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सुप्रीम कोर्ट में आज (14 फरवरी) ओबीसी आरक्षण से जुड़ी कुल 75 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मध्य प्रदेश सरकार ने इनमें से 17 याचिकाएं वापस ले ली हैं। इधर मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अभय एस ओका ने मप्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि जब मध्य प्रदेश में 27 फीसदी आरक्षण का कानून है तो फिर इसे लागू करने में क्या बाधा है? इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में न तो हाईकोर्ट में कोई स्टे है और न ही सुप्रीम कोर्ट में। इससे संकेत मिलता है कि ओबीसी आरक्षण से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। इधर सरकार ने भी 27 फीसदी OBC आरक्षण लागू करने का मन बना लिया है।
ओबीसी महासभा के एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस सुनवाई में उनके अलावा सीनियर एडवोकेट वरुण ठाकुर और रामकरण ने ओबीसी पक्ष की ओर से अपनी दलीलें पेश कीं। बता दें कि एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह ओबीसी महासभा के कोर कमेटी सदस्य भी हैं। इस मामले में फिलहाल अधिक जानकारी का इंतजार किया जा रहा है।
कौन सी याचिकाएं लीं वापस
OBC आरक्षण पर हाईकोर्ट में पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह लोधी ने thesootr को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की डबल बैंच में हुई। OBC पक्ष के वकीलों ने उन याचिकाओं पर आपत्ति ली, जो हाईकोर्ट में विड्रॉ हो गईं थीं। इसके बावजूद सरकार ने आनन-फानन में उनको सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करवाया था। इस दौरान कोर्ट ने तुषार मेहता से उन सभी याचिकाओं की सूची मांगी जो हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में लगी हैं ये याचिकाएं
सरकार भी 27 फीसदी आरक्षण देने के मूड में….
गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधि विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों के साथ अहम बैठक की। बैठक में एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जुड़े। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और AG से ओबीसी आरक्षण की कानूनी स्थिति जानी और जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बनने के पहले से ही 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं लगी हुई हैं। जिन पर जल्द सुनवाई होना चाहिए इसलिए AG जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाएं। बीजेपी सरकार 27% ओबीसी आरक्षण लागू करना चाहती है और ये बात सुप्रीम कोर्ट में पूरी ताकत से रखना है। फिर कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकार कदम बढ़ाएगी।
इसके अलावा एससी और एसटी वर्ग को भी कानून के तहत आरक्षण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री बोले कि हाईकोर्ट के ताजा फैसले (28 जनवरी) को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। इसलिए AG पूरी पारदर्शिता के साथ हर कानूनी पहलू स्पष्ट करें और जल्द से जल्द मामले का निपटारा करवाएं।
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