66 अपात्र नर्सिंग कॉलेज को ओके बताने वाले डॉक्टरों-अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

मध्यप्रदेश के जिन 66 नर्सिंग कॉलेजों को हाई कोर्ट ने अपात्र माना है, उन्हें पहले निरीक्षण के बाद "सूटेबल" की रिपोर्ट दी गई थी। अब इन्हीं रिपोर्टों को लेकर जांच शुरू हो गई है। जिसके आधार पर अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।

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Rohit Sahu
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मध्यप्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेजों को हाई कोर्ट ने अपात्र घोषित किया हुआ है। इन कॉलेजों को पहले ओके रिपोर्ट देने वाले 147 अधिकारियों पर अब विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है। स्वास्थ्य और राजस्व विभाग द्वारा आरोप पत्र जारी किए जा रहे हैं। कार्रवाई का दायरा पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों तक पहुंच गया है।

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ये अधिकारी जांच के घेरे में

इन कॉलेजों का निरीक्षण करने वाले 90 डॉक्टरों, 21 नर्सिंग स्टाफ, 17 पटवारियों और 19 डिप्टी कलेक्टरों को दोषी मानते हुए उन पर कार्रवाई शुरू की जा रही है। इन सभी ने अपात्र होने पर भी कॉलेजों को ओके बताया था।

चिकित्सा विभाग करेगा विभागीय कार्रवाई

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जबकि प्रशासनिक अधिकारियों पर अलग से चार्जशीट जारी की जाएगी। इसमें उन सभी के नाम शामिल होंगे जो कॉलेजों की जांच में शामिल थे।

50 डॉक्टरों ने भेजा जवाब

बीते दिनों 90 डॉक्टरों को नोटिस दिए गए थे, जिनमें से 50 ने जवाब भेजा, लेकिन सरकार ने इन्हें अस्वीकार कर दिया और सभी पर विभागीय जांच शुरू कर दी है।आयुक्त चिकित्सा शिक्षा विभाग (हेल्थ कमिश्नर) ने सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश दिए हैं कि 3 से 15 दिन के भीतर आरोप पत्र जारी कर दिया जाए, इसके बाद निलंबन और विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू होगी।

मेडिकल कॉलेजों को जारी हुए निर्देश

ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर, रीवा, इंदौर, खंडवा, छिंदवाड़ा, विदिशा और रतलाम के मेडिकल कॉलेजों को इस कार्रवाई की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। इन सभी जगह कॉलेजों को व्यवस्था और कमियों के चलते अपात्र घोषित किया गया था।

क्या है पूरा मामला

दरअसल CBI जांच में 308 नर्सिंग कॉलेजों की स्थिति सामने आई, जिनमें 169 कॉलेज पात्र, 73 कमी वाले और 66 अपात्र पाए गए। हाई कोर्ट ने इसी आधार पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि रीवा का एक सरकारी नर्सिंग कॉलेज भी अपात्र घोषित किया गया है। यह घोटाला सिर्फ निजी संस्थानों तक सीमित नहीं रहा।

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