एमपी ऑनलाइन ई-प्रवेश प्रक्रिया में 23 हजार छात्राओं के फर्जी आवेदन
एमपी ऑनलाइन के ई-प्रवेश पोर्टल पर 23 हजार से अधिक छात्राओं के फर्जी आवेदन पकड़े हैं। इनके नाम, पते, मोबाइल नंबर गलत पाए गए हैं। कुछ मामलों में आवेदक के नाम के आगे 'HHH' और माता-पिता के नाम के आगे 'FDGH' जैसे शब्द दर्ज हैं।
उच्च शिक्षा के लिए एमपी ऑनलाइन के ई-प्रवेश पोर्टल पर 23,651 से अधिक फर्जी आवेदनों का मामला सामने आया है। इन आवेदनों में छात्राओं के नाम, पते, और मोबाइल नंबर तक गलत भरे गए। कुछ मामलों में आवेदक के नाम के आगे 'HHH' और माता-पिता के नाम के आगे 'FDGH' जैसे शब्द दर्ज हैं।
2022 में एमपी ऑनलाइन ने करीब 10,000 संदिग्ध आवेदनों की जांच की गई थी। सभी आवेदन महिलाओं के नाम पर थे। इस दौरान पाया गया कि कई आवेदनों में ओटीपी प्रक्रिया को दरकिनार किया गया था।
ऐसा है फर्जी आवेदनों के पैटर्न
फर्जीवाड़ा... रात में फॉर्म सबमिशन, भुगतान में धांधली
फर्जी जानकारी का उपयोग: महिला उम्मीदवारों के नाम पर फर्जी फॉर्म भरे गए। इन फॉर्म में गलत नाम, पते और मोबाइल नंबर दर्ज किए गए। एसएमएस प्रक्रिया में गड़बड़ी: आवेदन प्रक्रिया में आवेदक के मोबाइल नंबर पर ओटीपी आता है। बिना ओटीपी के फॉर्म भरे नहीं जा सकते। लेकिन फर्जी फॉर्म के लिए यह प्रक्रिया दरकिनार की गई। एसएमएस कंपनी ने पुष्टि की कि संबंधित मोबाइल नंबरों पर ओटीपी भेजा ही नहीं गया। रात में फॉर्म सबमिशन: संदिग्ध एप्लिकेशन रात 11 बजे के बाद बड़े पैमाने पर सबमिट किए गए। इस समय निगरानी बेहद कम होती है।
2022 में एमपी ऑनलाइन ने 23 कियोस्क पर फर्जीवाड़ा पाया और भुगतान रोक दिया। हालांकि, साइबर सेल में की गई शिकायत के बावजूद 3.90 लाख रुपए की रिकवरी नहीं हो पाई।
एमपी ऑनलाइन के सीईओ प्रशांत राठी का कहना है कि शिक्षा विभाग को ही जानकारी दी जाएगी। वहीं उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
किस वर्ष कितने फर्जी आवेदन और कितनी राशि का भुगतान
वर्ष
फर्जी फॉर्म
राशि रु में
2022
10629
318170
2021
5937
178110
2020
7085
212550
FAQ
एमपी ऑनलाइन फर्जीवाड़ा क्या है?
एमपी ऑनलाइन पोर्टल पर छात्राओं के नाम से फर्जी आवेदन दर्ज करने का मामला।
फर्जी आवेदनों की संख्या कितनी है?
अब तक 23,651 से अधिक फर्जी आवेदन दर्ज किए गए हैं।
फर्जीवाड़ा कैसे पकड़ा गया?
संदिग्ध ओटीपी प्रक्रिया और गलत जानकारी के आधार पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
क्या कोई कार्रवाई की गई है?
कुछ कियोस्क पर भुगतान रोका गया, लेकिन रिकवरी की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई।
भविष्य में इसे रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
ओटीपी सत्यापन को मजबूत करना और फॉर्म सबमिशन की निगरानी बढ़ाना।