अब नहीं चलेगा पुलिस थानों में CCTV खराब होने का बहाना, पुलिस अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तो संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने सुनाया। 

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Neel Tiwari
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JABALPUR.   मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों (cctv camera) के उचित रखरखाव पर सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा निर्देश जारी किया है। इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) ने कहा कि यदि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तो संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) और रखरखाव के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश जस्टिस सुबोध अभ्यंकर (Justice Subodh Abhyankar) की इंदौर स्थित एकलपीठ ने दिया।

यह आदेश एक ऐसे मामले में आया, जहां एक आवेदक ने अनुचित हिरासत का आरोप लगाया था, लेकिन पुलिस थाने से उस अवधि का सीसीटीवी फुटेज पेश नहीं किया जा सका। इस मामले में अदालत ने पाया कि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे होने के बावजूद फुटेज न होने की समस्या गंभीर है, क्योंकि इससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोटोकॉल का हो पालन

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीटीवी कैमरों का सही तरीके से काम करना नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने इस संबंध में भोपाल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का जिक्र किया, जो जनवरी 2024 से लागू थी, लेकिन इसके बावजूद कैमरों के रखरखाव में लापरवाही पाई गई।

सिर्फ CCTV लगाने से नहीं चलेगा काम

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा कि सिर्फ सीसीटीवी कैमरे लगाने और एसओपी जारी करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इनका सही और निरंतर संचालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि पुलिस थानों में लगे कैमरे उचित ढंग से काम नहीं कर रहे हैं या फुटेज उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, तो यह सरकारी संसाधनों की बर्बादी तो हो ही रही है साथ ही यह न्याय प्रक्रिया में बाधा भी उत्पन्न करेगा।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह साफ किया कि बिना उचित रखरखाव के सीसीटीवी लगाना और उनके लिए जारी गाइडलाइन महज एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी। इसलिए, अदालत ने निर्देश दिया कि अगर सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर इसे एक गंभीर गलती मानते हुए कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।

निरीक्षण समितियां निभाये जिम्मेदारी

कोर्ट ने राज्य स्तरीय निरीक्षण समिति (एसएलओसी) और जिला स्तरीय निरीक्षण समिति (डीएलओसी) को भी निर्देश दिया कि वे सीसीटीवी कैमरों की स्थिति की मासिक समीक्षा करें और एसओपी का पालन सुनिश्चित करें। इन समितियों को नियमित रूप से बैठकें आयोजित करके यह देखना होगा कि सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से काम कर रहे हैं या नहीं।

पुलिसकर्मी लगाएं बॉडी कैमरा 

इसके अलावा, अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार को प्रमुख शहरों के पुलिस थानों में पुलिस कर्मियों के लिए बॉडी कैमरे लगाने पर विचार करने का सुझाव दिया। अदालत ने कहा कि बॉडी कैमरे पुलिस कार्यवाही में पारदर्शिता लाने और अनुचित कार्यों को रोकने में मदद कर सकते हैं। 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का यह आदेश पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों के महत्व के साथ ही मौलिक अधिकारों की रक्षा के प्रति अदालत की गंभीरता को दर्शाता है। इस आदेश के तहत न केवल पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों का रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा, बल्कि इससे पुलिस की कार्यप्रणाली में भी पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

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