BHOPAL. राम राजा सरकार की नगरी ओरछा में सोमवार से राम जानकी के विवाह महोत्सव की धूम शुरू हो गई है। प्रभु श्री राम और माता जानकी के विवाह का उत्साह इतना है कि शादी का आकर्षक और मनमोहक डिजिटल कार्ड तैयार किया गया है। आम शादियों की तरह राम जानकी के विवाह का निमंत्रण भेजा गया है। मंदिर समिति के विशिष्ट अधिकारियों द्वारा इन कार्ड को चारों तीर्थ स्थलों, 12 ज्योतिर्लिंगों और अयोध्या धाम सहित देश के प्रमुख मठों और मंदिरों तक पहुंचाया जाएगा।
विवाह पंचमी पर श्रीराम-जानकी का विवाह
ओरछा में 450 वर्षों की परंपरा के तहत विवाह पंचमी पर श्रीराम-जानकी का विवाह उत्सव 5 दिसंबर से शुरू होगा। जानकारी के मुताबिक इस विवाह की प्रमुख रस्में 5, 6 और 7 दिसंबर को होंगी। 5 दिसंबर को हल्दी और मंडप की रस्म, 6 दिसंबर को भगवान की बारात और 7 दिसंबर को कुंवर कलेवा के साथ महोत्सव का समापन होगा। विवाह बुंदेली रीति-रिवाज से होगा, और इस विवाह के 1200 निमंत्रण पत्र निमंत्रण पत्र छपवाए गए हैं। इन्हें विशिष्ट अधिकारी चारों तीर्थ, 12 ज्योतिर्लिंग और अयोध्या सहित प्रमुख मठ-मंदिरों तक पहुंचाएंगे।
विवाह के डिजिटल कार्ड तैयार
ओरछा में श्रीराम-जानकी के इस भव्य विवाह समारोह की जमकर चर्चा हो रही है। इस विवाद शामिल होने के लिए लोग बेहद उत्सुक हैं। विवाद के निमंत्रण कार्ड को डिजिटल तैयार किया गया है। जिसमें श्रीराम और जानकी की तस्वीर और नीचे श्लोक लिखा हुआ है। अगले स्लाइड में समारोह की डिटेल दी गई है। अंतिम पेज पर श्लोकों के साथ धन्यवाद लिखा गया है।
श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव की धूम
बता दें कि बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाली ओरछा में श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन नगर में घर-घर जाकर मंगल गायन के साथ तिलक की रस्म अदा की जाती है। मंडप में भोज भी आयोजित किया है, और हजारों श्रद्धालु एक-दूसरे को हल्दी लगाकर नाचते-गाते हुए विवाह की रस्मों का आनंद लेते हैं। रात्रि में भगवान श्रीरामराजा सरकार की बारात मंदिर से निकलती है, जो पूरे नगर में एक धार्मिक उल्लास का माहौल बना देती है।
ओरछा में श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव में रात्रि आठ बजे भगवान श्रीरामराजा सरकार की बारात धर्म ध्वजा और विद्युत सजावट के साथ निकलती है। बारात में धार्मिक कीर्तन मंडली और राम धुन के साथ भक्तगण शामिल होते हैं। नगर के हर द्वार पर दूल्हा बने राजाराम का पारंपरिक बुंदेली वैवाहिक मंगल गीत गायन करते हुए तिलक किया जाता है। इस दिन भगवान राम और सीता माता का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था, जिसे विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
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