MP : उच्च वेतनमान के मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा के जवाब से संतुष्ट नहीं हाईकोर्ट, अवमानना पर 29 जुलाई को सुनवाई

मुख्य सचिव वीरा राणा के जवाब से असंतुष्ट हाईकोर्ट अब अवमानना पर 29 जुलाई को सुनवाई करेगी। मामला हाईकोर्ट के कर्मचारियों को उच्च वेतनमान से जुड़ा हुआ है। जिस पर कोर्ट के आदेश का 6 साल बाद भी पालन नहीं हुआ है।

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Vikram Jain
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MP pay scale case Chief Secretary reply High Court not satisfied
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JABALPUR. हाईकोर्ट के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट मध्य प्रदेश शासन की मुख्य सचिव वीरा राणा के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ है। अब मामले में हाईकोर्ट अब अवमानना पर 29 जुलाई को सुनवाई होगी। 

जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ हाईकोर्ट

इससे पहले मुख्य सचिव वीरा राणा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हाई कोर्ट की कार्यवाही में उपस्थित हुई थी लेकिन उनके जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। कर्मचारियों के उच्च वेतन मान के आदेश का पालन नहीं करने के मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला निर्धारित करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा 29 जुलाई की तारीख निर्धारित कर दी गई है।

2017 में दिए थे उच्च वेतनमान के आदेश

हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने बुधवार की सुनवाई में ही सख्ती दिखाते हुए गुरुवार की सुनवाई में मुख्य सचिव वीरा राणा को वर्चुअली पेश होने के आदेश दिए थे। युगलपीठ ने सरकार का मंतव्य स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा वर्चुअली हाजिर हुईं थीं। जिसके बाद मुख्य सचिव जवाब दिया, जिस पर पीठ ने असंतोष जाहिर किया।

क्या है मामला

बता दें कि हाईकोर्ट कर्मचारी किशन पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य शासन को आदेश जारी किए थे। पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। जिस पर कोर्ट के आदेश का 6 साल बाद भी पालन नहीं हुआ है।

कैबिनेट ने अनुशंसा को किया अस्वीकर

इससे पहले मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट कर्मचारियों के लिए उच्च वेतनमान की अनुशंसा की थी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कंपलायंस रिपोर्ट पेश कर बताया कि यदि उक्त अनुशंसा को मान लिया जाएगा तो सचिवालय व अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों से भेदभाव होगा और वे भी उच्च वेतनमान की मांग करेंगे। इसलिए कैबिनेट ने अनुशंसा को अस्वीकर कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पहले भी यही ग्राउंड लिया था, जिसे अस्वीकार किया जा चुका है।

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