग कर जिला बनाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए सरकार ने नए जिले के लिए जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। नए जिले के रूप में जुन्नारदेव में किन तहसील, नगर पंचायत और गांवों को शामिल किया जा सकता है इसके लिए प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया है। यानी जल्द ही प्रदेश में जिलों की संख्या 56 हो सकती है।
प्रशासनिक-भौगोलिक परेशानी के चलते जरूरत
नए जिलों के गठन के साथ ही पिछले 24 सालों में बड़ी संख्या में तहसील और अनुभाग यानी विकासखंड भी बनाए जा चुके हैं। इसके कारण जिलों का प्रशासनिक ढांचा, सीमाएं और प्रशासनिक कार्यक्षेत्र गड़बड़ा गया है। लंबे समय से जिलों के साथ ही तहसील और अनुभागों का नए सिरे से सीमांकन कराने की जरूरत महसूस की जा रही थी। जिलों की सीमांकन की विसंगतियां कई बार राजनीतिक उलझन की भी वजह भी बन जाती हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने सीमांकन से पहले भौगोलिक- प्रशासनिक स्थितियों के आंकलन के लिए पुनर्गठन आयोग बनाने की तैयारी की है। आयोग न केवल जिलों की भौगोलिक और प्रशासनिक स्थितियों का अध्ययन करेगा बल्कि स्थानीय लोगों के बीच उनके सुझाव भी लेगा। इससे जो रिपोर्ट तैयार होगी उसी के आधार पर विसंगतियां दूर कर जिलों का सीमांकन और नए सिरे से सीमाओं का निर्धारण किया जाएगा।
जिलों के पुनर्गठन से लोगों को क्या होगा फायदा :
कई जिलों की वर्तमान सीमाओं से ग्रामीण आबादी और अधिकारियों को प्रशासनिक काम-काज में कठिनाई का सामना पड़ रहा है। यानी कुछ क्षेत्रों की सीधी कनेक्टिविटी जिला मुख्यालयों से नहीं है। इन अंचलों पर प्रशासन भी कभी-कभार ही पहुंचता है। लोग भी दूसरे जिले पर ज्यादा निर्भर होते हैं। यही दुविधा तहसील और विकासखंड़ों की सीमाओं को लेकर बनती है। प्रशासनिक दृष्टि से भी इन अंचलों तक दूसरे जिले के अफसरों की पहुंच आसान होती है। बीते 24 सालों में अलिराजपुर, अनूपपुर, निवाड़ी, अशोकनगर, मऊगंज, मैहर, सिंगरौली सहित 10 नए जिले तो बना दिए गए हैं लेकिन इनकी सीमा, आमजन और प्रशासन की सीधी कनेक्टिविटी में अब भी समन्वय नहीं है। नए सिरे से सीमांकन के बाद जिलों के पुनर्गठन से यह विसंगतियां दूर होंगी और लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
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