मध्यप्रदेश में अफसरों की गाड़ी पर लगेगी लगाम, वित्त विभाग ने जारी की नई वाहन गाइडलाइन

मध्यप्रदेश सरकार ने आईएएस, आईपीएस और अन्य सेवा अधिकारियों के लिए नई वाहन गाइडलाइन जारी की है। अब कलेक्टर और एसपी जैसे वरिष्ठ अधिकारी 10 लाख रुपए से अधिक कीमत की गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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MP finance dept's new vehicle policy
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MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में तैनात आईएएस, आईपीएस और अन्य सेवा अधिकारियों के लिए नई वाहन गाइडलाइन जारी की है।

अब कलेक्टर और एसपी जैसे वरिष्ठ अधिकारी 10 लाख रुपये से अधिक कीमत की गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इस फैसले का मकसद सरकारी खर्चों में कटौती और मितव्ययिता को बढ़ावा देना है।

वित्त विभाग की नई गाइडलाइन में क्या-क्या बदला?

राज्य के वित्त विभाग ने सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के वेतन मैट्रिक्स के आधार पर वाहनों की अधिकतम सीमा तय की है। इन निर्देशों के अनुसार:

कलेक्टर और एसपी (Collector-SP):
अधिकतम गाड़ी की कीमत: ₹10 लाख (Petrol/Diesel/CNG)
इलेक्ट्रिक वाहन (EV): ₹15 लाख तक
कमिश्नर (Commissioner):
अधिकतम गाड़ी की कीमत: ₹12 लाख (Petrol/Diesel/CNG)
EV के लिए सीमा: ₹18 लाख तक
सचिव, अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव (Secretary Level Officers):
ICE वाहन: ₹12 लाख
EV वाहन: ₹18 लाख

कौन सी कैटेगरी के अधिकारी किस प्रकार की गाड़ी खरीद सकते हैं?

क्लास 2 और 3 अधिकारी:
पेट्रोल/डीजल/सीएनजी: ₹7 लाख तक
इलेक्ट्रिक वाहन: ₹10 लाख तक
ये सीमा उन अधिकारियों पर लागू होगी जो वेतन मैट्रिक्स लेवल 9, 10, 11 और 12 में आते हैं।
उप सचिव और अपर सचिव:
उप सचिव (Level 12): ₹7 लाख तक ICE वाहन, ₹10 लाख तक EV
अपर सचिव (Level 13): ₹10 लाख तक ICE वाहन, ₹15 लाख तक EV

अखिल भारतीय सेवा (IAS, IPS, IFS) के लिए खास गाइडलाइन

अखिल भारतीय सेवा (All India Services) में आने वाले अधिकारियों जैसे डीएफओ, एसपी, एसीएफ और डीआईजी को भी अब निर्धारित सीमा के अनुसार ही वाहन उपयोग करना होगा।
वेतनमान के अनुसार EV और ICE वाहनों की अलग-अलग कीमतें तय की गई हैं ताकि गैर-जरूरी खर्च पर अंकुश लगाया जा सके।

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वाहन खरीदना है तो लेना होगा वित्त विभाग की अनुमति

गाइडलाइन के तहत अब कोई भी विभाग नया वाहन तभी खरीद सकेगा जब:
पहले से उपयोग में लाया जा रहा वाहन अपनी निर्धारित सेवा अवधि पूरी कर चुका हो।
विभाग के पास बजट उपलब्ध हो।
प्रस्ताव को वित्त विभाग से स्वीकृति मिल जाए।

फैसले का क्या होगा असर

सरकारी खर्चों में कटौती संभव होगी।
लग्जरी गाड़ियों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
EV (Electric Vehicles) को बढ़ावा मिलेगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

क्यों बढ़ रही है EV की सीमा?

सरकार चाहती है कि अधिकारी इलेक्ट्रिक वाहन का अधिक उपयोग करें ताकि पर्यावरण को नुकसान कम हो और ईंधन पर निर्भरता घटे। यही वजह है कि ICE वाहनों की सीमा कम और EV की सीमा ज्यादा तय की गई है।

FAQ

1. क्या सभी जिलों के कलेक्टर को एक ही कीमत की गाड़ी मिलेगी?
हां, नई गाइडलाइन के तहत सभी जिलों के कलेक्टर (वेतन मैट्रिक्स लेवल-12 और 13) को अधिकतम ₹10 लाख कीमत की ICE गाड़ी और ₹15 लाख की EV खरीदने की अनुमति है।
2. क्या सचिव और मुख्य सचिव को भी वही गाड़ी मिलेगी जो अपर सचिव को मिलती है?
नहीं, सचिव, प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव और मुख्य सचिव (Level 14 या उससे ऊपर) को ₹12 लाख तक ICE और ₹18 लाख तक EV गाड़ियों की अनुमति है, जो उनसे नीचे रैंक के अफसरों से अलग है।
3. क्या नए वाहन खरीदने से पहले प्रस्ताव भेजना जरूरी है?
जी हां, किसी भी नए वाहन की खरीदारी से पहले संबंधित विभाग को वित्त विभाग में प्रस्ताव भेजना अनिवार्य है। बिना स्वीकृति के वाहन नहीं खरीदे जा सकते।



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