बुंदेलखंड के महान कलाकार पद्मश्री रामसहाय पांडे का निधन, राई नृत्य को दुनियाभर में दिलाई पहचान

पद्मश्री रामसहाय पांडे का निधन हो गया है। उन्होंने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। कुछ दिनों से बीमार चल रहे पांडे जी का इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था।

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Sourabh Bhatnagar
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बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोक कलाकार, पद्मश्री रामसहाय पांडे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 97 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। पिछले कुछ समय से वे बीमार चल रहे थे। भारत सरकार ने 2022 में उन्हें राई नृत्य (Rai Dance) में उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्मश्री से नवाजा था, जिससे उनकी कला की महत्ता और महत्व को सराहा गया था। बता दें कि रामसहाय पांडे ने राई नृत्य (Rai Dance) को दुनियाभर में पहचान दिलाई है।

पद्मश्री रामसहाय पांडे - Dainik Bhaskar

संघर्षभरा रहा रामसहाय पांडे का जीवन

रामसहाय पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले के मडधार पठा गांव में हुआ था। उनका बचपन गरीबी और संघर्षों से भरा हुआ था। जब वे केवल 6 साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया और उनकी मां उन्हें लेकर कनेरादेव गांव चली गईं। हालांकि, 6 साल बाद उनकी मां का भी निधन हो गया। इन कठिन परिस्थितियों में पले-बढ़े रामसहाय ने अपनी कला और नृत्य में खुद को समर्पित कर दिया।

राई नृत्य से जुड़ी उनकी यात्रा

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रामसहाय पांडे की राई नृत्य (Rai Dance) से पहली मुलाकात एक मेले में हुई थी। वह इस लोकनृत्य से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे सीखने का निर्णय लिया। उन्होंने मृदंग बजाने से शुरुआत की और समाज की कड़ी मान्यताओं को तोड़ते हुए, विशेष रूप से ब्राह्मण परिवार से होने के बावजूद, इस लोकनृत्य में महारत हासिल की। लोग तब हैरान हो जाते थे, जब वे कमर में मृदंग बांधकर नृत्य करते थे।

राई नृत्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलाई पहचान 

रामसहाय पांडे ने राई नृत्य (Rai Dance) को न केवल भारत में, बल्कि जापान, हंगरी, फ्रांस और मॉरिशस जैसे देशों में भी प्रस्तुत किया। उन्होंने बुंदेलखंड की लोककला को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई और इसके महत्व को पूरी दुनिया में बताया। राज्य स्तर पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया और अंततः 2022 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया, जो उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।

क्या है राई नृत्य

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राई नृत्य (Rai Dance) बुंदेलखंड क्षेत्र का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जिसमें मुख्य रूप से महिलाएं (बेड़नियां) नृत्य करती हैं और पुरुष मृदंग बजाते हैं। यह नृत्य विशेष रूप से शादी-ब्याह और खुशी के अवसरों पर आयोजित किया जाता है। मृदंग की थाप और घुंघरुओं की झंकार पर यह नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस नृत्य में रीति-रिवाजों, उत्सवों और पारंपरिक संगीत का अद्भुत मिश्रण होता है, जो एक सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का कार्य करता है।

प्रदेश में शोक की लहर

सीएम मोहन यादव ने X पर लिखा, बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री रामसहाय पांडे जी का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित आपका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत की पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति दें। ।।ॐ शांति।।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी शोक जताते हुए X पर लिखा,बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री रामसहाय पांडे जी का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। प्रभु उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें एवं परिवार को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शान्ति शान्ति!!

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